वेंकटेश कोरी, JABALPUR. वैश्विक महामारी कोरोना के दौरान यूं तो जरूरतमंदों और गरीबों की मदद के लिए हर कोई आगे आया और लोगों ने बढ़-चढ़कर मदद भी की, लेकिन जबलपुर के एक विधायक का मदद करना ही उनके लिए मुसीबत का सबब बन गया है। जबलपुर के उत्तर मध्य क्षेत्र के कुछ इलाकों में लोगों ने 'आधी लौकी' का तकिया कलाम ही बना लिया है और वे विधायक के नाम के साथ 'आधी लौकी' शब्द लगाना नहीं भूलते। हम बात कर रहे हैं जबलपुर के उत्तर मध्य क्षेत्र से कांग्रेस के विधायक और पार्टी के ही मौजूदा प्रत्याशी विनय सक्सेना की। कोरोना महामारी के दौरान विधायक विनय सक्सेना ने लोगों की मदद के लिए राशन और सब्जी के कई पैकेट बनवाए और उन्हें अलग-अलग इलाकों में बंटवा दिए, लेकिन उनके परोपकार का यही काम उनके गले की फांस बनता नजर आ रहा है।
'आधी लौकी' भेजने से भड़के मतदाता
उत्तर मध्य क्षेत्र के कुछ मतदाता इस बात से नाराज हैं कि कोरोना संकट के दौरान अनजान लोगों ने भी एक-दूसरे की दिल खोलकर मदद की। लोगों का आरोप है विधायक होने के बावजूद भी विनय सक्सेना ने मदद के नाम पर उनसे मजाक किया है, सूखे अनाज तो उन्होंने भेज दिया, लेकिन सब्जी के नाम पर आधी लौकी भेज दी, उन्होंने राशन के साथ आधी लौकी दर्जनों परिवारों को भेजी है, जिससे उनकी नाराजगी तब से लेकर अब तक लगातार चली आ रही है।
मदद को मान रहे मजाक
कोरोना लॉकडाउन के दौरान लोगों को दिए गए इस मदद से स्थानीय लोग खुश होने के बजाए नाराज हैं, उनकी नाराजगी की सबसे बड़ी वजह यह है की मदद के नाम पर जो पैकेट भेजे गए थे, उनमें दाल-चावल के साथ-साथ सब्जी बनाने के लिए आधी लौकी भेजी गई थी। तब से लेकर अब तक स्थानीय नागरिक और विपक्ष से जुड़े लोग नाराज हैं और भारतीय जनता पार्टी से जुड़े कार्यकर्ता तो इस मुद्दे को भुनाने की कोशिशों में जुट गए हैं। स्थानीय बीजेपी कार्यकर्ता आसिफ अंतूनी के मुताबिक लॉकडाउन के दौरान मदद के नाम पर भेजे गए पैकेट को लेकर स्थानीय लोगों में नाराजगी है और अब वे इस बार के चुनाव में अपने साथ हुए सलूक को याद रखने की बात कर रहे हैं। हांलाकि, द सूत्र ने विधायक विनय सक्सेना से आधी लौकी की वजह जानने की कोशिश की, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका।