कहते हैं सियासत जो न कराए वो कम है। छत्तीसगढ़ में आजकल यही चल रहा है। प्रदेश में नई सरकार, नए- नए मंत्री। सभी एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ में लगे हैं। मंत्री युवा हैं तो उर्जा भी है। वैसे तो अपनी छवि चमकाने के लिए सभी कोशिश करते हैं, लेकिन एक मंत्रीजी सभी से दो कदम आगे निकल गए हैं। वहीं दिल्ली दरबार ने सीएम की मंशा पर पानी फेर दिया है। करना कुछ और था और करना कुछ और पड़ा। छत्तीसगढ़ के राजनीतिक और प्रशासनिकल गलियारों की ऐसी अनसुनी खबरों के लिए पढ़ते रहिए हमारा साप्ताहिक कॉलम सिंहासन छत्तीसी।
ब्रांडिंग के लिए 25 लाख रुपए महीने का खर्च
इन दिनों छत्तीसगढ़ सरकार के नए- नए मंत्रियों की नई- नई बातें सामने आ रही हैं। छत्तीसगढ़ सरकार के एक युवा मंत्री हैं। स्मार्ट हैं, तेज हैं और नई नई राजनीति है। खबर है कि वे अपनी ब्रांडिंग यानी अपना चेहरा चमकाने के लिए सोशल मीडिया पर बहुत खर्च कर रहे हैं।
उन्होंने इसके लिए बाकायदा दिल्ली की एक कंपनी भी हायर की हुई है। इस कंपनी की एक टीम कैमरे और अन्य उपकरणों से लदी हुई मंत्रीजी के साथ ही चलती है। फेसबुक, ट्विटर, वाट्सएप पर मंत्रीजी छाए हुए हैं, लेकिन ये सब ऐसे ही नहीं हो रहा। इसके लिए इस कंपनी को 25 लाख रुपए महीने से ज्यादा दिए जा रहे हैं। तो है न सियासत की राह कठिन। इसमें काम से ज्यादा पब्लिसिटी जरुरी है।
दिल्ली ने बदला सीएम का फैसला
डबल इंजन सरकार के बहुत सारे फायदे हैं, लेकिन नुकसान भी उतने ही हैं। आजकल तो चर्चा ये भी है कि यहां पर चेहरा कोई और है और फैसले कहीं और से हो रहे हैं। हाल ही में डीजीपी अशोक जुनेजा के एक्सटेंशन ने कई कयासों को जन्म दे दिया है। सूत्रों की मानें तो सीएम ने प्रभारी डीजीपी बनाने के लिए नाम भी तय कर लिया था और उसे दिल्ली भी भेज दिया था, लेकिन दिल्ली से कुछ और ही फरमान आ गया।
दिल्ली ने अशोक जुनेजा को ही एक्सटेंशन देने पर मुहर लगा दी। बस फिर क्या था दिल्ली का आदेश है तो मानना तो पड़ेगा ही। कहते हैं कि अशोक जुनेजा की दिल्ली में बहुत पहुंच है और यह संपर्क उन्होंने दिल्ली डेप्युटेशन के दौरान बनाए हैं। भाई संबंध हैं तो वक्त पर काम आएंगे ही।
सीएम हमारे, अफसर किसी और के
अशोक जुनेजा के एक्सटेंशन के बाद बीजेपी संगठन के गलियारे में चर्चाओं का बाजार गर्म है। बीजेपी के नेता कहते हैं कि सीएम हमारे हैं और अफसरों की जमावट पिछली सरकार के हिसाब से ही है। प्रमुख पदों पर पिछली सरकार के बैठाए अफसर ही हैं।
हमारे सीएम उनको बदल ही नहीं पा रहे। अंदर की बात तो ये है कि पुलिस के मुखिया तक को सीएम नहीं बदल पाए। अरे जब इतने अफसर हैं तो फिर वो ही क्यों चाहिए। ये तो राजनीति है, इसमें तो जितने मुंह उतनी बातें होती हैं।
लिस्ट तैयार, बस इंतजार
आईएएस और आईपीएस के तबादलों की एक और लिस्ट तैयार हो गई है, लेकिन इसमें इतनी हां,न हो चुकी है कि लिस्ट बहुत छोटी हो गई है। छोटी होने के बाद भी तारीख पर तारीख बढ़ रही है। अब लोग बताते हैं कि ये ट्रांसफर सूची कभी भी जारी हो सकती है। लेकिन लिस्ट में इक्का- दुक्का आईएएस और आईपीएस ही बदले जाएंगे। लेकिन हम तो तो भी मानेंगे जब सूची जारी होगी क्योंकि ऐसी तारीख को कई बार सुनी जा सकती है।
thesootr links