अयोध्या में रामलला के दर्शन को आप ऐसे पहुंच सकेंगे, जाने धाम की पूरी जानकारी

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BP Shrivastava
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अयोध्या में रामलला के दर्शन को आप ऐसे पहुंच सकेंगे, जाने धाम की पूरी जानकारी

AYODHYA. अयोध्या में श्रीराम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को होगी। यानी आज से ठीक 21वें दिन वर्षों से टेंट में विराजे रामलला मंदिर में पहुंचेंगे। इसे लेकर जबरदस्त तैयारियां चल रही हैं। राम मंदिर में रामलला के दर्शन के लिए रोजाना करीब दो लाख श्रद्धालु आएंगे। मंदिर प्रबंधन के लिए इस भीड़ को मैनेज करना एक चुनौती होगा। अभी भी राम मंदिर का निर्माण जारी है। श्रद्धालुओं के सैलाब को मैनेज करने के बारे में मंदिर के डिजाइन एंड कंट्रक्शन मैनेजर गिरीश सहस्त्रभोजनी ने लोगों के मन में उपज रहीं जिज्ञाषाओं को काफी हद तक दूर किया है। उन्हीं से जानते हैं-

एक रिपोर्ट के मुताबिक गिरीश सहस्रभोजनी राम मंदिर प्रोजेक्ट से 3 साल से जुड़े हैं, मंदिर का करीब हर निर्माण उनकी निगाह में हो रहा है।

श्रीराम मंदिर परिसर

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सभी की निष्ठा- राम का काज बढ़िया हो

गिरीश सहस्त्रभोजनी का मानना है कि राम मंदिर भव्य बनाना है। यह सबका संकल्प है। इसके निर्माण में किसी तरह की कमी या त्रुटि न रहे, यह देखना हमारा काम है। इसके लिए काफी बड़ी टीम है। जैसे ट्रस्ट के इंजीनियर, टाटा कंसल्टिंग के प्रोजेक्ट मैनेजर्स, इवेंट के कॉनट्रैक्टर... सभी की निष्ठा है कि राम का काज बढ़िया होना चाहिए।

श्रद्धालुओं को सामान रखने फ्री लॉकर

उन्होंने बताया कि पूरा कैंपस साढ़े 70 एकड़ जमीन पर है। पूर्व दिशा में नयाघाट वाले रास्ते पर बिड़ला धर्मशाला से मंदिर के लिए रास्ता शुरू होता है। इसे नगर निगम ने बनाया है। नगर निगम ने इसे बहुत सुंदर बनाया है।

गेट से एंट्री करते ही सबसे पहले बैगेज हैंडलिंग यूनिट मिलेगी। यहां श्रद्धालुओं के लिए सामान रखने की सुविधा होगी। थोड़ा आगे यात्री सुविधा केंद्र है। यहां 16 काउंटर रहेंगे, जहां श्रद्धालुओं को सामान रखने के लिए फ्री में लॉकर मिलेंगे।

गर्मियों में पैर न जलें, इसलिए लगाया सफेद मार्बल

यहां से बाहर निकलने पर दूसरे गेट पर श्रद्धालुओं की सिक्योरिटी चेकिंग होगी। सुरक्षा जांच के बाद कॉरिडोर से होते हुए पूर्व दिशा से मंदिर की ओर जा सकेंगे। इस एरिया में सफेद मार्बल लगाया गया है। इससे गर्मी के दिनों में पैर नहीं जलेंगे।

यहां से होते हुए पहुंचेंगे गर्भ गृह में, जहां रामलला के होंगे दर्शन

अंदर आने पर चौकी, नृत्य मंडप, रंग मंडप, गुण मंडप, उपासना मंडप, प्रार्थना मंडप और फिर गर्भ गृह है। परकोटा के अंदर पश्चिम दिशा की तरफ लिफ्ट लगी है। दिव्यांग और बुजुर्ग या ऐसे श्रद्धालु जो पैदल नहीं चल सकते, वे दर्शन के लिए लिफ्ट से जा सकेंगे। परकोटा का रास्ता 14 फीट चौड़ा है।

मंदिर में ऊंचे पर है कुबेर टीला

दर्शन करने के बाद श्रद्धालु दक्षिण द्वार से बाहर निकलेंगे। यहां 7 मंदिर होंगे, इनमें सप्त ऋषियों में से 5 ऋषियों के साथ निषादराज और शबरी माता का मंदिर होगा। मंदिरों में दर्शन के बाद दक्षिण दिशा की तरफ आगे निकलेंगे तो कुबेर टीला है, जो मंदिर के बाकी एरिया से थोड़ी ऊंचाई पर है।

