अभी लाड़ली बहनों को हर महीने 1 हजार देने के लिए ही चाहिए 15 हजार करोड़ सालाना, 3 हजार देने के लिए कहां से आएंगे 45 हजार करोड़ ?

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Sunil Shukla
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अभी लाड़ली बहनों को हर महीने 1 हजार देने के लिए ही चाहिए 15 हजार करोड़ सालाना, 3 हजार देने के लिए कहां से आएंगे 45 हजार करोड़ ?

BHOPAL. मध्यप्रदेश में चुनावी साल में कांग्रेस की नारी सम्मान योजना के जवाब में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने महिला वोटर्स को लुभाने के लिए बड़ा दांव चला है। उन्होंने शनिवार, 10 जून  को जबलपुर में लाड़ली बहना योजना के तहत करीब 1.25 करोड़ महिलाओं के बैंक खातों में 1 हजार रुपए डालने की शुरुआत करते हुआ कहा कि हम लाड़ली बहना योजना की राशि को 1 हजार से बढ़ाकर 3 हजार प्रति माह तक लेकर जाएंगे। जबकि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने कांग्रेस की सरकार बनने पर नारी सम्मान योजना के तहत हर महिला के खाते में 1 हजार 500 रुपए प्रतिमाह डालने का ऐलान किया है। जबकि सरकार के खजाने पर लोक लुभावन योजनाओं के लिए कर्ज की राशि का बोझ बढ़ता जा रहा है। ऐसे में अब बड़ा सवाल उठ रहा है कि जिस राज्य में खजाने पर कर्ज का बोझ (3 लाख 85 हजार करोड़ रुपए) उसके कुल बजट (3 लाख 14 हजार करोड़) से ज्यादा हो गया हो वहां हर महिला के खाते में 3 हजार रुपए डालने के लिए जरूरी राशि (45 हजार करोड़) रुपए आएगी कहां से। आइए आपको समझाते हैं कि सीएम की नई घोषणा पर अमल के लिए खजाने पर कैसे और कितना बोझ बढ़ेगा।





अभी बजट में 8 हजार करोड़ का प्रावधान, नई घोषणा के लिए लगेंगे 45 हजार करोड़





शिवराज सरकार लाड़ली बहना योजना के तहत अभी करीब सवा करोड़ यानी 1 करोड़ 25 लाख महिलाओं के खाते में हर महीने 1 हजार डालने का दावा कर रही है। इस लिहाज से उसे हर महीने 1250 करोड़ रुपए के बजट की जरूरत होगी यानी सालाना 15 हजार करोड़ रुपए सालाना। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 10 जून को इस योजना की औपचारिक शुरुआत के मौके पर महिलाओं को इस योजना के तहत मिलने वाली राशि आने वाले सालों में 1 हजार से बढ़ाकर 3 हजार रुपए तक करने का ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे पैसों की व्यवस्था होगी हम क्रमशः योजना की राशि 250-250 रुपए बढ़ाते जाएंगे। इस लिहाज से सरकार को मुख्यमंत्री की इस बड़ी घोषणा पर अमल के लिए हर महीने 3750 करोड़ रुपए की राशि की जरूरत पड़ेगी यानी बजट में सालाना करीब 45 हजार करोड़ रुपए की राशि का प्रावधान करना पड़ेगा। जबकि करंट फाइनेंशियल ईयर यानी 2023-24 में लाड़ली बहना योजना पर अमल के लिए सरकार ने बजट में 8 हजार करोड़ रुपए की राशि का प्रावधान किया है। ये राशि नवंबर तक के भुगतान के  लिए है।  इस लिहाज से योजना की राशि 1 हजार से बढ़ाकर 3 हजार करने के लिए उसे वर्तमान बजट 8 हजार करोड़ रुपए से करीब साढ़े 5 गुना बढ़ाकर 45 हजार करोड़ रुपए करना होगा।





सरकार के कुल बजट से ज्यादा हो गया कर्ज, ब्याज चुकाने पर ही सालाना 22 हजार करोड़ से ज्यादा खर्च





