NEW DELHI. कुश्ती संघ (WFI) के अध्यक्ष और बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ धरना दे रहे पहलवानों ने गंगा में मेडल बहाने का ऐलान किया है। पहलवान बजरंग पूनिया, विनेश फोगाट और साक्षी मलिक ने सोशल मीडिया पर बयान जारी कर कहा, 'इन मेडलों को हम गंगा में बहाने जा रहे हैं, क्योंकि वह गंगा मां हैं। जितना पवित्र हम गंगा को मानते हैं, उतनी ही पवित्रता से हमने मेहनत कर इन मेडलों को हासिल किया था।'
पहलवानों ने ये भी कहा, मेडल हमारी जान हैं, हमारी आत्मा हैं। इनके गंगा में बह जाने के बाद हमारे जीने का भी कोई मतलब रह नहीं जाएगा। इसलिए हम इंडिया गेट पर आमरण अनशन पर बैठ जाएंगे। इंडिया गेट हमारे उन शहीदों की जगह है, जिन्होंने देश के लिए अपनी देह त्याग दी। हम उनके जितने पवित्र तो नहीं हैं, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलते वक्त हमारी भावना भी उन सैनिकों जैसी ही थी। बजरंग पूनिया, विनेश फोगाट और साक्षी मलिक समेत कई पहलवान 23 अप्रैल से दिल्ली में धरना दे रहे हैं।
— Vinesh Phogat (@Phogat_Vinesh) May 30, 2023
क्या हमने इंसाफ मांगकर गुनाह कर दिया- पहलवान
पहलवानों ने अपने बयान में कहा कि 28 मई को जो हुआ वह आप सबने देखा, पुलिस ने हम लोगों के साथ क्या व्यवहार किया? हमें कितनी बर्बरता से गिरफ्तार किया. हम शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे थे. हमारे आंदोलन की जगह को भी पुलिस ने तहस नहस कर हमसे छीन लिया और अगले दिन गंभीर मामलों में हमारे ऊपर ही एफआईआर दर्ज कर दी गई। क्या महिला पहलवानों ने अपने साथ हुए यौन उत्पीड़न के लिए न्याय मांगकर कोई अपराध कर दिया? पुलिस और तंत्र हमारे साथ अपराधियों जैसा सलूक कर रही है। जबकि आरोपी खुली सभाओं में हमारे ऊपर फब्तियां कस रहा है।
पहलवानों को किसानों का साथ
अब पहलवानों को संयुक्त किसान मोर्चा का साथ मिल गया है। मंगलवार (30 मई) को पहलवानों के साथ बैठक के बाद संयुक्त किसान मोर्चा ने ऐलान किया है कि एक जून को संयुक्त मोर्चा देशभर में प्रदर्शन करेगा। इस दौरान जिला और तहसील स्तर पर पुतला दहन किया जाएगा। राकेश टिकैत ने ट्वीट में लिखा, 'ये मेडल देश और तिरंगे की शान है। हमारा सभी पहलवानों से अनुरोध है कि ऐसा कदम ना उठाएं। आपने अपने खेल से देश का सिर गर्व से ऊंचा किया है। हमारा राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री जी से अनुरोध है कि मामले को संज्ञान में लेकर पहलवानों से जल्द बातचीत करें।'
23 अप्रैल से जारी है धरना
विनेश फोगाट, साक्षी मलिक और बजरंग पूनिया समेत तमाम पहलवान जंतर मंतर पर 23 अप्रैल से धरना दे रहे हैं। इससे पहले 18 जनवरी को पहलवानों ने बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ धरना प्रदर्शन किया था। पहलवानों ने बृजभूषण के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं। सुप्रीम कोर्ट के दखल पर दिल्ली पुलिस ने सिंह के खिलाफ दो केस भी दर्ज किए हैं।
28 मई को हुआ था जमकर बवाल, पहलवानों के खिलाफ केस हुआ दर्ज
पहलवानों ने 28 मई को जंतर मंतर से नए संसद भवन तक मार्च का ऐलान किया था। इतना ही नहीं पहलवानों ने महिला महापंचायत भी बुलाई थी, लेकिन इसी दिन नई संसद का उद्घाटन होना था। ऐसे में दिल्ली पुलिस ने महिलाओं को मार्च की इजाजत नहीं दी थी। साथ ही जंतर-मंतर पर ही भारी सुरक्षाबल तैनात कर बैरिकेडिंग लगाई। पहलवानों ने नई संसद से तीन किलोमीटर दूर जंतर-मंतर से मार्च शुरू किया तो पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की। इस दौरान पहलवानों ने सुरक्षा घेरे को तोड़कर आगे बढ़ने की कोशिश की। इसके बाद प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच धक्कामुक्की और हाथापाई हुई।
इस बवाल के बाद दिल्ली पुलिस ने जंतर-मंतर को खाली करा दिया, जहां एक महीने से प्रदर्शन जारी था. पुलिस का कहना है कि अब पहलवानों को दोबारा वहां लौटने नहीं दिया जाएगा। पुलिस के मुताबिक, दिल्ली से 700 लोगों को हिरासत में लिया गया था। वहीं, तीनों पहलवानों समेत 109 को जंतर मंतर से हिरासत में लिया गया था। हालांकि, शाम को ही विनेश फोगाट, साक्षी मलिक समेत सभी प्रदर्शनकारियों को रिहा कर दिया गया। साथ ही विनेश, साक्षी और बजरंग पूनिया समेत 12 पर पर दिल्ली पुलिस ने केस भी दर्ज किया था।