BHOPAL. 500 साल बाद आखिरकार राम लला (Ram Lalla) अयोध्या में विराजमान हो चुके हैं। अयोध्या में 6 दिन चले अनुष्ठान के बाद सोमवार 22 जनवरी को रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा हो गई। श्रीराम की नगरी अयोध्या (Ayodhya Ram Mandir) में पहुंचना लोगों के लिए और भी आसान हो जाएं इसके लिए आस्था स्पेशल ट्रेन चलाई गई है। लेकिन अब अयोध्या जाने वाली आस्था स्पेशल ट्रेनों में कम से कम 15 लोगों को ही ग्रुप रिजर्वेशन मिल सकेगा। सिंगल-डबल यात्रियों को फिलहाल टिकट नहीं मिलेगी।
सिंगल-डबल को नहीं मिलेगा टिकट
आस्था स्पेशल ट्रेनों के पहले चरण में इन ट्रेनों को राजनीतिक दल, सामाजिक संगठनों के जरिए बुक किया जा रहा है। इस वजह से आपको सिर्फ ग्रुप रिजर्वेशन लेना होगा। बता दें, ट्रेनों का संचालन इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन (आईआरसीटी) से किया जा रहा है। जानकारी के अनुसार किराए की पूरी राशि एक ही राजनीतिक दल या सामाजिक संगठन के माध्यम से चुका दी जाएगी। उसके बाद ट्रेनों के निर्धारित शेड्यूल के अनुसार संबंधित दल, संगठन उनके द्वारा बनाए गए यात्रियों के ग्रुप की लिस्ट आईआरसीटीसी को उपलब्ध करवा देंगे। यात्रा दिनांक को संबंधित ग्रुप के यात्री आईडी के माध्यम से इनमें यात्रा कर सकेंगे।
अभी अयोध्या के लिए ये ट्रेनें
- अयोध्या पहुंचने के लिए अभी तक दो साप्ताहिक ट्रेनें है।
- 15024 यशवंतपुर-गोरखपुर
- 19321 इंदौर-पनवेल एक्सप्रेस
सुबह 7 से शाम 7 बजे से दर्शन
राम मंदिर सुबह 7 बजे से 11:30 बजे तक भक्तों के लिए खुला रहेगा। इसके बाद प्रभु की मध्यान आरती होगी। मंदिर परिसर पूरे दिन 9 घंटे तक खुलेगा। दोपहर में ढाई घंटे भोग और विश्राम के लिए मंदिर बंद रहेगा। दोपहर 2 बजे फिर से मंदिर के पट खुलेंगे और शाम 7 बजे तक रामलला के दर्शन होंगे। यानी सुबह 7 बजे से 11.30 बजे और फिर दोपहर 2 बजे से शाम 7 बजे से दर्शन हो सकेंगे। हालांकि बाद में इसमें बदलाव किया जा सकता है।
मंदिर में इन चीजों को ले जाने पर प्रतिबंध
श्रद्धालुओं को रामलला के दर्शन करने से पहले कुछ चीजों का ध्यान रखना पड़ेगा। राम मंदिर में कई लेयर की सिक्योरिटी रहेगी। श्रद्धालुओं को सेलफोन और स्मार्ट वॉच जैसे गैजेट्स, यहां तक कि पेन भी बाहर जमा करवाना होगा। मंदिर परिसर में किसी भी तरह का इलेक्ट्रॉनिक सामान ले जाने पर रोक है।
राम मंदिर का इतिहास
राम मंदिर का निर्माण पहली बार 16वीं शताब्दी में किया गया था। उस समय, मंदिर का निर्माण अयोध्या के राजा टोडरमल ने करवाया था। 16वीं शताब्दी में, मुगल सम्राट बाबर ने मंदिर को नष्ट कर दिया और उसके स्थान पर एक मस्जिद का निर्माण करवाया। 1980 के दशक में, हिंदू संगठनों ने राम मंदिर के निर्माण की मांग शुरू की। इस मांग के समर्थन में कई आंदोलनों और विरोध प्रदर्शन हुए। 1992 में, विश्व हिंदू परिषद (VHP) के नेतृत्व में एक भीड़ ने बाबरी मस्जिद को तोड़ दिया। इस घटना के बाद, भारत में सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी। 2019 में, भारत की सर्वोच्च न्यायालय ने राम मंदिर के निर्माण के पक्ष में फैसला सुनाया। फैसले के बाद, मंदिर का निर्माण शुरू हुआ। मंदिर का निर्माण 2023 में पूरा हुआ।