स्पोर्ट्स डेस्क. खेलों की इंटरनेशनल संस्था 'वर्ल्ड एथलीट' ने ट्रांसजेंडर महिलाओं को ट्रैक एंड फिल्ड के खेल में शामिल होने पर रोक लगा दी गई है। वर्ल्ड एथलीट ने ये फैसला एफआईएनए यानी इंटरनेशनल स्विमिंग फेडरेशन के फैसले की तर्ज पर लिया है। एफआईएनए एक अंतरराष्ट्रीय तैराकी संस्था है।
डब्ल्यूए ने कहा- ये प्रतिबंध हमेशा के लिए नहीं लगा
वर्ल्ड एथलीट के इस फैसले के बाद वैसी ट्रांसजेंडर महिलाएं, जो मर्द की तरह इच्छाएं रखती हैं, वो 31 मार्च 2023 के बाद से महिला प्रतियोगिता में हिस्सा नहीं ले पाएंगी। हालांकि, वर्ल्ड एथलीट परिषद ने ट्रांसजेंडर के खेलों में शामिल होने के मुद्दे पर विचार करने की बात कही है। इस सिलसिले में डब्ल्यूए (वर्ल्ड एथलीट) के अध्यक्ष सेबेस्टियन कोए का कहना है कि हम ये प्रतिबंध हमेशा के लिए नहीं लगा रहे हैं। हम इस बारे में सोच के आगे अपना फैसला सुनाएंगे, लेकिन हमें कुछ वक्त चाहिए।
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ट्रांसजेंडर महिलाओं पर रोक क्यों लगाई गई
वर्ल्ड एथलीट का कहना है कि ये बैन 'शारीरिक लाभों' को ध्यान में रख कर लिया गया है। इसके अलावा पुरुष और महिला एथलीटों के लिए वर्गीकरण का नियम है। हमने ये नियम इसी वर्गीकरण को ध्यान में रखते हुए बनाया है। बता दें, वेटलिफ्टर लॉरेल हब्बार्ड ने 2013 के टोक्यो ओलंपिक में महिलाओं के 87 किग्रा वर्ग में भाग लिया था। जिसके बाद ये बहस छिड़ गई थी कि क्या ट्रांसजेंडर महिलाओं को ओलंपिक में हिस्सा लेना चाहिए। हालांकि, हब्बार्ड ने पुरुष वर्ग में भाग लिया था। हब्बार्ड ओलंपिक में प्रतिस्पर्धा करने वाली पहली ट्रांसजेंडर एथलीट बन गई थी। हब्बार्ड ने बाद में हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी का इस्तेमाल किया। थेरेपी लेने के बाद लॉरेल पुरुष वर्ग से महिला वर्ग में खेलने लगी। FINA के कोई फैसला लेने से पहले ही लॉरेल ने लीग प्रतियोगिताओं के कई रिकॉर्ड तोड़ने शुरू कर दिए थे।
प्रतिबंध से पहले ट्रांसजेंडर महिलाओं के लिए क्या नियम थे
पिछले नियमों के मुताबिक खेल में शामिल होने के लिए डब्ल्यूए ने ट्रांसजेंडर महिलाओं के हार्मोन के लेवल को एक पैमाना माना था। ट्रांसजेंडर महिलाओं के रक्त में टेस्टोस्टेरोन की मात्रा को 5 नैनोमोल्स प्रति लीटर तक होने पर ही खेल में शामिल होने की इजाजत थी। नियम के मुताबिक खेल में शामिल होने के 12 महीने पहले तक ये लेवल इतना ही होना जरूरी था।
जनवरी में बदले थे नियम
साल 2023 की शुरुआत में डब्ल्यूए ने ट्रांसजेंडर महिलाओं के लिए पहले के नियम में थोड़ा बदलाव किया। डब्ल्यूए के इस नियम के मुताबिक ट्रांसजेंडर महिलाओं को महिला श्रेणी में प्रतिस्पर्धा करने की अनुमति तभी थी, जब उनके शरीर में रक्त टेस्टोस्टेरोन का लेवल दो साल के लिए 2.5 नैनोमोल्स प्रति लीटर आए।
प्रतिबंध लगाने के पीछे डब्ल्यूए का क्या तर्क
डब्ल्यूए ने बैठक के बाद ये कहा कि पुराने सभी नियम बहुत अच्छे नहीं थे। इस नियम की पसंद ना पसंद के सवाल पर डब्ल्यूए ने खेल फेडरेशन, ग्लोबल एथलेटिक्स कोच अकादमी, एथलीट आयोग से परामर्श लिया। इसके बाद ये निष्कर्ष निकाला गया कि सभी संस्थाएं पुराने नियमों को नापसंद करती है। इस परामर्श में ट्रांसजेंडर और मानवाधिकार समूह के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया गया था।
दूसरे खेलों में भी ट्रांसजेंडर महिला एथलीट पर लगाया गया प्रतिबंध
