SPORTS DESK. आईसीसी अंडर-19 महिला टी20 वर्ल्ड कप टीम इंडिया ने अपने नाम किया है। फाइनल मुकाबले में टीम ने यादगार प्रदर्शन किया है। 29 जनवरी रविवार को साउथ अफ्रीका के पोचेफस्ट्रूम में फाइनल मुकाबले खेला गया। इसमें भारतीय टीम ने इंग्लैंड को 7 विकेट से मात दी। इस जीत के साथ ही भारतीय महिला टीम का वर्ल्ड कप खिताब जीतने का सपना पूरा हो गया। इससे पहले भारत की सीनियर या जूनियर महिला टीम कभी खिताब नहीं जीत पाई थी। भारतीय टीम के इस खिताबी सफर में सभी खिलाड़ियों ने अपनी-अपनी भूमिका का शानदार तरीके प्रदर्शन किया। महिला टीम की कप्तान शेफाली वर्मा ने फ्रंट से टीम को लीड किया, वहीं उप-कप्तान श्वेता सेहरावत ने भी बल्ले से धमाकेदार खेल दिखाया।
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भारतीय महिला टीम की खिलाड़ियों का सफर
1. शेफाली वर्मा- कप्तान शेफाली वर्मा ने इस पूरे टूर्नामेंट में गेंद और बल्ले से शानदार खेल दिखाया। शेफाली ने 15 साल की उम्र में ही सीनियर टीम के लिए डेब्यू किया था। रोहतक की रहने वाली शेफाली वीरेंद्र सहवाग की तरह खतरनाक बैटिंग करने में माहिर हैं। शेफाली अगले महीने होने वाले टी-20 वर्ल्ड कप में भी टीम इंडिया का पार्ट हैं। शेफाली ने लड़कों के साथ प्रैक्टिस करते हुए क्रिकेट खेलना सीखा।
2. श्वेता सहरावत- दिल्ली की रहने वाली श्वेता सेहरावत इस टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा रन बनाने वाली बल्लेबाज रहीं। टीम की उप-कप्तान श्वेता ने 7 मैचों में 99 की औसत से 297 रन बनाए, जिसमें 3 अर्धशतक शामिल थे। श्वेता और शेफाली की जोड़ी ने भारत को पूरे टूर्नामेंट में शानदार शुरुआत दिलाई। श्वेता ने शुरुआती दिनों में अपनी बैटिंग में आक्रामकता लाने के लिए लगभग 4 साल तक लड़कों के संग प्रैक्टिस की।
3. सौम्या तिवारी- फाइनल मुकाबले में मिडिल ऑर्डर बल्लेबाज सौम्या तिवारी ने नाबाद 24 रनों की उपयोगी पारी खेली। भोपाल में पैदा हुईं सौम्या टीम इंडिया के पूर्व कप्तान विराट कोहली की बहुत बड़ी फैन हैं। सौम्या विराट कोहली की खूब प्रशंसा करती हैं कि जिसके चलते टीममेट उन्हें 'अपनी विराट' कहते हैं।
4. गोंगाडी त्रिशा- फाइनल मुकाबले में गोंगाडी त्रिशा ने उपयोगी 24 रन बनाए। त्रिशा का जन्म तेलंगाना के बद्राचलम में हुआ था। गोंगाडी त्रिशा के पिता ने अपनी बेटी का क्रिकेट करियर बनाने के लिए जॉब छोड़ दी थी और हैदराबाद शिफ्ट हो गए। त्रिशा राउंड-आर्म एक्शन के साथ लेग-स्पिन गेंदबाजी भी कर सकती हैं।
5. ऋचा घोष- विकेटकीपर बल्लेबाज ऋचा घोष ने 16 साल की उम्र में ही सीनियर टीम में अपनी जगह बना ली थी। ऋचा घोष बड़े शॉट्स खेलने में महारत हासिल है। ऋचा के नाम भारत की ओर से वूमेन्स ओडीआई में सबसे तेज फिफ्टी जड़ने का रिकॉर्ड दर्ज है। सिलीगुड़ी की रहने वाली ऋचा ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टी20 सीरीज में भी कुछ धमाकेदार पारियां खेली थीं।
6. हर्षिता बसु- ऋचा घोष की तरह हर्षिता बसु भी एक विकेटकीपर हैं और वह निचले क्रम में आकर तेजी से रन स्कोर करने की क्षमता भी रखती हैं। स्कूप शॉट हर्षिता बसु के पसंदीदा शॉट्स में से एक है। हावड़ा में पैदा हुईं हर्षिता बसु मैदान पर काफी एक्टिव रहती हैं और वह वह तकनीकी रूप से मजबूत हैं।