सीढ़िया चढ़कर आगे जाएंगे तो जटायु स्मारक मिलेगा। यहां लगभग 8 मीटर के पंखों वाले जटायु की मूर्ति लगी है। इससे आगे पुराना शिव मंदिर है, जिसे डेवलप किया गया है। कुबेर टीला के चारों ओर मिट्‌टी की रिटेनिंग वॉल बनाई गई है।

सुरक्षा की दृष्टि से मंदिर के चारों ओर चौड़ी रोड

इसके अलावा आग लगने पर फायर टेंडर आसानी से निकल सकें, इसलिए मंदिर के चारों तरफ चौड़ी रोड बनाई गई है। मंदिर के पिछले हिस्से में श्रद्धालुओं के लिए टॉयलेट हैं। यहीं पावर सप्लाई सब स्टेशन और सीवेज ट्रीटमेंट सिस्टम भी बनाया गया है।

सीवेज ट्रीटमेंट, गार्बेज प्रोसेसिंग का सिस्टम मंदिर में ही

आर्केटेक्ट गिरीश सहस्त्रभोजनी के मुताबिक सीवेज ट्रीटमेंट, गार्बेज प्रोसेसिंग का सिस्टम मंदिर में ही होगा। मंदिर की वजह से यहां के लोकल मैनेजमेंट पर किसी तरह का बोझ नहीं बनेगा। पावर के लिए 23 किमी दूर से अलग से बिजली की लाइन आई है, ताकि मंदिर में बिजली के लोड की वजह से शहर के लोगों को दिक्कत का सामना न करना पड़े।

प्रवेश का एक और निकलने के 4 गेट

उन्होंने बताया कि मंदिर में प्रवेश का एक द्वार और निकलने के लिए 4 द्वार होंगे। मंदिर में 4 लाइनों में भक्त अंदर आएंगे। वे दर्शन करके बाईं तरफ से बाहर निकलेंगे। VIP एंट्रेंस के लिए अलग गेट है क्योंकि उनके साथ कई लोग होते हैं। उन्हें मेन गेट से प्रवेश की जरूरत नहीं होगी।

श्रद्धालुओं के सैलाब को नियंत्रित करने कुल 44 दरवाजे

मंदिर में भीड़ को नियंत्रित करने के लिए कुल 44 दरवाजे हैं। इनमें से ग्राउंड फ्लोर पर 14 दरवाजे मंदिर के अंदर आने के लिए हैं। इन पर सोने की परत चढ़ी है। इनके अलावा 4 दरवाजे सीढ़ियों के नीचे हैं। ये लकड़ी के बने हैं। इसी तरह 12 दरवाजे फर्स्ट फ्लोर पर हैं।

ग्रह मंडप के आगे गर्भगृह

ग्रह मंडप के आगे गर्भगृह होगा, जहां रामलला विराजेंगे। ग्रह मंडप में पूर्व की तरफ से आएंगे, तो 3-3 दरवाजे होंगे। उत्तर और दक्षिण दिशा में 3-3 दरवाजे हैं। VIP के लिए प्रदर्क्षिणा मार्ग है, उनके लिए दोनों तरफ एक-एक दरवाजे लगे हैं। बीच वाला दरवाजा गर्भगृह में जाएगा। इसके बाद सीढ़ी के पास 2 दरवाजे फर्स्ट फ्लोर पर जाने के लिए हैं। ऊपर जाने वाली सीढ़ियों के नीचे पूजा की चीजें रखने के लिए जगह है, वहां भी दरवाजे लगे हैं।

मंदिर में पुजारियों के रुकने की भी व्यवस्था नहीं, शिफ्ट में होगी ड्यूटी

सुरक्षा की दृष्टि से बनाए गए सिक्योरिटी टावर अभी कंस्ट्रक्शन के फेज तक रहेंगे। इसके बाद सिक्योरिटी का प्लान पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां देखेंगी। सिक्योरिटी की वजह से मंदिर में पूरी रात रुकने की व्यवस्था नहीं होगी। पुजारियों के आराम के लिए कोई रूम नहीं है। यहां शिफ्ट में पुजारियों की ड्यूटी लगाई जाएगी।

मंदिर में 70 प्रतिशत ग्रीन एरिया होगा

26 दिसंबर को श्रीराम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने मंदिर परिसर का लैंडस्‍कैप प्‍लान दिखाया था। उन्होंने बताया था कि राम मंद‍िर पर‍िसर की 70 एकड़ जमीन का करीब 70% ग्रीन एरिया होगा। इसके अलावा 2 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के साथ अलग पावर हाउस होगा। चंपत राय ने बताया कि मंदिर में 392 खंभे और 732 मीटर लंबा परकोटा होगा।

