BHOPAL. अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर में रामलला विराजमान हो जाएंगे। दुनिया में जहां भी सनातनी हैं, वहां श्री राम की पूजा की जाती है। वहीं आपको जानकर हैरानी हो सकती है कि एक ऐसा क्षेत्र भी है, जहां राम को जमकर गाली भी दी जाती है। राम को गाली देने की प्रथा सदियों पुरानी है। यहां घर-घर में राम पूजे भी जाते हैं।
दामाद को गाली देने की परंपरा
बिहार की मिथिला के लोग राम को दामाद (पाहुन) के तौर पर गाली देते हैं। शादी से संबंधित कोई भी रस्म हो, महिलाएं उनके नाम से गाली जरूर देती हैं। शादी-विवाह के समय हर घर में गूंजता है रामजी से पूछे जनकपुर की नारी, बता दा बबुआ, लोगवा देत काहे गारी। लोग उन्हें अपने पाहुन (दामाद) के रूप में देखते हैं।
ये भजन है प्रचलित
राम जी से पूछे जनकपुर की नारी,
बता दा बबुआ लोगवा देत काहे गारी,
बता दा बबुआ।
तोहरा से पुछु मैं ओ धनुषधारी,
एक भाई गोर काहे एक काहे कारी,
बता दा बबुआ लोगवा देत काहे गारी,
बता दा बबुआ।
ई बूढ़ा बाबा के पक्कल पक्कल दाढ़ी,
देखन में पातर खाये भर थारी,
बता दा बबुआ लोगवा देत काहे गारी,
बता दा बबुआ।
राजा दशरथ जी कइलन होशियारी,
एकता मरद पर तीन तीन जो नारी,
बता दा बबुआ लोगवा देत काहे गारी,
बता दा बबुआ।
कहथिन सनेह लता मन में बिचारिन,
हम सब लगैछी पाहून सर्वो खुशहाली,
बता दा बबुआ लोगवा देत काहे गारी,
बता दा बबुआ।
राम जी से पूछे जनकपुर की नारी,
बता दा बबुआ लोगवा देत कहे गारी,
बता दा बबुआ।
मिथिला में हुआ माता सीता का जन्म
उत्तरी बिहार और नेपाल की तराई का इलाका पौराणिक काल से मिथिला या मिथिलांचल के नाम से प्रसिद्ध है। धार्मिक ग्रंथ रामायण, महाभारत, पुराण, जैन और बौद्ध ग्रन्थों में भी इसका उल्लेख है। मिथिला प्राचीन भारत में एक राज्य था और अपनी बौद्धिक परंपरा के लिए देश-विदेश में जाना जाता रहा है। कुछ दिनों तक यहां तीर भुक्ति (तिरहुत) की राजधानी थी। इसे तिरहुत भी कहा जाता है। मिथिला नरेश राजा जनक के काल में सीता जी का प्रादुर्भाव सीतामढ़ी के पास पुनौरा में और पालन-पोषण जनकपुर में हुआ था। इसलिए भारत और नेपाल के मिथिलावासी सांस्कृतिक दृष्टि से एक ही रहे हैं।
मिथिला के लोग राम भक्त
मिथिला के लोग राम के भक्त हैं। भगवान राम की शादी मिथिला में होने के कारण वे यहां के दामाद हैं। यहां दामाद के उत्कृष्ट सत्कार की प्रथा है। यहां आज भी दामाद को राम की तरह और बेटी को सीता की तरह सम्मान दिया जाता है। मिथिला में छप्पन भोग का वास्तविक स्वरूप दामाद के भोजन के दौरान दिखता है, कई तरह के पकवान बनते हैं। मिथिलांचल में दिवाली पर लक्ष्मी-गणेश के साथ-साथ राम और सीता की पूजा भी की जाती है। विवाह के मौके पर नवदंपति को सीता-राम की जोड़ी कहा जाता है।
जनकपुर सीता का ननिहाल
मिथिलावासियों को भगवान राम को दामाद के रूप में पाने का गौरव प्राप्त है। हर दूल्हे में राम की छवि देखी जाती है। मिथिलावासियों को ये पूर्ण विश्वास है कि अवध नरेश राम का नाम मिथिला की बेटी सीता के प्रताप से है। जनकपुर सीता का ननिहाल है। लोग कहते हैं जो मिथिलावासी जनकपुर नहीं आते, वे अगले जन्म में कौआ बनते हैं।