भोपाल. मध्य प्रदेश की दंगल गर्ल शिवानी पवार ने कमाल कर दिया। अंडर-23 अंतरराष्ट्रीय महिला कुश्ती चैंपियनशिप (U-23 International Women Championship) में 4 अक्टूबर की रात 50 किलो कैटेगरी में सिल्वर मेडल जीता। सर्बिया में हुए फाइनल में अमेरिका की एमिली शिल्सन ने उन्हें हराया। शुरुआत में शिवानी आगे चल रही थीं, लेकिन एमिली ने वापसी करते हुए मैच पलट दिया। भारत का इस वर्ल्ड चैंपियनशिप में 7वां सिल्वर मेडल है।
किसान की बेटी है
शिवानी किसान परिवार की बेटी हैं। छिंदवाड़ा के उमरेठ में घर टपरे का है। पिता नंदलाल पवार 3 एकड़ जमीन के किसान हैं। तीनों बेटियों और बेटे को उन्होंने करियर चुनने की आजादी दी। समाज के तानों के बावजूद परिवार ने बेटियों को रेसलिंग के लिए पूरा सपोर्ट दिया।
कोच ने रेसलिंग करने को कहा
शिवानी की मां पुष्पा पवार ने एक अखबार को बताया, 'शिवानी की स्कूलिंग उमरेठ के ही पंडित विशंभर नाथ हाईस्कूल में हुई। 8वीं क्लास तक उसे फुटबॉल और रनिंग (Football-Running) का शौक था। स्कूल के कोच कलशराम मर्सकोले ने उसे फुटबॉलर बनने के लिए कहा। शिवानी ने फुटबॉल के पहले ही राउंड में स्टेट निकाल लिया। कॉम्पिटीशन से वापस आने पर कोच ने उसे कुश्ती की सलाह दी। कोच ने इसको लेकर हमसे बात की। कोच ने कहा कि शिवानी को वह रेसलिंग में आगे बढ़ते देखना चाहते हैं। हमने भी कहा- कोई दिक्कत नहीं।'
लड़की को कोई कुश्ती में भेजता है क्या?
पुष्पा बताती हैं, 'जब हमने शिवानी को कुश्ती में भेजने का फैसला किया तो शुरुआत में समाज के ताने भी मिले। लोग कहते थे कि लड़की को कोई कुश्ती में भेजता है क्या। वैसे तो शिवानी का अब छिंदवाड़ा आना कम ही होता है। जब भी वो आती है तो यही लोग अब सोचते हैं कि शिवानी से मुलाकात हो जाए और बातचीत कर लें।' शिवानी की छोटी बहन भारती पवार का कहना है कि सामाजिक दबाव के बाद भी हमारे पेरेंट्स ने कभी कुश्ती लड़ने और बाहर निकलने से मना नहीं, बल्कि प्रोत्साहित किया।