क्यों हुई साहब की बोलती बंद, चिट्ठी का मास्टर माइंड कौन

छत्तीसगढ़ की सियासत इन दिनों कुछ ज्यादा ही गरमाई हुई है। पर्दे के पीछे छिपे मास्टर माइंड ने राजनीति का पारा और चढ़ा दिया है। सिंघम बन रहे साहब की चाल अचानक मद्धम पड़ गई है।

author-image
Arun Tiwari
New Update
Who mastermind behind letter
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

छत्तीसगढ़ की सियासत इन दिनों कुछ ज्यादा ही गरमाई हुई है। पर्दे के पीछे छिपे मास्टर माइंड ने राजनीति का पारा और चढ़ा दिया है। सिंघम बन रहे साहब की चाल अचानक मद्धम पड़ गई है। वहीं मास्टर माइंड ने ऐसा खेल खेला कि एक तीर से दो निशाने साध दिए। अब इनकी तलाश हो रही है आखिर ये तीरंदाज है कौन जो निशाने लगा रहा है। वहीं प्रदेश में हो रही घटनाओं ने मंत्रीजी की हालत खराब कर रखी है। छत्तीसगढ़ के राजनीतिक और प्रशासनिक हल्कों की अनसुनी खबरें जानने के लिए पढ़िए द सूत्र का साप्ताहिक कॉलम सिंहासन छत्तीसी। 

 

साहब छब्बै बनने आए दुबे बनकर रह गए


पुलिस विभाग के एक तेज तर्रार अफसर जिनकी कुछ समय से तूती बोल रही थी लेकिन एक लेटर बन ऐसा फटा कि उनकी बोलती बंद हो गई। एक बड़े घोटाले के आरोपी ने साहब के बारे में ऐसा ऐसा लिख दिया कि अब उनको काटो तो खून नहीं जैसी हालत हो गई है। इस धमाके के बाद साहब सरकार के दरबार में हाजिरी लगाने भी पहुंच गए। इस हाजिरी का कितना असर हुआ ये तो अलग बात है लेकिन एक कहावत जरुर इन पर फिट बैठती है कि चौबे जी छब्बे बनने आए थे दुबे जी बनकर रह गए। 

चिट्ठी का मास्टर माइंड कौन


हाल ही में एक चिट्ठी चर्चा में आई। ये चिट्ठी कोल स्कैम के किंगपिन माने जाने वाले कारोबारी सूर्यकांत तिवारी ने जेल में लिखी थी। यह चिट्ठी वकील के जरिए कोर्ट तक भेजी गई। चिट्ठी में खुलकर यह लिखा गया था कि एसीबी चीफ उनको प्रताड़ित कर रहे हैं। चिट्ठी में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का जिक्र भी हुआ। यह लिखा गया कि यह बयान दिया जाए कि भ्रष्टाचार का पैसा सौम्या चौरसिया के जरिए भूपेश बघेल के पास गया।

अब इसके बाद राजनीति का पार गर्म हो गया। अब राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा है कि आखिर चिट्ठी लिखवाने के पीछे मास्टर माइंड कौन है। दो साल से जेल में बंद तिवारी को आखिर कहां से इतनी हिम्मत आ गई। जो चिट्ठी में लिखा गया है वो किसी बुद्धिमान का काम ही है। सवाल तो ये भी उठ रहा है कि क्या कांग्रेस में भूपेश बघेल विरोधी खेमा सक्रिय हो गया है जो ये कांड करा रहा है। 

 

बिन मांगे मोती मिले, मांगे मिले न ..... 


कबीर का एक दोहा है कि बिन मांगे मोती मिले, मांगे मिले न भीख। ऐसा ही कुछ पुलिस के एक आला अफसर के साथ हुआ है। उनको बिना मांगे मोती मिल गया है। लेकिन वे चाहते नहीं थे कि यह मोती उनको मिले। अब वे एक्शन मोड में आएं या रिटायरमेंट मोड में उनके साथ यही कन्फ्यूजन है।

नौकरी का एक्सटेंशन मुश्किल पैदा कर रहा है। दरअसल यह वो समय है जब केंद्र से लेकर राज्य सरकार तक नक्सल के खिलाफ एक्शन में है। केंद्रीय गृहमंत्री ने तो सवा साल का अल्टीमेटम तक दे दिया है। अब साहब से रिटायरमेंट की उम्र में एक्शन कराओगे तो तकलीफ तो होगी ही। उम्र के इस पड़ाव में वे बहुत ज्यादा भाग दौड़ की स्थिति में नहीं थे लेकिन उनको बिना मांगे ही एक्सटेंशन दे दिया गया। अब मन से या बेमन से करना तो पड़ेगा। 

 

मुश्किल में मंत्रीजी 


इन दिनों एक हाईप्रोफाइल मंत्री के सितारे गर्दिश में आ गए हैं। एक कहावत है कि आगे पाट,पीछे सपाट। कुछ यही स्थिति इन मंत्रीजी की हो रही है। एक तरफ तो वे अपने कामों पर खुद की पीठ थपथपा रहे हैं तो दूसरी तरफ उनके गृह जिला ही उनके उपलब्धियों को मुंह चिढ़ा रहा है।

ऐसा होना मंत्रीजी के लिए अच्छी बात नहीं कही जा सकती। मंत्रीजी को चिंता है कि कहीं ये घटनाएं उनको मुश्किल में न डाल दें। सीएम वैसे ही फॉर्म में नजर आ रहे हैं। सीएम के इस एक्शन से मंत्री टेंशन में है। वैसे भी कांग्रेस उनको मेकअप वाला मंत्री कहकर चिढ़ाने लगी है।

 

The Sootr Links

छत्तीसगढ़ की खबरों के लिए यहां क्लिक करें

मध्य प्रदेश की खबरों के लिए यहां क्लिक करें

देश दुनिया की खबरों के लिए यहां क्लिक करें

रोचक वेब स्टोरीज देखने के लिए यहां क्लिक करें

CG Politics Chhattisgarh politics chhattisgarh news in hindi सिंहासन छत्तीसी chhattisgarh news update Chhattisgarh News News Chhattisgarh news today Chhattisgarh politics रायपुर न्यूज Chhattisgarh Politics News Chhattisgarh News