गंगेश द्विवेदी, RAIPUR. रायपुर के चारों विधानसभा सीटों पर पहले बीजेपी का दबदबा था, 2018 के चुनाव में तीन सीटें कांग्रेस के पाले में आई, लेकिन रायपुर दक्षिण बीजेपी का अभेद किला बना रहा। पिछली बार बीजेपी के बृजमोहन अग्रवाल ने कांग्रेस के कन्हैया अग्रवाल को हराकर लहर के विपरीत जीत दर्ज की थी। इस बार कांग्रेस ने महंत रामसुंदर दास के रूप में रायपुर दक्षिण से हिंदुत्व कार्ड खेलकर मुकाबले को चुनौतीपूर्ण कर दिया है। महंतराम सुंदरदास वर्तमान में जांजगीर चांपा जिले के जैजैपुर सीट से विधायक हैं। सरकार में गौसेवा आयोग के अध्यक्ष हैं और कैबिनेट मंत्री का दर्जा भी उन्हें सरकार ने दिया है।
एक हफ्ते से दिल्ली में डटे थे प्रमोद
इस सीट पर ब्राह्मण समाज से दूसरे प्रबल दावेदार पूर्व महापौर प्रमोद दुबे अपनी टिकट फाइनल कराने के लिए पिछले एक हफ्ते से दिल्ली में थे। उल्लेखनीय है कि 2018 के चुनाव में तत्कालीन पीसीसी चीफ भूपेश बघेल की रायपुर दक्षिण के लिए पहली पसंद प्रमोद दुबे ही थे। पिछली बार उन्होंने मिलती हुई टिकट को ठुकरा दिया था और रायपुर उत्तर से दावेदारी पेश की थी। पिछली बार कांग्रेस ने उन्हें विधायक का टिकट तो नहीं दिया, लेकिन लोकसभा चुनाव में बीजेपी के पूर्व महापौर सुनील सोनी के सामने उन्हें उतारा था। पिछली लोकसभा का चुनाव दो शहरी मामलों के जानकारों के आमने-सामने आने से दिलचस्प हो गया था, लेकिन परिणाम आए तो प्रमोद दुबे को लेकर कांग्रेस को गहरी निराशा हाथ लगी। वे साढ़े तीन लाख से अधिक वोटों से हार गए थे। इसके बाद उन्होंने फिर से महापौर बनने की उम्मीद में पार्षद चुनाव लड़ लिया था, उन्हें सभापति बनाकर संतुष्ट किया गया, लेकिन इस फैसले के लिए सीएम भूपेश ने खासी नाराजगी व्यक्त की थी।
क्या होगा अब उत्तर का ?
रायपुर उत्तर की सीट चारों सीटों में सबसे टफ मानी जाती है। ऐसा इसलिए है कि शहर के कोर एरिया में सीमांकित इस विस क्षेत्र में राजनीतिक और जातिगत समीकरण मोहल्ले के साथ बदल जाते हैं। इस सीट पर सिंधी और ओबीसी वोटर्स की बहुलता है, लेकिन ओबीसी में भी मोहल्ले के साथ लोगों की राजनीतिक सोच में तेजी से बदलाव दिखता है। वहीं एससी, गुजराती, मारवाड़ी समाज के अलावा बड़ी संख्या झुग्गी बस्तियों में ओडिया समाज की है। अभी तक यहां बीजेपी लगातार सिंधी समाज को प्राथमिकता देती रही है, लेकिन इस बार ओडिया समाज के ब्राह्मण प्रत्याशी पुरंदर मिश्रा को टिकट देकर नई चुनौतियां कांग्रेस के सामने पेश की हैं। वर्तमान विधायक कुलदीप जुनेजा की यहां की बस्तियो में अच्छी खासी पैठ मानी जाती है, लेकिन पॉश कॉलोनी वाले देवेंद्र नगर से लेकर घने बसे फाफाडीह क्षेत्र में खासा वैरिएशन है। इसी वजह से कांग्रेस इस बार इस सीट से टिकट तय करने में समय लगा रही है।
विधायक विकास के सामने पूर्व दिग्गज मंत्री
विधायक और संसदीय सचिव विकास उपाध्याय की टिकट रिपीट की गई है। उनके सामने रमन शासन काल में तीन बार मंत्री रहे बीजेपी के राजेश मूणत हैं। पिछले चुनाव से पहले मूणत ने अपने क्षेत्र में जबर्दस्त विकास के कार्य कराए थे। रेलवे स्टेशन से नया रायपुर तक एक्सप्रेस हाइवे से लेकर गुढियारी क्षेत्र में सिक्स लेन सड़क के अलावा ओवर और अंडरब्रिज का जाल बिछाया, लेकिन अपने रूखे व्यवहार के चलते उनके खिलाफ मतदाताओं के अलावा कार्यकर्ताओं में भी नाराजगी थी। जो मूणत के हार की यही बड़ी वजह बनी थी। हालांकि इस बार विकास के कार्यों का सालों लटके रहना, चिकनी सड़कों की पांच साल तक खुदाई के कारण इस बार विकास के खिलाफ लोगों में नाराजगी है। जबकि इस बात की चर्चा होने लगी है कि बीजेपी शासन काल में यह क्षेत्र खासा डेवलप हुआ था। विकास को जनता के बीच बनती यह धारणा नुकसान पहुंचा सकती है। वहीं मूणत ने अपने पारंपरिक निवास रामसागर पारा से चौबे कॉलोनी में शिफट कर लिया है। कार्यकर्ताओं के बीच काफी विनम्र होकर मिल रहे हैं।