7. टिटास साधु- फाइनल में दो विकेट चटकाकर टिटास साधु प्लेयर ऑफ द मैच रहीं। टिटास साधु को भारतीय टीम का भविष्य कहा जा रहा। पश्चिम बंगाल से आने वाली टिटास साधु दिग्गज गेंदबाज झूलन गोस्वामी की तरह ही गेंद को स्विंग और बाउंस कराने की काबिलियत रखती हैं। साधु के महिला प्रीमियर लीग के ऑक्शन में भी काफी महंगे बिकने की संभावना है।
8. मन्नत कश्यप- बाएं हाथ की ऑलराउंडर मन्नत कश्यप का प्रदर्शन भी काफी शानदार रहा। मन्नत कश्यप ने 6 मैचों में 10.33 के एवरेज से 9 विकेट चटकाए। पटियाला में पैदा हुईं मन्नत कश्यप ने बचपन में ज्यादातर क्रिकेट लड़कों के साथ खेली। मन्नत कश्यप की कजिन नूपुर कश्यप भी स्टेट लेवल की प्लेयर हैं।
9. अर्चना देवी- भारतीय टीम की जीत में स्पिन गेंदबाजों का अहम रोल रहा। 18 साल की अर्चना देवी ने भी इस दौरान अहम भूमिका निभाई। अर्चना देवी ने सभी सात मैचों में भाग लिया और इस दौरान उन्होंने कुल आठ विकेट हासिल किए। अर्चना की क्रिकेटिंग जर्नी आसान नहीं रही है। अर्चना की मां दूसरे के खेतों में मजदूरी कर चुकी हैं। वहीं अर्चना के भाई और पिता दुनिया छोड़ चुके हैं।
10. पार्श्वी चोपड़ा- दाएं हाथ की लेग स्पिनर पार्श्वी चोपड़ा इस टूर्नामेंट भारत की ओर से सबसे ज्यादा विकेट लेने वाली गेंदबाज रहीं। पार्श्वी ने 6 मुकाबले खेलकर सात की औसत से 11 विकेट चटकाए। देखा जाए तो पूरे टूर्नामेंट में पार्श्वी से ज्यादा विकेट ऑस्ट्रेलिया की मैगी क्लार्क ने चटकाए। पार्श्वी पहले स्केटिंग करना चाहती थीं लेकिन पिता के कहने पर उन्होंने क्रिकेटर बनने की ठानी।
11. सोनम यादव- फिरोजाबाद की रहने वाली सोनम यादव के पिता एक मजदूर हैं। सोनम के भाई को भी क्रिकेट में दिलचस्पी थी, लेकिन उसका करियर उड़ान नहीं भर पाया। बाएं हाथ की स्पिनर सोनम अपनी गति में मिश्रण करती हैं और उन्हें फ्लाइट से बल्लेबाजों को छकाने में महारत हासिल है।
12. सोपदांधी यशश्री- हर्ले गाला के चोटिल होने के बाद सोपदांधी यशश्री को स्क्वॉड में शामिल किया गया था। सोपदांधी यशश्री ने इस टूर्नामेंट में सिर्फ एक मुकाबला खेला जो स्कॉटलैंड के खिलाफ था। सोपदांधी यशश्री दाएं हाथ की मीडियम पेसर हैं और वह घरेलू क्रिकेट में हैदराबाद का प्रतिनिधित्व करती हैं।
13. फलक नाज- फास्ट बॉलर फलक नाज का एक्शन स्किडी है और वह अपनी टीम के बाकी तेज गेंदबाजों जितनी लंबी नहीं है। लेकिन फलक की लेंथ और लाइन सटीक रहती है जिसके चलते वे विकेट चटकाने में कामयाब रहती हैं। यह अलग बात है कि फलक इस टूर्नामेंट में भी एक भी मुकाबला नहीं खेल पाईं। भारत की खिताबी जीत के बाद फलक नाज का गृहनगर प्रयागराज में जमकर जश्न मनाया गया।
14. शबनम एमडी- दाएं हाथ की तेज गेंदबाज शबनम शानदार रनअप और हाई-आर्म एक्शन के साथ गेंद फेंकती हैं। आंध्रप्रदेश के विशाखापट्टम में पैदा हुईं शबनम नई गेंद के साथ शुरू से ही सटीक रहती हैं और गेंद को दोनों तरफ घुमाती हैं। शबनम को इस टूर्नामेंट में सिर्फ दो मैच खेलने का मौका मिला।
15. सोनिया मेंधिया- हरियाणा के लिए घरेलू क्रिकेट खेलने वाली सोनिया मेंढिया एक ऑफ स्पिनर और दाएं हाथ की बल्लेबाज हैं। वे निचले मध्य क्रम में अच्छे स्ट्राइक-रेट के साथ बल्लेबाजी करती हैं और बीच के ओवरों में अपनी गेंदबाजी से रनगति पर अंकुश लगाने की काबिलियत रखती हैं। सोनिया ने टी20 वर्ल्ड कप में कुल चार मैच खेले।