पीएम नरेंद्र मोदी के साथ रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कराने वाले यजमान अनिल मिश्रा के बारे में जानिए सबकुछ

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BP Shrivastava
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पीएम नरेंद्र मोदी के साथ रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कराने वाले यजमान अनिल मिश्रा के बारे में जानिए सबकुछ

AYODHYA. अयोध्या राम मंदिर ( Ram Mandir) में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा (praan pratishtha) पद्धति के हिसाब पूजा का सिलसिला 16 जनवरी से प्रारंभ हो गया है। इस पूजा समारोह का समापन 22 जनवरी को का भव्य समारोह के साथ होगा। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल होंगे। इस पूरे पूजा समारोह में डॉ. अनिल मिश्रा (Dr.Anil Mishra) और उनकी पत्नी ऊषा मिश्रा यजमान की जिम्मेदारी निभा रही हैं। डॉ. मिश्रा, अयोध्या राम मंदिर ट्रस्ट के सदस्य और आरएसएस (RSS) के पुराने स्वयंसेवक हैं।

इस वजह से मिश्रा को यजमान बनाया

राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के ऑफिस इंचार्ज प्रकाश गुप्ता के मुताबिक प्राण प्रतिष्ठा के लिए सात दिन पूजा का विधान है, तो फिर सात दिन किसी न किसी को बैठ कर पूजा करनी है। उन्होंने डॉ. अनिल मिश्रा को यजमान के तौर पर चुनने के पीछे दो कारण थे - एक तो वो मंदिर ट्रस्ट के ट्रस्टी हैं और दूसरा- वो अयोध्या में उपलब्ध हैं। हमारे तमाम अन्य ट्रस्टी साधु संत हैं। इसलिए डॉ. अनिल मिश्रा और उनकी पत्नी को चुना गया।

यह है प्राण प्रतिष्ठा पूजा का विधान

गुप्ता ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी आखिरी दिन आएंगे, तो पहले दिन से आखिरी दिन तक किसी को बैठ कर पूरी पूजा करने का दायित्व निभाना था। विधान के अनुसार किसी को यजमान बन कर पूजा पाठ करने की जिम्मेदारी निभानी पड़ती है। इसीलिए डॉ. अनिल मिश्रा को यजमान बनाया गया और वो 16 जनवरी से पूजा कर रहे हैं। आखिरी दिन यानी पूजा के समापन पर प्रधानमंत्री मोदी शामिल होंगे। जब अनिल मिश्रा यजमान बन कर सातों दिन पूजा कर रहे हैं तो आखिरी दिन भी वह पूजा में शामिल होंगे।

यजमान का अर्थ

वाराणसी के लक्ष्मीकांत दीक्षित अनुष्ठान के प्रधान पुजारी हैं। उन्होंने बताया कि संस्कृत में यजमान का अर्थ ऐसे व्यक्ति या संरक्षक से जो अनुष्ठान या यज्ञ करता है। अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में प्रधानमंत्री मोदी और डॉ. अनिल मिश्रा मुख्य यजमान हैं।

राम मंदिर आंदोलन में डॉ. मिश्रा की अहम भूमिका

अनिल मिश्रा ने राम मंदिर आंदोलन में काफी अहम भूमिका निभाई थी। वे सरकार द्वारा गठित राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य हैं। अयोध्या निवासी डॉ. मिश्रा पिछले चार दशकों से शहर में अपना होम्योपैथिक क्लिनिक चला रहे हैं। उनका जन्म यूपी के अंबेडकर नगर जिले में हुआ। कुछ साल पहले वह उत्तर प्रदेश होम्योपैथिक बोर्ड के रजिस्ट्रार और गोंडा के जिला होम्योपैथिक अधिकारी के पद से सेवानिवृत्त हुए। RSS के सक्रिय सदस्य के रूप में उन्होंने इमरजेंसी का विरोध किया। 1981 में उन्होंने बैचलर ऑफ होम्योपैथिक मेडिसिन एंड सर्जरी में डिग्री हासिल की। अनिल मिश्रा का RSS के पुराने सिपाही हैं।

सरयू में डुबकी लगाकर मिश्रा ने शुरू किया व्रत

मंगलवार, 16 जनवरी को जैसे ही पूर्व-अनुष्ठान शुरू हुआ। मुख्य यजमान होने के नाते डॉ. मिश्रा ने सरयू नदी में डुबकी लगाई और फिर व्रत शुरू करने से पहले पंचगव्य (गाय का दूध, दही, घी, गोबर, गौमूत्र) लिया। फिर उन्होंने प्रश्चिता, संकल्प, कर्मकुटी पूजा की।

डॉ. मिश्रा और उनकी पत्नी ने किया हवन

बुधवार को डॉ. मिश्रा और उनकी पत्नी ने कलश पूजन किया, जिसके बाद बर्तनों में सरयू नदी से जल भरकर उस स्थान पर ले गए। जहां अनुष्ठान किया जा रहा है। दूसरे दिन भगवान रामलला की मूर्ति ने आंखें बंद कर मंदिर परिसर का भ्रमण किया। दूसरे दिन जलयात्रा, तीर्थ पूजा, ब्राह्मण-बटुक-कुमारी-सुवासिनी पूजा, वर्धिनी पूजा, कलशयात्रा और मूर्ति का भ्रमण निर्धारित था। कुल 121 पुजारी अनुष्ठान कर रहे हैं और वैदिक विद्वान गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ इस पूरी पूजा पद्धति की देखरेख कर रहे हैं।

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