अब यदि सरकार के कुल बजट और उस पर कुल कर्ज के आंकड़ों पर नजर डालें तो वित्त वर्ष 2023-24 में सरकार का कुल बजट 3 लाख 14 हजार 25 करोड़ रुपए है, जबकि प्रदेश पर वर्तमान में कर्ज की राशि बढ़कर 3 लाख 85 हजार करोड़ रुपए हो गई है। यानी अभी सरकार पर कर्ज की राशि उसके कुल बजट से भी कहीं ज्यादा है। करीब 81 हजार करोड़ रुपए ज्यादा, जो सरकार की आर्थिक सेहत के लिहाज से किसी भी सूरत में अच्छी नहीं कही जा सकती। सरकार लोकलुभावन योजनाओं के लिए कितनी तेजी से कर्ज ले रही है इसका अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले साल यानी 31 मार्च 2022 को प्रदेश पर कुल 3 लाख 3 हजार करोड़ रुपए का कर्ज था। यदि इसे प्रति व्यक्ति कर्ज के हिसाब से आंका जाए तो प्रदेश में कर्ज की राशि प्रति व्यक्ति 41 हजार से बढ़कर 47 हजार रुपए पहुंचने का अनुमान है। सरकार ने कर्ज की राशि का ब्याज चुकाने के लिए फाइनेंशियल ईयर 2022-23 में 22 हजार 166 करोड़ रुपए की राशि खर्च की है। इससे पहले 2017-18 में कर्ज की राशि का ब्याज चुकाने का खर्च 11 हजार करोड़ रुपए था। यानी सरकार के कर्ज का सिर्फ ब्याज चुकाने की राशि 5 साल में बढ़कर दोगुना हो गई है।





शुरुआत में 2.65 करोड़ महिलाओं को लाड़ली बहना बनाना चाहते थे शिवराज





प्रदेश में 2008 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी का सत्ता में वापसी के लिए गेम चेंजर मानी गई लाड़ली लक्ष्मी योजना की तरह ही 2023 के विधानसभा चुनाव के लिए लाड़ली बहना योजना लागू करने का प्लान बनाया गया। सरकार के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक शुरुआत में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपनी इस महत्वाकांक्षी और क्रांतिकारी योजना के दायरे में ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को लाना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने इस योजना को जाति और गरीबी रेखा के मापदंड के बंधनों से मुक्त रखने के निर्देश योजना का प्लान तैयार करने वाले अफसरों को दिए थे। इस लिहाज से प्रदेश में 18 साल से ज्यादा उम्र की महिला मतदाताओं की संख्या करीब 2 करोड़ 65 लाख मानी गई थी। लेकिन खजाने की पतली हालत को देखते हुए वित्त विभाग के अफसरों ने सरकार को समझाया की खजाने की हालत देखते हुए लाड़ली बहना योजना में अधिकतम 1 करोड़ महिलाओं को ही लाभ के दायरे में लाया जा सकता है।





खजाने की कमजोर सेहत को देखकर 1.25 करोड़ महिलाओं को चुना





उस समय सरकार के अफसरों को इस योजना के लिए महिलाओं की संख्या 2 करोड़ 65 लाख से घटाकर एक करोड़ करने में खासी मशक्कत करनी पड़ी थी। चूंकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान चाहते थे की योजना के दायरे में समाज के हर जाति वर्ग की महिला कवर हो जाए, लेकिन इसके लिए पूर्व में तय की गई सभी शर्तें जोड़ने के बाद भी महिलाओं का आंकड़ा डेढ़ करोड़ से कम नहीं हो पा रहा था। अतः इसीलिए वित्त विभाग और महिला बाल विकास विभाग के अफसरों को योजना के लिए पात्र महिलाओं की संख्या कम करने के लिए इसमें नई शर्तें जोड़नी पड़ीं। लाड़ली बहना योजना लागू करने के लिए सरकार के सामने बजट में अपेक्षित राशि का प्रावधान करना बड़ी चुनौती था। इस लिहाज से सरकार ने बीच का रास्ता निकालकर करीब सवा करोड़ महिलाओं को इस योजना के दायरे में लाने का फैसला किया।





दोगुना से भी ज्यादा बढ़ाना पड़ा बजट





अब लाड़ली बहना योजना के प्लान के मुताबिक 1करोड़ महिलाओं के खातों में हर महीने 1 हजार की राशि डालने के लिए ही महिला बाल विकास विभाग के बजट में हर साल 12 हजार करोड़ रुपए की राशि का प्रावधान करने की जरूरत थी। पिछले वित्त वर्ष (2022-23) में महिला बाल विकास विभाग का कुल बजट 5 हजार करोड़ रुपए था। इस लिहाज से लाड़ली बहना योजना को लागू करने के लिए सरकार को वर्ष 2023-24 में विभाग का बजट दोगुना से ज्यादा करना पड़ा।



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