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छत्तीसगढ़ की सियासत में इन दिनों अजीब अजीब वाकये हो रहे हैं। एक पंडितजी हैं जो दूसरों की कुंडली बांचकर उनका भविष्य बताते हैं और उनकी कृपा से अपने पद पर कुंडली मारकर बैठे हैं। वहीं ऐसे अफसर जिनकी दाल में कुछ काला नहीं बल्कि उनकी पूरी दाल ही काली है, वे अब दाल छोड़कर मलाई खा रहे हैं। एक निगम का चीफ बनने के लिए नेताओं की दिल्ली दौड़ शुरु हो गई है। छत्तीसगढ़ के राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारे की ऐसी ही अनसुनी खबरें जानने के लिए पढ़िए द सूत्र का साप्ताहिक कॉलम सिंहासन छत्तीसी।
नेताजी की कुंडली देखकर पंडित जी की मौज
छत्तीसगढ़ में एक सरकारी विभाग में पंडित जी अफसर हैं। पंडित जी कुंडली देखना भी जानते हैं। उनकी यही कला उनको मौज करा रही है। वे नेताओं के साथ साथ आला अफसरों की कुंडली भी देखकर उनका भविष्य बताते हैं। अब उनकी भविष्यवाणी कितनी सही निकलती है ये तो अलग बात है लेकिन पंडित का भविष्य जरुर सुधर रहा है। वे दो बार संविदा नियुक्ति ले चुके हैँ। हाल ही में उन्होंने प्रदेश के एक बड़े नेता की कुंडली देखकर उनका भविष्य बताया। बस फिर क्या था नेताजी खुश हो गए और पंडित जी को तीसरी बार संविदा नियुक्ति के लिए हरी झंडी दे दी। अब पंडित जी मौज मना रहे हैं।
एक कार्पोरेशन का चीफ बनने नेता कर रहे लॉबिंग
पिछली सरकार में शराब की खरीदी बिक्री करने वाला ब्रेवरेज कार्पोरेशन सिरदर्द बना हुआ था। लेकिन इस सरकार में इस कार्पोरेशन की निकल पड़ी है। इस सरकार ने शराब की सीधी खरीदी का अधिकार कार्पोरेशन को दिया है यानी एफएल 10 लाइसेंस निजी हाथों को नहीं देने का फैसला किया तब से इस कार्पोरेशन का पद डिमांड में आ गया है। कार्पोरेशन का चीफ बनने के लिए सरकार और संगठन में नेताओं की लॉबिंग शुरु हो गई है। नेता रायपुर से दिल्ली तक की दौड़ लगाने लगे हैं। आखिर हो भी क्यों न, हाथ में आई मलाई कौन छोड़ना चाहता है।
घोटाला करने वाले अफसर खा रहे मलाई
पिछली सरकार में एक बड़ा घोटाला हुआ जिसमें प्रभावशाली नेताओं से लेकर अफसर तक जेल की सलाखों के पीछे हैं। इस घोटाले में ईडी ने एक सिंडीकेट का जिक्र किया था। यानी एक सिंडीकेट बनाकर ही ये घोटाला किया गया। इस सिंडीकेट में शामिल रहे अफसर फिर पॉवर में आ गए हैँ। इनको वो जिले मिल गए हैं जहां पर खूब कमाई होती है। यानी इनके जिम्मे बड़े बड़े जिले आ गए हैं। सूत्र कहते हैं कि इन अफसरों ने घोटाले में जो पैसा कमाया था वो थोड़ा सा खर्च कर दिया और फिर पॉवर में आ गए।
जांच आयोग को भूली सरकार
सरकार भले ही भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की बात करती हो लेकिन वो भ्रष्टाचार के खिलाफ आयोग बनाने का वादा भूल गई है। बीजेपी ने अपने चुनावी मेनीफेस्टो में कहा था कि उनकी सरकार बनने पर एक ऐसा आयोग बनाया जाएगा जो भ्रष्टाचार के खिलाफ काम करेगा। यह इसलिए कहा गया था क्योंकि पिछली सरकार में भ्रष्टाचार के कई मामले सामने आए। बीजेपी कहती थी कि ऐसा दोबारा न हो इसलिए यह आयोग बनाया जाएगा। लेकिन सरकार बने आठ महीने हो चुके हैं और न तो ये आयोग बनाने पर काम हुआ और न ही इसकी अब कोई बात कर रहा है।
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