जयप्रकाश पाराशर, BHOPAL. इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) 2023 का सीजन करीब आधा खत्म हो चला है, लेकिन टीवी पर विज्ञापन और दर्शकों की संख्या में भारी कमी आई है। आईपीएल के कुल 74 में से 38 मैच खत्म हो गए, लेकिन दर्शकों और विज्ञापनदाताओं ने आईपीएल से टीवी पर मुंह मोड़ रखा है।
आईपीएल को विज्ञापन नहीं मिलने का कारण
विज्ञापन घटने का कारण यह है कि पिछले पांच साल में दूसरी सबसे कम दर्शक संख्या इस बार नजर आ रही है। आईपीएल के आरंभिक 38 मैचों के आंकड़े टीवी स्क्रीन के लिए निराशाजनक हैं। न दर्शक आ रहे हैं, न ब्रांड आ रहे हैं और न ही विज्ञापन।
इस साल रेटिंग 16 प्रतिशत कम
बीएआरसी (बार्क) के मुताबिक पिछले पांच सीजन की औसत रेटिंग के मुकाबले इस साल रेटिंग 16 प्रतिशत कम है. यदि हम टीवी पर दर्शकों के एकसाथ जुटने (कानकरेंसी) की संख्या देखें तो प्रति मैच 60 लाख रही। यह डिजिटल स्ट्रीमिंग की तुलना में काफी कम है। बीएआरसी के आंकड़े ही बताते हैं कि रीच के मामले में भी टीवी ने बहुत खराब प्रदर्शन किया।
आईपीएल दिखाने के लिए कड़ी प्रतिस्पर्धा
एक बड़ा कारण यह माना जा रहा है कि जी सिनेमा और स्टार स्पोर्ट्स में कड़ी प्रतिस्पर्धा चल रही है। दर्शकों ने जियो सिनेमा पर आईपीएल देखने में जबर्दस्त रुचि दिखाई। जी सिनेमा आईपीएल के मैच लाइव दिखा रहा है। शुरुआत में ही टीवी पर दर्शक और विज्ञापन कम दिखाई दे रहे थे।
बार्क के आंकड़ों से पता लगता है कि इस सीजन के पहले 38 मैच में टीवी पर विज्ञापनदाताओं की संख्या में 43 प्रतिशत की कमी आई। उनकी संख्या घटकर मात्र 48 रह गई। यह संख्या पिछले सीजन में 81 थी। पिछले पांच सालों में औसत वॉच टाइम (दर्शक समय) 211 अरब मिनट था। बार्क बताता है कि यह अब 187 अरब मिनट रह गया है।
कई ब्रांड ने इस साल टीवी पर नहीं दिया विज्ञापन
- पिछले साल के कई विज्ञापनदाताओं जैसे मारुति सुजुकी, हीरो, जगुआर एंड कंपनी, पॉलिसी बाजार, गोदरेज ग्रुप, सैमसंग इंडिया, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया, आदित्य बिरला ग्रुप, मुथूत फिनकॉर्प, अमेजन, गूगल, फ्लिपकार्ट, स्पॉटीफाई, बंडल टेक्नोलॉजीज और वन97 कम्युनिकेशंस ने इस साल टीवी पर विज्ञापन नहीं देने का फैसला किया।
विज्ञापन देने वालों ने की दरें घटाने की मांग
जो विज्ञापनदाता अभी टीवी पर विज्ञापन दे भी रहे हैं, उन्होंने विज्ञापन दरें घटाने के लिए कहा है। टीवी विज्ञापन के अधिकार 2023-2027 की पांच साल की अवधि के लिए 3 अरब डॉलर में बिके थे। वैसे दुनियाभर में यह ट्रेंड है कि टीवी पर विज्ञापनों में लगातार आठ साल से कमी आ रही है। 2014 में कुल विज्ञापन खर्च के हिस्से के रूप में टीवी पर विज्ञापन 40.2 प्रतिशत हुआ करते थे, वह 2022 में 25.9 प्रतिशत पर आ गए थे।