T20 में India-PAK: 10 साल में हुए मैचों में भारत को 83% में जीत मिली, पाक पर भारी रहे हम

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T20 में India-PAK: 10 साल में हुए मैचों में भारत को 83% में जीत मिली, पाक पर भारी रहे हम

टी-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप के लीग मैच में भारत-पाकिस्तान (India-Pakistan) आज फिर मैदान में भिड़ने वाले हैं। हर तरफ मैच की खुमारी है, मगर सच तो ये है कि अब क्रिकेट में भारत और पाकिस्तान के बीच कोई कंपेरिजन (Compare) नहीं। 10 साल में टीम इंडिया पाकिस्तान से बहुत आगे निकल चुकी है। 10 साल में दोनों के बीच हुए टी-20 मैचों में टीम इंडिया को 83% में जीत मिली। वहीं, वनडे में हमने 69% मुकाबले जीते। इस दौरान एक भी टेस्ट नहीं खेला गया। कुल मिलाकर कहें तो भारत 74% मैचों में पाकिस्तान को हरा चुका है।उधर, बीते 10 साल में दोनों टीमों के बीच 6 टी-20 और 13 वनडे खेले गए। पाकिस्तान को केवल 26% मैचों में जीत मिली। 13 वनडे में भारत ने 9 जीते हैं, वहीं 6 टी-20 में से भारत को 5 में जीत मिली है। इस दौरान दोनों देशों के बीच कोई टेस्ट मैच नहीं खेला गया।

दर्शक नहीं घटे, इसलिए मार्केटिंग कंपनियों में इतना हल्ला

दोनों देशों की हार-जीत के बाद होने वाले हिंसक प्रदर्शन (Violent Protest) अब नहीं होते, लेकिन मैच देखने का जज्बा कम नहीं हुआ। भारत-पाकिस्तान का मैच दर्शकों के मामले में रिकॉर्ड बनाता है। 2019 के वनडे वर्ल्ड कप में ही भारत-पाकिस्तान मैच देखने के लिए 8 लाख लोगों ने टिकट के लिए अप्लाई किया था। जिस ग्राउंड पर ये मैच हुआ था, वहां 26 हजार दर्शकों के बैठने की व्यवस्था थी। टीवी पर ही इस मैच को रिकॉर्ड 50 करोड़ से ज्यादा दर्शकों ने देखा। 

पाक से भारत ज्यादा मजबूत

2001 से 2010 के बीच 2 टी-20 (T-20), 34 वनडे (ODI) और 12 टेस्ट (Test) खेले गए। टी-20 में एक मैच भारत जीता तो दूसरे में भी हमें बॉलआउट में जीत मिली। वनडे में दोनों टीमों ने 17-17 मैच जीते। वहीं, 12 टेस्ट मैचों में भारत को 4 तो पाकिस्तान को 3 में जीत मिली।

जुनून की कुछ कहानियां, ये अब नहीं दिखतीं

भारत-पाकिस्तान के मैचों में फैन्स का जुनून सिर चढ़कर बोलता है। 1952-53 में भारत और पाकिस्तान के बीच पहली बार दोनों के बीच टेस्ट सीरीज खेली गई। दिल्ली में खेले गए पहले टेस्ट में भारत को जीत मिली, लेकिन लखनऊ में जब टीम इंडिया हारी तो दंगे जैसे हालात बन गए।

इसका असर ये रहा कि दोनों टीमें इस बात की कोशिश करतीं कि भले मैच ना जीतें, लेकिन हारे भी नहीं। इसी वजह से उस दौर में ज्यादातर मैच ड्रॉ होते थे। हार-जीत का सीधा असर खिलाड़ियों के घर पर पड़ता था। खराब खेलने वाले खिलाड़ियों के घरों पर पथराव और आगजनी होना आम बात थी।

ऐसे हालात सिर्फ भारत में नहीं बनते थे। पाकिस्तान में भी यही स्थितियां होती थीं। जैसे- 1996 के विश्व कप का क्वार्टर फाइनल पाकिस्तान हार गया। इस मैच में कप्तान वसीम अकरम फिटनेस की वजह से नहीं खेले। टीम की हार का गुस्सा वसीम अकरम के घर वालों को सहना पड़ा। उनके घर पर पथराव हुआ।

पिछले डेढ़ दशक में इस तरह की घटनाएं बंद हुई हैं। अब खिलाड़ियों को हार के बाद सोशल मीडिया पर तो फैन्स के गुस्से का सामना करना पड़ता है, लेकिन उनके घरों पर पथराव, आगजनी जैसी घटनाएं नहीं होती।

1990 का दशक, ये वो दौर था जब पाकिस्तान के पास वसीम अकरम, वाकर यूनुस, शोएब अख्तर जैसे तेज गेंदबाज थे। स्पिनर्स में भी उनके पास सकलैन मुश्ताक और मुश्ताक अहमद जैसे वर्ल्ड क्लास खिलाड़ी थे। वहीं भारत के पास सचिन थे। दोनों देशों के बीच कई ऐसे मुकाबले हुए जब पाकिस्तान ने सचिन को आउट किया और भारत जीतता हुआ मैच हार गया।

ऐसा ही एक टेस्ट मैच 1999 में चेन्नई में हुआ था। सचिन जब 136 रन बनाकर आउट हुए तो भारत को जीत के लिए 17 रन बनाने थे। टीम के पास 3 विकेट बचे थे, लेकिन भारत ये मैच 12 रन से हार गया था।

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