मनीष गोधा@ JAIPUR.
राजस्थान के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी का किसी भी दूसरे दल के साथ गठबंधन होने की संभावनाएं लगभग खत्म हो गई हैं। वहीं कांग्रेस कुछ सीटों पर गठबंधन कर सकती है लेकिन इसे लेकर अभी स्थिति साफ नहीं है।
संवाभित पार्टियों से भी गठबंधन नहीं
राजस्थान के विधानसभा चुनाव में हरियाणा की जननायक जनता पार्टी भी मैदान में है। इस पार्टी का हरियाणा में बीजेपी से गठबंधन है। ऐसे में माना जा रहा था कि राजस्थान में भी बीजेपी और जननायक जनता पार्टी (जेजेपी ) का गठबंधन हो सकता है। इसी तरह महाराष्ट्र में शिवसेना शिंदे गुट के साथ बीजेपी सरकार में शामिल है। राजस्थान में इस पार्टी में सरकार के बर्खास्त मंत्री राजेंद्र गुढ़ा शामिल हुए हैं और इस पार्टी के राजस्थान में प्रवेश के बाद यह माना जा रहा था कि यहां भी कोई गठबंधन हो सकता है। लेकिन, बीजेपी की प्रत्याशियों की सूची जारी होने के बाद जेजेपी और शिवसेना के साथ गठबंधन की संभावनाएं लगभग खत्म हो गई है। बीजेपी ने जेजेपी और शिवसेना की प्रमुख दावेदारी वाली सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए है।
जेजेपी ने भी उम्मीदवार किए घोषित
जेजेपी राजस्थान के शेखावाटी क्षेत्र की कुछ सीटों पर गठबंधन की उम्मीद में थी क्योंकि, यह जाट बहुल इलाका है और दुष्यंत चौटाला के पिता अजय चौटाला यहां से चुनाव लड़कर विधायक रह चुके हैं। बीजेपी ने अपनी 41 प्रत्याशियों की पहली सूची में उन सीटों पर भी उम्मीदवार उतार दिए जहां जेजेपी अपना दावा मजबूत मान गठबंधन की आस लगाए हुए थी। बीजेपी ने दातारामगढ़ से गजानंद कुमावत और फतेहपुर से श्रवण सिंह चौधरी को मैदान में उतार दिया है। बीजेपी की घोषणा के साथ अब जेजेपी ने भी इन दोनों सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए। जेजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अजय चौटाला ने 30 सीटों पर अपने उम्मीदवार मैदान में उतरने के साथ फतेहपुर से नंदकिशोर महरिया और दांतारामगढ़ से रीटा सिंह को चुनावी मैदान मे उतारा है। रोचक बात यह है कि नंदकिशोर महरिया भारतीय जनता पार्टी के लक्षणगढ़ से प्रत्याशी बनाए गए सुभाष महरिया के भाई हैं। वही रीटा सिंह कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नारायण सिंह की पुत्रवधू है और उनके पति वीरेंद्र सिंह अभी इसी सीट से कांग्रेस के विधायक हैं।बीजेपी में जिस तरह जेजेपी की मजबूती वाली सीटों पर प्रत्याशी खड़े किए हैं उसे देखते हुए लग यही रहा है कि दोनों दलों के बीच गठबंधन के संभावना नहीं है, लेकिन बताया जा रहा है कि प्रयास अभी भी जारी है। हालांकि, जेजीपी ने उत्तरी और पूर्वी राजस्थान की करीब 25 से 30 सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़े करने की तैयारी कर ली है। पार्टी के नेता दुष्यंत चौटाला इन क्षेत्रों में दौरे और रैलियां कर रहे हैं। वहीं, शिवसेना शिंदे गुट के साथ गठबंधन की बात की जाए तो माना जा रहा था कि उदयपुरवाटी की सीट पार्टी शिवसेना शिंदे गुट के लिए छोड़ सकती है, क्योंकि यहां से मौजूदा विधायक राजेंद्र गुढ़ा मंत्री पद से बर्खास्त होने के बाद शिवसेना में शामिल हो गए थे और इसके लिए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे खुद उदयपुरवाटी आए थे, लेकिन भाजपा प्रत्याशियों की पहली सूची में पार्टी ने उदयपुरवाटी से शुभकरण चौधरी को उम्मीदवार बना दिया है। ऐसे में शिवसेना शिंदे के साथ भी गठबंधन की संभावना खत्म हो गई है।
कांग्रेस विपक्षी दलों के एक बड़े गठबंधन का हिस्सा
उधर कांग्रेस की बात की जाए तो पिछले चुनाव में पार्टी ने पांच सीटें सहयोगी दलों के लिए छोड़ी थी। कांग्रेस ने मुंडावर और कुशलगढ़ की दो सीटों पर लोकतांत्रिक जनता दल और भरतपुर और मालपुरा सीटों पर राष्ट्रीय लोकदल और बाली की एक सीट पर एनसीपी के साथ गठबंधन किया था। इनमें से गठबंधन की एक ही सीट पर जीत हासिल हो पाई थी। भरतपुर से राष्ट्रीय लोक दल के डॉ सुभाष गर्ग चुनाव जीते थे। गर्ग मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नजदीकी नेताओं में है और यही कारण रहा कि गठबंधन से होने के बावजूद उन्हें सरकार में मंत्री बनाया गया। इस बार की बात करें तो राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस विपक्षी दलों के एक बड़े गठबंधन का हिस्सा है। इस गठबंधन में राजस्थान में चुनाव लड़ रही दो बड़ी पार्टियों आम आदमी पार्टी और माकपा शामिल है। ऐसे में यह माना जा रहा था कि राजस्थान में भी कांग्रेस आम आदमी पार्टी और माकपा के साथ गठबंधन कर सकती है, लेकिन दोनों ही दलों के बड़े नेताओं ने किसी भी तरह के गठबंधन से इनकार कर दिया है। आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रभारी विनय मिश्रा ने कहा है कि हम सभी सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। वही माकपा के नेता पूर्व विधायक अमराराम ने भी स्पष्ट कर दिया है कि कोई गठबंधन नहीं होने जा रहा है।
राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के साथ हो सकता गठबंधन
हालांकि, इनकी जगह पार्टी हनुमान बेनीवाल के दल राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के साथ गठबंधन में जा सकती है। नागौर में मिर्धा परिवार की बेटी ज्योति मिर्धा के बीजेपी में शामिल होने के बाद यह संभावनाएं बनी है। हालांकि, यह तय माना जा रहा है कि बेनीवाल और कांग्रेस का गठबंधन आसान नहीं होगा क्योंकि, कांग्रेस में हरीश चौधरी और दिव्या मदेरणा जैसे नेता हनुमान बेनीवाल के साथ गठबंधन को स्वीकार नहीं कर रहे हैं। इसके अलावा पार्टी राष्ट्रीय लोक दल के साथ अपने गठबंधन को जारी रख सकती है। सुभाष गर्ग इस बार भी भरतपुर से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं और माना जा रहा है कि कम से कम इस सीट के लिए आरएलडी और कांग्रेस का गठबंधन हो सकता है। गठबंधन होगा या नहीं इसे लेकर पार्टी अधिकृत रूप से अभी कुछ कहने को तैयार नहीं है।