रामलला को बाल रूप देने कई महीने बच्चों के साथ रहे, 2000 बच्चों की फोटो देखी, जानिए अरुण योगीराज की पूरी कहानी

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BP Shrivastava
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रामलला को बाल रूप देने कई महीने बच्चों के साथ रहे, 2000 बच्चों की फोटो देखी, जानिए अरुण योगीराज की पूरी कहानी

MYSORE. छेनी-हथौड़े के संगीत के बीच पल-बढ़े मूर्तिकार अरुण योगीराज की बनाई रामलला की प्रतिमा अयोध्या राम मंदिर के गर्भगृह में स्थापित की गई है। जिसकी प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को होना है। यहां हम अरुण योगीराज की पूरी कहानी पेश कर रहे हैं। अरुण से रामलला की मूर्ति बनाने से पहले बच्चों की 2000 से ज्यादा तस्वीरें देखीं। महीनों तक बच्चों को ऑब्जर्व किया। इसके लिए स्कूल, समर कैंप, पार्क गए। घंटों बच्चों को खेलते हुए देखा...। छेनी- हथौड़े की करकसभरी आवाज उनके लिए बचपन से संगीत बन गई। जिसने आज अरुण को दुनिया का हीरो बना दिया।

हमारी सीधे तो अरुण से बातचीत नहीं हो सकी, लेकिन उनकी पत्नी विजेता से मिलने का लम्बी बातचीत हुई। उन्होंने रामलला की मूर्ति बनाने के अवसर से लेकर गर्भगृह में विराजने तक की पूरी कहानी सिलसिलवार बताई।

इस कहानी की शुरुआत जनवरी, 2023 से होती है। राम मंदिर ट्रस्ट ने रामलला की प्रतिमा बनाने के लिए नोटिफिकेशन जारी किया था। मई में अरुण दिल्ली गए, प्रजेंटेशन दिया और सिलेक्ट हो गए। बीते गुरुवार यानी 18 जनवरी 2024 को उनकी बनाई प्रतिमा गर्भगृह में स्थापित कर दी गई।

छोटी सी वर्कशॉप, 120 साल पुराना घर, 20 से ज्यादा लोगों का परिवार

अयोध्या में जब रामलला की प्रतिमा स्थापित हो रही थी, तब दो हजार किलोमीटर दूर मैसूर के फोर्ट मोहल्ले के मकान नंबर-9 के बाहर बनी छोटी सी वर्कशॉप में 15 से ज्यादा मूर्तिकार छेनी-हथौड़ी से पत्थरों को तराशकर मूर्तियां बना रहे थे। ये वर्कशॉप अरुण योगीराज की है। इसके ठीक पीछे उनका करीब 120 साल पुराना घर है, जिसमें 20 से ज्यादा लोगों का परिवार रहता है।

मूर्ति बनाने का हुनर अरुण के DNA में

विजेता बताती हैं, 'मूर्ति बनाने का हुनर हमारे DNA में है। अरुण का परिवार पांच पीढ़ियों से यही काम कर रहा है। अरुण को ट्रेनिंग उनके पापा योगीराज शिल्पी ने दी थी। उन्होंने ( योगीराज ) अपने पिता बसवन्ना शिल्पी से मूर्तिकला सीखी थी। बी. बसवन्ना शिल्पी मैसूर के राजा के खास शिल्पकारों में शामिल थे। वाडियार घराने के महलों को खूबसूरत बनाने से उन्हें पहचान मिली थी।'

अरुण का मैसूर में है वर्कशॉप

'अरुण के दादा ने मूर्तिकारों को ट्रेनिंग देने के लिए ब्रह्मश्री शिल्पकला स्कूल खोला था। अरुण के पिता ने 40 साल तक इस स्कूल में ट्रेनिंग दी। 2021 में एक रोड एक्सीडेंट में उनका निधन हो गया। तब से अरुण बड़े भाई सूर्यप्रकाश के साथ वर्कशॉप संभाल रहे हैं।'

