RAIPUR. आमतौर पर एक जन्म में व्यक्ति की एक ही जाति होती है। लेकिन छत्तीसगढ़ में ऐसा नहीं है। यहां पर लोग जरुरत के हिसाब से अपनी जाति बदल लेते हैं। इस जाति की जुगाड़ में नौकरी भी मिल जाती है और प्रमोशन भी। वहीं प्रदेश में वक्त का पहिया भी कुछ ऐसे घूमा कि जो साहब थे वे उनकी तीमारदारी में लग गए जिनसे वे तीमारदारी करवाते थे। क्या कहें साहब ये तो समय है जो कभी एक जैसा नहीं रहता। छत्तीसगढ़ के राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों से जुड़ी ऐसी ही अनदेखी और अनसुनी खबरों के लिए पढ़ते रहिए सिंहासन छत्तीसी।
केंचुली की तरह जाति बदलने में माहिर मेडम
पूजा खेड़कर मामले के बाद इस तरह के एक के बाद एक मामले सामने आने लगे हैं। अब छत्तीसगढ़ में एक नए तरह का फर्जीवाडा सामने आया है। मामला नर्सिंग विभाग से जुड़ा हुआ है। नर्सिंग की एक मेडम हैं जो केंचुली की तरह अपनी जाति बदल लेती हैं। जब वे पढ़ती थीं तो किसी और जाति की थीं। नौकरी ली किसी और जाति से। सर्टिफिकेट मिला तीसरी जाति का। इतना ही नहीं इस सब के बाद भी उन्होंने प्रमोशन पा लिया। अब जबकि मामला सामने आया है तो मेडम की नौकरी पर संकट के बादल छा गए हैं।
कभी थे जूनियर,अब करवा रहे वेलकम
सियासत और वक्त का पहिया जब घूमता है तो सारे समीकरण बदल जाते हैं। छत्तीसगढ़ की सियासत में कुछ इसी तरह का संयोग हुआ है। एक जिले के प्रभारी मंत्री का वेलकम प्रभारी सचिव को करना पड़ रहा है। अब इसमें रोचक बात ये है कि प्रभारी मंत्री जब प्रशासनिक सेवा में थे तो प्रभारी सचिव के जूनियर थे। यानी प्रभारी सचिव कमिश्नर तो उसी संभाग के एक जिले के कलेक्टर थे प्रभारी मंत्री। जब कमिश्नर साहब आते थे तो कलेक्टर साहब को उनका वेलकम करना पड़ता था। अब कलेक्टर साहब माननीय बन गए हैं और उस जिले के प्रभारी मंत्री बने हैं, कमिश्नर साहब अब उसी जिले के प्रभारी सचिव हैं। है न अजब संयोग। यह रोचक संयोग बिलासपुर संभाग का है।
संभाग खाली,सचिवों की भरमार
दिल्ली से लौटने के बाद सीएम को सबसे पहले दो संभागों के कमिश्नर नियुक्त करने होंगे। यानी एक दो दिन में ही आईएएस के तबादलों की लिस्ट आने वाली है। रायपुर और बिलासपुर जैसे अहम और बड़े संभागों के कमिश्नर अब रिटायर होने वाले हैं। दोनों ही संभाग एक कमिश्नर के हवाले हैं। अब उनका रिटायरमेंट तीन दिन में होने वाला है इसलिए इन दोनों संभागों में कमिश्नर तैनात करने होंगे। इसमें खास बात ये है कि सचिव और कमिश्नर की एक ही रैंक होती है, प्रदेश में सचिवों की तो भरमार हो गई है और कमिश्नरों की कमी। अब सीएम कुछ सचिवों को कमिश्नर बनाने वाले हैं। इसके अलावा कुछ रेंज के आईजी भी बदलने वाले हैं। अब सरकार थोक में तबादले नहीं कर रही है बल्कि एक-एक, दो-दो अफसरों को इधर से उधर कर रही है।
नए मंत्री, पुअर परफॉर्मेंस
प्रदेश की नई सरकार के अधिकांश मंत्री नए हैं। सरकार के ज्यादातर मंत्री विपक्ष के तीरों का सामना करने में कमजोर नजर आए। विपक्ष में चरणदास महंत और भूपेश बघेल जैसे अनुभवी और मुखर नेता हैं जो सरकार की रग_रग से वाकिफ हैं। इसी का फायदा विपक्ष को मिल रहा है। सरकार के मंत्री नए हैं जो उतने आत्मविश्वास से जवाब नहीं दे पाए। नए मंत्रियों में एक तो माफी तक मांगनी पड़ी तो वहीं एक मंत्री को स्पीकर ने टोका। हालांकि विपक्ष भी बहुत मजबूत नहीं है। महंत और बघेल के अलावा एक दो ही ऐसे विधायक हैं जो सत्ता पक्ष को घेरने में कामयाब रहे।