आशीष सोमपुरा ने बनाया है राम मंदिर का डिजाइन, संतों ने दी थी हरी झंडी, हजारों साल तक रहेगा सुरक्षित

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Rahul Garhwal
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आशीष सोमपुरा ने बनाया है राम मंदिर का डिजाइन, संतों ने दी थी हरी झंडी, हजारों साल तक रहेगा सुरक्षित

AYODHYA. 22 जनवरी को राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होगी। अभिजीत मुहूर्त मृगशिरा नक्षत्र में रामलला विराजेंगे। भव्य राम मंदिर का डिजाइन आशीष सोमपुरा ने बनाया है। इन्हीं के दादाजी ने सोमनाथ मंदिर का डिजाइन बनाया था।

दादा ने सोमनाथ, पोते ने बनाया राम मंदिर का डिजाइन

आशीष सोमपुरा ने बताया कि उनका परिवार कई साल से मंदिर डिजाइन के काम से जुड़ा है। बिड़ला परिवार के बनवाए करीब सभी मंदिर उनके परिवार ने ही डिजाइन किए हैं। विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष अशोक सिंघल के घनश्यामदास बिड़ला से बहुत अच्छे संबंध थे। अशोक जी राम मंदिर का डिजाइन बनवाना चाहते थे। उन्होंने बिड़ला जी से पूछा कि आप मंदिर का डिजाइन किससे बनवाते हो। बिड़ला जी ने उन्हें आशीष सोमपुरा के पिता चंद्रकांत सोमपुरा के बारे में बताया। आशीष के दादाजी ने सोमनाथ मंदिर का डिजाइन बनाया था। अशोक जी ने मेरे पिता के लिए कहा कि उन्हें बुला लीजिए, हमें राम मंदिर निर्माण से जुड़े काम के लिए जरूरत है।

3 में से 1 डिजाइन फाइनल

आशीष सोमपुरा ने बताया कि उनके पिताजी दिल्ली पहुंचे। 3 कमरों में जाकर 15 से 20 मिनट तक चलते रहे। उन्होंने कदमों से ही जमीन मापी। एक-एक कदम की लंबाई डेढ़ फीट तय की। उस माप को याद करते हुए ये भी देखा कि कितनी जगह पर काम किया जा सकता है। उन्होंने साइट के अनुमानित माप और जगह के आधार पर 3 डिजाइन तैयार किए। तीनों डिजाइनों की समीक्षा के बाद विश्व हिंदू परिषद ने एक डिजाइन फाइनल किया।

राम मंदिर का पहला मॉडल

राम मंदिर के डिजाइन की खासियत अष्टकोणीय गर्भ गृह था। किसी मंदिर में अष्टकोणीय गर्भगृह कम ही मिलता है। विष्णु जी की आकृति अष्टकोणीय है, मंदिर का शिखर भी उसी आकृति में बना है। आशीष के पिता के बनाए डिजाइन पर सभी ने सहमति दी। एक लकड़ी का मॉडल बनाया दया। ये मॉडल 5 फीट लंबा और ढाई फीट चौड़ा था। कुंभ के मेले में साधु-संतों को ये मॉडल दिखाया गया। उन्हें ये पसंद आया।

नया डिजाइन पुराने से अलग नहीं

आशीष सोमपुरा ने बताया कि राम मंदिर का मौजूदा डिजाइन पुराने मंदिर के डिजाइन का ही विस्तार है। इसमें कुछ नया नहीं है। ये खास डिजाइन इसलिए रखा गया क्योंकि ट्रस्ट का मानना था कि जो मॉडल उन्होंने पहले बनाया था, उसे कई राम भक्तों ने अपने मंदिर में रखा है। उनके मन में राम मंदिर की वही छवि थी। वे मंदिर के मूल स्वरूप को बदलना नहीं चाहते थे। इसलिए हमने इसे ही बढ़ाया।

राम मंदिर निर्माण में पुराने पत्थरों का इस्तेमाल

1992 से 1996 तक मंदिर के लिए पत्थरों की नक्काशी की गई थी। वे पत्थर वहीं पड़े थे। लोग दर्शन के लिए आते थे, तो उनकी पूजा करते थे। इसलिए ट्रस्ट ने सख्त निर्देश दिए थे कि इन पत्थरों का इस्तेमाल किया जाए। इनसे लोगों की आस्था जुड़ी है। पुराने पत्थरों का भी इस्तेमाल किया गया है। देशभर से आई ईंटों का इस्तेमाल भी किया गया है।

किस शैली में बना राम मंदिर

राम मंदिर को नागर शैली में तैयार किया गया है। वास्तुशिल्प में नागर शैली ज्यादा समृद्ध है। भारत में 16 प्राचीन शैलियां थीं, लेकिन अब नागर शैली, वेसर शैली और द्रविड़ शैली ज्यादा मिलती हैं। गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में नागर शैली बहुत लोकप्रिय है। वेसर शैली ओडिशा में प्रचलित है। दक्षिण में द्रविड़ शैली का इस्तेमाल किया जाता है।

3 में से एक मूर्ति की होगी प्राण प्रतिष्ठा

राम मंदिर के गर्भ गृह में 51 इंच की रामलला की मूर्ति रखी जाएगी। पूरे भारत से अच्छे कलाकार मूर्ति निर्माण के लिए चुने गए थे। रामलला के स्केच बनाए गए और फिर ट्रस्ट और समिति ने एक स्केच फाइनल किया। इस स्केच से राजस्थान, तमिलनाडु, कर्नाटक के मूर्तिकारों को रामलला की मूर्ति बनाने का काम दिया गया है। एहतियात के तौर पर 3 मूर्तियां तैयार की जा रही हैं। ट्रस्ट और कमेटी जिसे सेलेक्ट करेंगे, वो मूर्ति गर्भ गृह में रखी जाएगी।



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