AYODHYA. मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की नगरी अयोध्या में मंदिर के उद्घाटन के लिए बड़े पैमाने पर तैयारियां चल रही हैं। तीन मंजिला राम मंदिर का प्रथम तल तैयार है। अब दूसरे माले पर काम चल रहा है। 22 जनवरी को होने वाले रामलला के प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव की व्यवस्थाओं को अंतिम रूप दिया जाने लगा है। समारोह न भूतो न भविष्यति... की तर्ज पर होगा। यह आयोजन कई मायनों में खास होगा। समारोह के जरिए दुनियाभर को संदेश देने की कोशिश है। इनमें दिशाओं का भी खास महत्व है।
दिशाओं का खास गणित
उत्तर दिशा: 22 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुख्य आतिथ्य में प्राण प्रतिष्ठा होगी। पीएम मोदी दक्षिण दिशा से रामजन्मभूमि परिसर में प्रवेश करेंगे। पीएम उत्तर स्थित राम मंदिर में कदम रखेंगे। इसके पीछे उत्तर व दक्षिण के बीच संबंध को प्रगाढ़ करने का संदेश छुपा होगा। रामचरित मानस के श्लोक उत्तरदिसि सरयू बहि पावन... से पता चलता है कि अयोध्या उत्तर दिशा में है।
एक संदेश देने की कोशिश
प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के जरिए मोदी सरकार सबमें राम, सबके राम... का संदेश प्रसारित करेगी। दूसरा, प्रधानमंत्री का मंदिर परिसर में दक्षिण दिशा से प्रवेश करने के पीछे एक खास मकसद यह है कि 14 वर्ष के वनवास के बाद जब भगवान श्रीराम अयोध्या पहुंचे थे तो उनकी यात्रा दक्षिण से उत्तर की ओर रही थी।
पीएम मोदी के कार्यक्रम एक नजर
मान्यता है कि वनवास के दौरान भगवान श्रीराम ने जटायु का उद्धार किया। शबरी के बेर खाए। फिर जब लंका की ओर बढ़ रहे थे तो निषादराज और केवट को गले लगाया। लिहाजा, अब पीएम मोदी जब 22 जनवरी को अयोध्या पहुंचेंगे तो पहले जटायु मंदिर पहुंचकर दर्शन पूजन कर सकते हैं।
सूत्रों के मुताबिक, पीएम मोदी 21 जनवरी की शाम को ही अयोध्या पहुंच सकते हैं। वे 22 जनवरी को सुबह सरयू स्नान के बाद केवट समाज के प्रतिनिधि मंडल से भी भेंट कर सकते हैं।
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अनुसार, मंदिर परिसर 71 एकड़ में है। मंदिर तीन मंजिला होगा। 8 एकड़ में राम मंदिर होगा। मुख्य भवन 57400 स्क्वायर फीट एरिया में बन रहा है। इसकी लंबाई 360 फीट और चौड़ाई 235 फीट है। मंदिर का शिखर 161 फीट ऊंचा होगा। मंदिर की पूर्व दिशा में सिंह द्वार होगा, यही मुख्य प्रवेश द्वार भी होगा। आगे नृत्य मंडप, रंग मंडप, गृह मंडप, गुण मंडप और सबसे आखिर में गर्भगृह होगा, जहां रामलला विराजमान होंगे।