Marriage Registration Process : शादी का रजिस्ट्रेशन करवाना क्यों जरूरी ? कानूनी सुरक्षा और अधिकार

शादी का रजिस्ट्रेशन हिंदू विवाह अधिनियम 1955 या विशेष विवाह अधिनियम 1954 के तहत विवाह का सरकारी दस्तावेजीकरण होता है। इसमें दंपति को वैध मैरिज सर्टिफिकेट मिलता है, जो उनके वैवाहिक संबंध का आधिकारिक प्रमाण होता है।

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Manya Jain
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Marriage Registration Process : शादी का रजिस्ट्रेशन यानी विवाह का कानूनी रूप से डॉक्यूमेंटेशन, जब कोई जोड़ा हिंदू विवाह अधिनियम 1955 या विशेष विवाह अधिनियम 1954 के तहत शादी करता है, तो उसे सरकार के पास दर्ज कराना ही शादी का रजिस्ट्रेशन कहलाता है। इसके बाद दंपति को एक वैध मैरिज सर्टिफिकेट मिलता है, जो उनके वैवाहिक संबंध का आधिकारिक प्रमाण होता है।

शादी का रजिस्ट्रेशन क्यों जरूरी है?

भारत में पारंपरिक रीति-रिवाजों से शादी करना आम है, लेकिन बदलते वक्त में कानूनी पहचान बहुत जरूरी हो गई है। शादी का रजिस्ट्रेशन कई तरह के कानूनी विवाद, धोखाधड़ी और उलझनों से बचाने में मदद करता है।  शादी का रजिस्ट्रेशन सिर्फ एक कागज का टुकड़ा नहीं, बल्कि एक कानूनी सुरक्षा का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह आपके रिश्ते को पहचान, सुरक्षा और भविष्य के लिए मजबूत बनाता है। जहां परंपरा का पालन जरूरी है, वहीं कानूनी प्रक्रिया को नजरअंदाज करना नहीं चाहिए।

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शादी रजिस्ट्रेशन के फायदे

  • कानूनी मान्यता : रजिस्ट्रेशन के बाद आपकी शादी सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त हो जाती है, जिससे आपको कानूनी अधिकार और सुरक्षा मिलती है।

  • पत्नी के अधिकारों की सुरक्षा : शादी रजिस्टर्ड होने से पत्नी के भरण-पोषण, संपत्ति में अधिकार और तलाक की स्थिति में न्याय की संभावना बढ़ जाती है।

  • विदेश यात्रा और वीज़ा में सहूलियत : अगर आपको और आपके साथी को विदेश जाना है या वीज़ा के लिए आवेदन करना है, तो मैरिज सर्टिफिकेट आवश्यक होता है।

  • बैंक और सरकारी लाभ : संयुक्त बैंक खाता खोलना, बीमा क्लेम करना, पति/पत्नी की पेंशन या अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए रजिस्ट्रेशन जरूरी होता है।

  • बच्चों की सुरक्षा मैरिज सर्टिफिकेट यह साबित करता है कि बच्चे वैध रिश्ते से जन्मे हैं, जो उनके कानूनी अधिकारों की सुरक्षा करता है।

शादी रजिस्ट्रेशन न कराने के नुकसान

कानूनी कॉम्प्लीकेशन्स

अगर शादी रजिस्टर्ड नहीं है और भविष्य में तलाक या संपत्ति विवाद होता है, तो कानूनी तौर पर दिक्कत हो सकती है।

धोखाधड़ी का खतरा

रजिस्ट्रेशन न होने पर धोखाधड़ी का खतरा ज्यादा होता है, जैसे किसी व्यक्ति द्वारा दूसरी शादी करना और पहली पत्नी के अधिकारों को न मानना।

सरकारी योजनाओं का लाभ न मिलना

बिना विवाह प्रमाण पत्र के पति-पत्नी कई सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं उठा पाते, जैसे पेंशन, अनुकंपा नियुक्ति आदि।

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शादी का रजिस्ट्रेशन कैसे कराएं?

  • नजदीकी नगर निगम या तहसील कार्यालय जाएं।
  • आवेदन पत्र भरें (ऑफलाइन या ऑनलाइन)।
  • जरूरी दस्तावेज़ जमा करें।
  • अधिकारी द्वारा सत्यापन के बाद, मैरिज सर्टिफिकेट जारी किया जाता है।
  • आप mpedistrict.gov.in जैसी राज्य सरकार की वेबसाइट से भी ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।

शादी का रजिस्ट्रेशन कब कराना चाहिए?

शादी के 30 दिनों के भीतर रजिस्ट्रेशन कराना सबसे अच्छा होता है। हालांकि, विशेष विवाह अधिनियम के तहत शादी से पहले भी आवेदन किया जा सकता है।

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कौन-कौन से कानून लागू होते हैं?

  • हिंदू विवाह अधिनियम 1955: हिंदू, सिख, बौद्ध और जैन धर्म के लोगों के लिए।
  • मुस्लिम पर्सनल लॉ: मुस्लिम समुदाय के लिए, लेकिन शरिया के तहत निकाहनामे को प्राथमिकता दी जाती है।
  • स्पेशल मैरिज एक्ट 1954: अलग धर्मों के बीच विवाह या अंतरजातीय विवाह के लिए।

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