नवंबर 2021 में अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOA) ने ट्रांसजेंडर महिला एथलीटों के ओलंपिक में शामिल होने को लेकर एक रूपरेखा की पेशकश की। इसमें ये जिक्र था कि ट्रांसजेंडर एथलीटों को केवल उनकी पहचान या सेक्स के आधार पर किसी खेल से बाहर नहीं रखा जा सकता। IOA की तरफ से पेश हुई इस फ्रेमवर्क में सभी तरह के नियम बनाने की जिम्मेदारी खेल महासंघों पर डाल दी गई थी। इस फैसले के बाद FINA ने पिछले साल ट्रांसजेंडर महिलाओं को महिला चैंपियनशिप से बाहर का रास्ता दिखा दिया था।
वर्ल्ड रग्बी ऑर्गेनाइजेशन ने सबसे पहले लगाया बैन
इसी के साथ 2020 में वर्ल्ड रग्बी ऑर्गेनाइजेशन ने महिला प्रतियोगिता में ट्रांसजेंडर महिलाओं को खेलने पर पाबंदी लगा दी। वर्ल्ड रग्बी ऑर्गेनाइजेशन ट्रांसजेंडर महिला एथलीटों को लेकर ऐसा फैसला करने वाली दुनिया की पहली खेल संस्था बन गई। इसके बाद रग्बी फुटबॉल लीग और रग्बी फुटबॉल यूनियन ने भी ट्रांसजेंडर महिलाओं को बाहर का रास्ता दिखा दिया। पिछले साल ब्रिटिश ट्रायथलॉन ने भी इसी तरह का प्रतिबंध लगा दिया।
ये फैसला लेने के बाद क्या इन खेल संस्थाओं पर सवाल उठाए गए?
टेनिस दिग्गज और समलैंगिक अधिकार कार्यकर्ता मार्टिना नवरातिलोवा ने इस फैसले पर फिना का पक्ष लिया। मार्टिना नवरातिलोवा ने एक विदेशी समाचार पत्र को दिए एक इंटरव्यू में ये कहा कि ऐसा कोई भी फैसला उथल-पुथल की स्थिति पैदा करता है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि फिना ने ये फैसला ट्रांसजेंडर एथलीटों के पक्ष में लिया है। हम सभी ये समझते हैं कि जब खेल की बात आती है, तो विज्ञान की भी बात आती है, जो इंसान के सेक्स को विभाजित करता है। फिना पहला बड़ा संगठन है जो पूरी निष्पक्षता के साथ अपने फैसले पर आगे बढ़ रहा है, उम्मीद है आगे कोई बेहतर फैसला सुनाया जाएगा। नवरातिलोवा ने अन्तरराष्ट्रीय ओलम्पिक समिति के उस फैसले की आलोचना की जिसमें आईओसी ने ट्रांसजेंडर एथलीटों की पात्रता पर निर्णय लेने का फैसला पूरी तरह से खेल संघों पर छोड़ दिया है।
क्या डब्ल्यूए ने दूसरे नियमों को भी बदल दिया?
डब्ल्यूए के नए नियम के मुताबिक डीएसडी एथलीट को लेकर ये कहा कि वो खेल में तभी शामिल हो सकते हैं, जब उनके शरीर में टेस्टोस्टेरोन की मात्रा खेल में शामिल होने से 24 महीने पहले तक 2.5 नैनोमोल्स प्रति लीटर से नीचे हो। बता दें, डीएसडी एथलीटों में प्रजनन अंग नहीं होता है। इससे पहले, डीएसडी एथलीटों में टेस्टोस्टेरोन की कोई तय सीमा नहीं थी।
ट्रांसजेंडर महिला खिलाड़ियों पर एक नजर, जो खेल की दुनिया में मुकाम हासिल कर चुकी हैं
- भारत की दूती चंद: दूती चन्द एक भारतीय अन्तरराष्ट्रीय स्प्रिंट और राष्ट्रीय 100 मीटर इवेंट की ट्रांसजेंडर महिला खिलाड़ी हैं। ये भारत की तीसरी महिला खिलाड़ी हैं, जिन्होंने ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक खेलों के 100 मीटर की इवेंट में क्वालीफाई किया है।
न्यूजीलैंड की लॉरेल हब्बार्ड
- वेटलिफ्टर लॉरेल हब्बार्ड ने 2021 में टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया था। वह ओलंपिक खेलों के इतिहास में हिस्सा लेने वाली पहली ट्रांसजेंडर खिलाड़ी हैं।
अमेरिकी तैराक लिया थॉमस
लिया थॉमस एक अमेरिकी तैराक हैं। साल 2022 में थॉमस ने महिलाओं की 500 यार्ड फ्रीस्टाइल जीता था। डिवीजन के इतिहास में चैंपियन बनने वाली वह पहली ट्रांसजेंडर तैराक थी। थॉमस तैराकी के खेल से 12 साल की उम्र से जुड़ी हुई हैं। फिना के फैसले के बाद लिया थॉमस तैराकी में हिस्सा नहीं ले पाईं।