NEET-PG 2023 की काउंसलिंग के लिए पात्रता प्रतिशत को घटाकर शून्य किया, क्या यह मेडिकल शिक्षा के साथ है खिलवाड़?

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BP Shrivastava
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NEET-PG 2023 की काउंसलिंग के लिए पात्रता प्रतिशत को घटाकर शून्य किया, क्या यह मेडिकल शिक्षा के साथ है खिलवाड़?

BHOPAL. नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट पोस्टग्रेजुएट यानी NEET-PG 2023 की सभी तरह की श्रेणियों में काउंसलिंग के लिए पात्रता को लेकर बुधवार, 20 सितंबर को केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने चौंकाने वाला फैसला लिया। इस फैसले में कहा गया है कि NEET-PG 2023 की सभी कैटेगरी में काउंसलिंग के लिए पात्रता प्रतिशत को घटाकर शून्य कर दिया गया है। आसान शब्दों में इसका मतलब यह है कि जितने भी अभ्यर्थियों ने NEET-PG 2023 परीक्षा दी थी, वे सभी अब काउंसलिंग में भाग ले सकेंगे। इसके बाद आयुक्त चिकित्सा शिक्षा मध्यप्रदेश ने आदेश जारी कर काउंसलिंग को होल्ड पर रखा है।

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एमसीसी ने यह कहा नोटिस में

एमसीसी यानी मेडिकल काउंसलिंग कमेटी, स्वास्थ्य सेवा निदेशालय, भारत सरकार की ओर से जारी नोटिस में कहा गया है कि परीक्षार्थियों को सूचित किया जाता है कि NEET-PG 2023 के लिए पीजी कोर्स (मेडिकल और डेंटल) के लिए क्वालीफाइंग परसेंटाइल को केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने सभी कैटेगरी में शून्य कर दिया है।

अब आगे क्या?

एमसीसी की तरफ से नोटिस जारी होने के बाद अब PG काउंसलिंग के तीसरे राउंड की प्रक्रिया फिर से शुरू होगी। अभ्यर्थियों को नए पंजीकरण और विकल्प भरने को कहा जाएगा। यानी जो मेडिकल अभ्यर्थी शून्य परसेंटाइल होने के बाद पात्र हो गए हैं,उन्हें पीजी के लिए रजिस्ट्रेशन करने का मौका मिलेगा। वबीं जो अभ्यर्थी पहले से रिजस्टर्ड हैं उन्हें भी अपनी पसंद संपादित करने की इजाजदत दी जाएगी। नया शेड्यूल जल्द ही एमसीसी की वेबसाइट पर डाला जाएगा।

यह फैसला क्यों लिया गया

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया को कुछ दिन पहले ही इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने पत्र लिखकर NEET-PG 2023 के कट-ऑफ परसेंटाइल में 30 फीसदी तक की कमी करने की मांग की थी, ताकि अधिकतर क्लिनिकल और गैर-क्लिनिकल सीटें भरी जा सकें। वहीं फोर्डा यानी फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने भी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से नीट-पीजी 2023 के लिए कट-ऑफ परसेंटाइल कम करने पर विचार करने को कहा था।

यह था फोर्डा का तर्क

फोर्डा यानी फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन का तर्क था कि कट-ऑफ स्कोर कम करके,यह तय किया जा सकता है कि बड़ी संख्या में योग्य अभ्यर्थियों को खाली सीटों को भरने का मौका दिया जाए।

पहले यह था कटऑफ स्कोर

आदेश जारी होने से पहले सामान्य श्रेणी के अभ्यर्थियों के लिए NEET-PG का कटऑफ 50 फीसदी था, पीडब्ल्यूडी श्रेणी के लिए यह 45 फीसदी और आरक्षित श्रेणी के लिए 40 फीसदी तय था।

देश की मेडिकल शिक्षा से समझौता नहीं

नीट पीजी काउंसलिंग के लिए कट ऑफ जीरो करने के बाद सवाल यह उठ रहा है कि क्या यह देश की मेडिकल शिक्षा के साथ खिलवाड़ है? इसका जवाब एनएमसी यानी नेशनल मेडिकल कमीशन के सदस्य डॉ. हरीश गुप्ता देते हैं। डॉ. हरीश गुप्ता का कहना है कि कटऑफ परसेंटाइल में कमी से मेडिकल शिक्षा की क्वालिटी में कोई कमी नहीं आएगी और न ही मेडिकल शिक्षा से कोई समझौता होगा। इसकी वजह यह है कि छात्र एमबीबीएस के लिए कठिन सिलेबस पास करने के बाद आते हैं। एमबीबीएस कोर्स इस तरह से बनाया गया है जो देश की मेडिकल जरूरतों को पूरा करता है।

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