अनाउंसमेंट से पहले पता नहीं था अरुण की मूर्ति सिलेक्ट हुई

अनाउंसमेंट के पहले तक परिवार को पता नहीं था कि अरुण की मूर्ति सिलेक्ट हो गई। विजेता बताती हैं, श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने मूर्ति के बारे में अनाउंस किया। इसके बाद मीडिया के लोग हमारे घर आने लगे। वे हमसे कंफर्मेशन लेना चाह रहे थे। हमने अरुण को फोन किया तब हमें पहली बार पता चला राम मंदिर में उनकी बनाई मूर्ति स्थापित होगी।

अरुण को रामलला की प्रतिमा बनाने का काम कैसे मिला ?

विजेता के मुताबिक, 'मई, 2023 में देशभर के बड़े आर्टिस्ट दिल्ली बुलाए गए थे। वहां सभी को प्रजेंटेशन देना था। इसमें से कुछ लोग शॉर्ट लिस्ट हुए थे। अरुण भी गए थे।प्रजेंटेशन के बाद अरुण वापस मैसूर आ गए। उसके बाद भी दिल्ली में तीन मीटिंग हुई थीं। जिसमें वे शामिल नहीं थे। फाइनल रिजल्ट के दिन वे घर पर थे। वहां से किसी बड़े व्यक्ति का फोन आया। इसके तुरंत बाद अरुण फ्लाइट से दिल्ली चले गए। फोन किसने किया था, ये नहीं पता पर वे संभवत: कमेटी के कोई मेंबर थे।

रामलला की प्रतिमा बनाना बड़ा काम, चूक की गुंजाइश नहीं

रामलला की प्रतिमा बनाने का काम कितना चैलेंजिंग था? इस पर विजेता कहती हैं, 'अरुण के लिए ये बहुत जिम्मेदारी का काम था। उन्हें ऐसी प्रतिमा बनानी थी, जिस पर सबकी नजर थी। पत्थर से मूर्ति बनाना बहुत मुश्किल काम होता है। पत्थर अगर कीमती हो, तो छोटी सी चूक सब बर्बाद कर सकती है। पूरा पत्थर खराब हो जाता है। इस काम में चूक की गुंजाइश ही नहीं है।'

करेक्ट मेजरमेंट और शिल्प शास्त्र का पूरा ध्यान रखा

अरुण ने मुझे बताया था कि उन्होंने प्रतिमा बनाते वक्त करेक्ट मेजरमेंट और शिल्प शास्त्र का पूरा ध्यान रखा। प्रतिमा बनाने के लिए गहरी रिसर्च और नॉलेज की जरूरत होती है। हमारी पांच पीढ़ियों से जो नॉलेज ट्रांसफर हुई, शायद उसी की वजह से अरुण को ये अचीवमेंट हासिल करने में मदद मिली।

क्या कभी सोचा था कि अरुण की बनाई प्रतिमा गर्भगृह में स्थापित होगी ?

विजेता कहती हैं, प्रतिमा मंदिर में स्थापित होना ही बड़ी उपलब्धि है, जिसमें उसे गर्भगृह में स्थापित करना तो वरदान है। हालांकि अरुण के साथ सिलेक्ट हुए तीनों ही आर्टिस्ट बहुत अच्छे हैं। हमें पहले यही पता था तीनों की प्रतिमाएं मंदिर में स्थापित की जाएंगी। हम इसी से खुश थे, भले गर्भगृह में जगह मिले न मिले, लेकिन हमारी प्रतिमा मंदिर में तो स्थापित होगी। भगवान की कृपा है कि हमारी प्रतिमा अब गर्भगृह में स्थापित हो गई है।

Ram Mandir Ayodhya राम मंदिर अयोध्या Pran Pratistha प्राण प्रतिष्ठा Statue of Ramlala रामलला की मूर्ति Arun Yogiraj made the statue of Ramlala Ayodhya Dham अरुण योगीराज ने बनाई रामलला की मूर्ति अयोध्या धाम