रामनवमी पर सूर्य भगवान करेंगे श्रीराम का अभिषेक, दोपहर ठीक 12 बजे दमकेगा प्रभु का ललाट, जानें मूर्ति की विशेषताएं

author-image
BP Shrivastava
एडिट
New Update
रामनवमी पर सूर्य भगवान करेंगे श्रीराम का अभिषेक, दोपहर ठीक 12 बजे दमकेगा प्रभु का ललाट, जानें मूर्ति की विशेषताएं

AYODHYA. अयोध्या में विराज रहे रामलला की चारों-ओर जबरदस्त चर्चा है और हो भी क्यों ना, वे असंख्य लोगों के आराध्य हैं। अब देखिए, रामलला को निहारने के लिए सूर्य भगवान खुद पहुंचने वाले हैं और उसके लिए सूर्य भगवान ने खुद वो दिन चुना है जिस दिन रामलला का जन्मोत्सव ( रामनवमी ) मनाया जाता है। वास्तूकारों ( Architects) ने राम मंदिर में स्थापित की जा रही रामलला की मूर्ति को के लिए वैज्ञानिक तरीके से 'स्थान' का चयन किया है। जिससे हर साल रामनवमी के दिन सूर्य की किरणें सीधे रामलला की मूर्ति पर पड़ेंगी और उस दृष्य को निहारने के लिए हर कोई लालायित होगा।

अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की सलाह ली गई

अयोध्या राम मंदिर के गर्भ गृह में विराजमान होने जा रही रामलला की प्रतिमा दिव्‍य मोहक अलौकिक है। मंदिर ट्रस्ट की ओर से भी इस पर अपनी मुहर लगा दी गई है। ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने इस बारे में विस्तार से जानकारी दी है। उन्होंने बताया है कि प्रभु श्रीराम की मूर्ति को इस प्रकार से बनाया गया है कि प्रत्येक वर्ष रामनवमी को भगवान सूर्य स्वयं श्रीराम का अभिषेक करेंगे। उन्होंने बताया कि भारत के प्रख्यात अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की सलाह पर मूर्ति की लंबाई और उसे स्थापित करने की ऊंचाई को इस प्रकार से रखा गया है कि हर साल चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को दोपहर 12 बजे सूर्य की किरणें प्रभु श्रीराम के ललाट पर पड़ेंगी।

बेहद बारीकी से तैयार की गई रामलला की प्रतिमा

चंपत राय ने बताया कि तीन शिल्पकारों ने प्रभु श्रीराम की मूर्ति का निर्माण अलग-अलग किया। जिसमें से एक मूर्ति को प्रभु प्रेरणा से चुना गया है। चुनी गई मूर्ति की पैर से लेकर ललाट तक की लंबाई 51 इंच है और इसका वजन डेढ़ टन है। मूर्ति की सौम्यता का बखान करते हुए कहा गया कि श्यामल रंग के पत्थर से निर्मित मूर्ति में ना केवल भगवान विष्णु की दिव्यता और एक राजपुत्र की कांति है, बल्कि उसमें 5 साल के बच्चे की मासूमियत भी है। चेहरे की कोमलता, आंखों की दृष्टि, मुस्कान, शरीर आदि को ध्यान में रखते हुए मूर्ति का चयन किया गया है। 51 इंच ऊंची मूर्ति के ऊपर मस्तक, मुकुट और आभामंडल को भी बारीकी से तैयार किया गया है।

16 जनवरी से प्रारंभ होगी पूजा विधि

ट्रस्ट के अनुसार मूर्ति की प्रतिष्ठा पूजा विधि को 16 जनवरी से प्रारंभ कर दिया जाएगा। इसके अलावा 18 जनवरी को गर्भगृह में प्रभु श्रीराम को आसन पर स्थापित कर दिया जाएगा। प्रभु श्रीराम की मूर्ति की एक विशेषता यह भी है कि इसे अगर जल और दूध से स्नान कराया जाएगा तो इसका नकारात्मक प्रभाव पत्थर पर नहीं पड़ेगा।

मूर्ति की यह भी खासियत

इसके साथ ही अगर कोई उस जल या दूध का आचमन करता है तो शरीर पर भी इसका दुष्प्रभाव नहीं होगा। राममंदिर परिसर में ही महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, निषाद राज, माता शबरी और देवी अहिल्या का भी मंदिर बनाया जाएगा। इसके अलावा जटायु की प्रतिमा को यहां पहले से ही स्थापित कर दिया गया है।

अद्भुत होगा श्रीराम का मंदिर

बताया गया कि राम मंदिर अद्भुत होगा। दक्षिण भारत में ऐसे मंदिर हैं, मगर उत्तर भारत में बीते 300 साल में ऐसा कोई मंदिर निर्मित नहीं हुआ है। इसका निर्माण करने वाले इंजीनियर भी ये मानते हैं कि पत्थर की आयु एक हजार साल होती है। धूप हवा पानी का प्रभाव पत्थर पर पड़ता है। जमीन के संपर्क में होने के कारण पत्थर नमी सोखता है। लेकिन यहां पर पत्थर नमी नहीं सोख पाएगा क्योंकि नीचे ग्रेनाइट लगाया गया है। इसमें लोहे का भी इस्तेमाल नहीं हुआ है।

मंदिर में कांक्रीट का इस्तेमाल बिलकुल नहीं

कारण लोहा ताकत को कमजोर कर देता है। जमीन के नीचे एक ग्राम भी लोहा नहीं लगा है। इस प्रकार की रचना की गई है कि जैसे-जैसे आयु बढ़ेगी जमीन के नीचे एक बहुत ताकतवर चट्टान तैयार हो जाएगी। जमीन के ऊपर किसी भी प्रकार के कांक्रीट का इस्तेमाल नहीं किया गया है, क्योंकि कांक्रीट की आयु 150 साल से ज्यादा नहीं होती। हर कार्य को करते हुए आयु का विचार किया गया है।

सबको दर्शन लाभ, रात के 12 बजे तक भी

ट्रस्ट की ओर से कहा गया है कि 22 जनवरी को दिन में देशभर के पांच लाख मंदिरों में भव्य पूजन अर्चन के साथ ही उल्लास मनाया जाएगा तथा शाम के समय हर सनातनी अपने-अपने घर के बाहर कम से कम पांच दीपक अवश्य जलाएं। साथ ही 26 जनवरी के बाद ही लोग मंदिर में दर्शन के लिए आएं। ट्रस्ट के महासचिव ने आश्वस्त किया कि जब तक सभी लोग दर्शन नहीं कर लेंगे तब तक मंदिर के कपाट खुले रहेंगे, फिर चाहे रात के 12 ही क्यों न बज जाएं।

Ayodhya Ram Temple अयोध्या राम मंदिर Ramlala Pran Pratistha Sun God will look at Ramlala Ram Navami रामलला प्राण प्रतिष्ठा रामलला को निहारेंगे सूर्य भगवान रामनवमी