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अरुण तिवारी@ RAIPUR.
इन दिनों छत्तीसगढ़ की सियासत में बड़ा उलटफेर चल रहा है। एक तरफ अफसर परेशान हैं तो दूसरी तरफ मंत्रियों का ब्लड प्रेशर बढ़ा हुआ है। दो मंत्री कुछ ज्यादा ही तनाव में है, उनको लगता है कि उनके विवाद कहीं उनकी कुर्सी न खींच लें। वहीं सीएम अपने काम में इतनी तेजी दिखा रहे हैं कि वाट्सएप पर ही ट्रांसफर हो रहे हैं। दूसरी तरफ आचार संहिता हटने के बाद ट्रांसफर उद्योग चालू होने लगा है।
बढ़ा दो मंत्रियों का ब्लड प्रेशर
इन दिनों विष्णु कैबिनेट के दो मंत्रियों का ब्लड प्रेशर बढ़ा हुआ है। मंत्रिमंडल फेरबदल की चर्चाओं ने इनको और टेंशन में ला दिया है। इनको लगने लगा है कि इनके सिर पर ही मंत्री पद जाने की तलवार लटक रही है। राजनीतिक गलियारों में भी यह चर्चा खूब जोरों से चल रही है कि विवादित मंत्रियों का पत्ता कट सकता है। दिल्ली दरबार इन मंत्रियों से खफा है। केंद्रीय नेतृत्व तक इनके विवादों की चर्चा पहुंच गई। अब इन मंत्रियों को लगने लगा है कि अब गए कि तब गए। आपको बता दें कि ये वही मंत्री हैं जिनके विवादों पर लोग चटखारे ले रहे हैं।
वाट्सएप पर ट्रांसफर
चुनाव की आचार संहिता हटने के बाद छत्तीसगढ़ सरकार इतनी तेज चल रही है कि वाट्सएप पर कलेक्टरों के तबादले हो रहे हैं। कांकेर कलेक्टर को हटाने में कुछ इसी तरह की तेजी दिखाई दी। इधर चुनाव आचार संहिता हटी उधर कलेक्टर को हटाने का सिंगल ऑर्डर जारी हो गया। जबकि सीएम विष्णुदेव साय इस समय दिल्ली में थे। इस तेजी से ऐसा लगा मानों सरकार आचार संहिता हटने का ही इंतजार कर रही थी। आचार संहिता हटी और जीएडी को एक लाइन का मैसेज आ गया। जीएडी ने भी देर नहीं की और कलेक्टर के ट्रांसफर का ऑर्डर तैयार कर लिया। चूंकि सीएम दिल्ली में थे तो उनसे वॉट्सएप पर ही इसका अनुमोदन लेकर तत्काल इस ऑर्डर को जारी कर दिया गया। कहा जा रहा है कि कांकेर कलेक्टर अभिजीत सिंह से सीएम चुनाव में उनके कामकाज पर नाराज थे। पोस्टर बैलेट पेपर की गिनती ने शाम तक बीजेपी की सांसें उपर नीचे कर रखी थीं। जीत इतनी कम वोटों से हुई कि जैसे कि बीजेपी हारते हारते जीत गई। एक ऑर्डर जारी कर सीएम ने अपनी नाराजगी भी जारी कर दी।
ट्रांसफर उद्योग चालू आहे
आचार संहिता हटने के साथ ही छत्तीसगढ़ में ट्रांसफर उद्योग शुरु होने लगा है। मंत्रियों के बंगलों के आस- पास कई लोग चक्कर लगाने लगे हैं। लोगों से उनके तबादले के लिए संपर्क भी किया जा रहा है। अपने आकाओं के जरिए ट्रांसफर की गारंटी देकर मोटे पैसे की मांग की जाने लगी है। ऐसे लोग मंत्रियों के करीबी बन सुबह शाम उनके बंगलों की फेरी लगा रहे हैं। मीडिया से बातचीत के दौरान भी ये लोग मंत्री को घेरकर आस पास खड़े हो जाते हैं। अब क्या है कि पांच साल बाद कमाई का मौका आया है इसलिए कोई पीछे नहीं रहना चाहता।
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कांग्रेस में सिर फुटव्वल
छत्तीसगढ़ में हुई करारी हार के बाद कांग्रेस में सिर फुटव्वल मची हुई है। सबसे ज्यादा निशाने पर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता इसके लिए अब भूपेश बघेल को जिम्मेदार ठहराने लगे हैं। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि जब टिकट भूपेश ने बांटे तो हार की जिम्मेदारी कौन लेगा जाहिर है इस हार के लिए पूरी तरह से भूपेश बघेल जिम्मेदार हैं। एक और नेता ने कहा कि अपने घर से बाहर भेजकर बड़े नेताओं को उम्मीदवार बनाकर कांग्रेस ने अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मार ली। कांग्रेस के सारे कार्यकर्ता राजनांदगांव और महासमुंद चले गए ऐसे में दुर्ग हारते नहीं तो क्या करते। नेता कहते हैं कि ऐसा तो हो नहीं सकता कि मीठा मीठा गप- गप,कड़वा कड़वा थूथू। सीएम का सेहरा आप के माथे सजा तो हार ठीकरा भी आपके ही माथे फूटेगा।
निगम- मंडल पर पूर्व विधायकों की नजर
प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनने और लोकसभा चुनाव में मिली बड़ी सफलता ने अब उन पूर्व विधायकों की उम्मीदों पर पंख लगा दिए हैं जिनके टिकट काट दिए गए। अब वे निगम मंडल में जगह पाने के लिए सक्रिय हो गए हैं। इन नेताओं को आने वाले निकाय चुनाव से भी बड़ी उम्मीदें हैं। वे मेयर के टिकट की जुगत भिड़ाने में जुट गए हैं। एक युवा पूर्व विधायक कहते हैं कि उनकी उम्र ही उनकी सफलता में रोड़ा बन गई। बड़े नेता नहीं चाहते थे कि नया लड़का राजनीति में आए इसलिए उनकी विधानसभा चुनाव में टिकट काट दी। अब सीएम से ही उम्मीदें हैं कि उनकी नजर पड़े तो बेड़ा पार हो जाए।