नागर शैली में बना राम मंदिर

राम मंदिर के डिजाइनर आशीष सोमपुरा के मुताबिक, राम मंदिर को नागर शैली में तैयार किया गया है। वे बताते हैं कि भारत में 16 प्राचीन शैलियां थीं, लेकिन अब नागर शैली, वेसर शैली और द्रविड़ शैली ज्यादा मिलती हैं।

हिंदी भाषी प्रदेशों में नागर शैली लोकप्रिय

गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में नागर शैली बहुत लोकप्रिय है। वेसर शैली ओडिशा में प्रचलित है। दक्षिण में द्रविड़ शैली का इस्तेमाल किया जाता है। कलात्मक रूप से विकसित बुनियादी मूर्तिकला ज्ञान वही है, लेकिन वास्तुशिल्प में नागर शैली ज्यादा समृद्ध है।

मंदिर निर्माण राजस्थान के बंसीपनपुर के पत्थर से

शुरुआत में राम मंदिर में 30 से 40% काम राजस्थान के बंसीपनपुर पत्थर से हुआ था। इस पत्थर में नक्काशी बहुत अच्छी लगती है, इसलिए उस समय यही पत्थर चुना गया। राम मंदिर का गर्भगृह अष्टकोण की डिजाइन में है। किसी मंदिर में अष्टकोणीय गर्भगृह कम ही मिलता है। विष्णु जी की आकृति अष्टकोणीय है, मंदिर का शिखर भी उसी आकृति में बना है।

3D स्ट्रक्चर एनालिसिस से पत्थरों की तराशी

ये दुनिया का पहला ऐसा मंदिर है, जिसे बनाने से पहले 3D स्ट्रक्चर एनालिसिस किया गया है। आज तक किसी भी मंदिर या किसी पत्थर की संरचना का इस तरह से एनालिसिस नहीं किया गया है। सरकारी नियमों के मुताबिक, बिल्डिंग का 500 साल का एनालिसिस किया जाता है। राम मंदिर का स्ट्रक्चर एनालिसिस 2500 साल का है, यानी 2500 साल तक भूकंप जैसी आपदाओं से भी इस मंदिर को कुछ नहीं होगा।

राम मंदिर ट्रस्ट के खाते में 3 हजार करोड़

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष गोविंद देवगिरी के मुताबिक, रामलला के मंदिर पर अब तक करीब 900 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। इसके बाद भी अभी करीब 3000 करोड़ रुपए ट्रस्ट के पास बचे हैं। मंदिर बनाने के लिए हमें जितनी रकम की जरूरत थी, उतनी हमारे पास है। इसके अलावा लगातार दान भी मिल रहा है।

राम मंदिर तक पहुंचने के 3 पाथ-वे अगले महीने तक होंगे तैयार

राम मंदिर तक कनेक्टिविटी को बेहतर करने के लिए 3 पाथ-वे राम जन्मभूमि पथ, भक्ति पथ, रामपथ कॉरिडोर बन रहे हैं। तीनों पाथ-वे को अगले महीने तक पूरा करना है। इसके लिए एक हजार से ज्यादा वर्कर्स दिन-रात काम में जुटे हैं। रामपथ के लिए 800 से ज्यादा घर और दुकानें हटाई गई हैं।

मंदिर के अलावा ये विकास भी हो रहा अयोध्या में

यूपी सरकार पंचकोसी मार्ग को भी चौड़ा कर रही है। ये अयोध्या सिटी के बाहरी हिस्से से गुजरता है। इस प्रोजेक्ट के लिए 2600 से ज्यादा घरों और कॉमर्शियल बिल्डिंगों को तोड़ा गया है।

अयोध्या में चल रहे 200 से ज्यादा प्रोजेक्ट, 31 हजार करोड़ खर्च होंगे

अयोध्या में सिर्फ राम मंदिर ही नहीं बन रहा, बल्कि पूरी अयोध्या ही बदल रही है। यहां 30,923 करोड़ रुपए के 200 से ज्यादा प्रोजेक्ट्स चल रहे हैं। 37 डिपार्टमेंट इन प्रोजेक्ट को पूरा करने में जुटे हैं।

न्यू अयोध्या टाउनशिप 1200 एकड़ में डेवलप...

यूपी हाउसिंग एंड डेवलपमेंट बोर्ड ने 1200 एकड़ में न्यू अयोध्या टाउनशिप डेवलप करने का प्लान बनाया है। यहां स्टेट गेस्ट हाउस, रेसिडेंशियल अपार्टमेंट के अलावा होटल्स भी बनेंगे। सीवेज सिस्टम डेवलपमेंट, वाटर सप्लाई प्रोजेक्ट, नए पावर स्टेशंस के साथ ही अंडरग्राउंड केबलिंग का काम भी हो रहा है। 22 जनवरी 2024 से पहले ज्यादातर काम पूरा करना है, इसीलिए रात में भी कंस्ट्रक्शन वर्क चल रहा है।

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