JAIPUR. राजस्थान में विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस में टिकट तय किए जाने की प्रक्रिया चल रही है। इसी बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का बड़ा बयान सामने आया है। पार्टी में गुटबाजी की अटकलें को विराम देते हुए गहलोत ने कहा कि सचिन के सब टिकट क्लियर हो रहे हैं। मैंने एक भी टिकट पर आपत्ति नहीं की है। इससे बड़ा भाईचारा हमारे बीच क्या होगा। इसके साथ ही उन्होंने सरकार बनने पर मुख्यमंत्री पद की दावेदारी फिर से करने के संकेत भी दिए और कहा कि मैं तो यह पद छोड़ना चाहता हूं, लेकिन यह पद मुझे नहीं छोड़ रहा है और छोड़ेगा भी नहीं। हालांकि, बाद में बात को संभालते हुए उन्होंने यह भी कहा कि आखिर गांधी परिवार भी मुझ पर भरोसा कर रहा है तो उसका कोई तो कारण होगा।
गहलोत-सचिन के बीज खींचतान में अटकी लिस्ट
राजस्थान में कांग्रेस की पहली सूची भी अभी नहीं आई है। मंगलवार को स्क्रीनिंग कमेटी की मैराथन बैठक और उसके बाद बुधवार को केंद्रीय चुनाव समिति की करीब 3 घंटे तक चली बैठक के बावजूद पार्टी की पहली सूची जारी नहीं हो पाई। सूची के अटकने के कई कारण बताए जा रहे हैं और उसमें एक बड़ा कारण मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच लंबे समय से चली आ रही खींचतान को भी माना जा रहा है।
'सचिन के एक भी टिकट को लेकर ऑब्जेक्शन नहीं किया'
गहलोत गुरुवार को दिल्ली में ही थे और यहां आईसीसी मुख्यालय पर प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने किसी भी तरह की गुटबाजी होने से इनकार किया और कहा कि सचिन पायलट और मैं टिकट के सभी फैसलों में शामिल हैं। हम सारे मतभेद भुला चुके हैं। पायलट के समर्थकों के सारे टिकट क्लियर हो रहे हैं, मैंने एक भी सीट को लेकर ऑब्जेक्शन नहीं किया।
'प्रत्याशी चुनने का क्राइटेरिया सिर्फ जिताऊ उम्मीदवार'
उन्होंने कहा कि सरकार पर संकट के समय जब हम 40 दिन तक होटल में रहे थे तो बाहर निकलकर मैंने सिर्फ एक ही बात कही थी फॉरगेट एंड फॉरगिव यानी हम सब कुछ भूल कर अब चुनाव में एकजुटता के साथ लगे हुए हैं। उन्होंने कहा कि इस समय हमारे सामने प्रत्याशी चुनने का क्राइटेरिया सिर्फ एक ही है कि हमें जिताऊ उम्मीदवार चाहिए। इसके अलावा हम कुछ नहीं देख रहे।
सीएम पद की दावेदारी के संकेत भी दिए
जब गहलोत से पूछा कि क्या सरकार बनने पर भी फिर से सीएम बनना चाहेंगे तो गहलोत ने सीएम पद की दावेदारी करने के संकेत भी दिए और कहा कि सोनिया गांधी ने मुझे सबसे पहले सीएम बनाया था। मैं उस समय सीएम पद का दावेदार था भी नहीं। फिर भी मुझे सीएम बनाया। उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि कांग्रेस में किसी को उम्मीदवार बनाना भी नहीं चाहिए क्योंकि जो उम्मीदवार बनता हैं वह सीएम नहीं बन पाता।
'भरोसा जताया जा रहा है तो मुझ में कोई तो बात होगी'
उन्होंने कहा कि मैं सीएम पद छोड़ना चाहता हूं, लेकिन यह पद मुझे नहीं छोड़ रहा है और शायद छोड़ेगा भी नहीं। हालांकि, बाद में उन्होंने अपनी बात संभाली और यह भी कहा कि गांधी परिवार ने मुझे तीन बार मौके दिए हैं और यदि हर बार मुझ पर भरोसा जताया जा रहा है तो मुझ में कोई तो बात होगी। गहलोत ने कहा कि हम अभी पद के बारे में नहीं सोच रहे, हमें सिर्फ राहुल गांधी के हाथ मजबूत करने हैं, क्योंकि अकेले वही नेता हैं जो नरेंद्र मोदी का मुकाबला कर रहे हैं।
विधायक करप्ट नहीं हैं
गहलोत ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि विधायकों के खिलाफ भ्रष्टाचार और एंटी इनकंबेंसी के आरोप गलत हैं और उनमें कोई दम नहीं है। उन्होंने एक बार फिर उनकी सरकार गिराने के प्रयासों के समय का जिक्र किया और कहा कि विधायकों को 10-10 करोड़ रुपए का ऑफर मिल रहा था, लेकिन उन्होंने उसे स्वीकार नहीं किया। इसका मतलब यह है कि विधायक करप्ट नहीं है।
आखिर इस बयान के मायने क्या है
गहलोत के ये बयान इस मौके पर काफी अहम माने जा रहे हैं। पार्टी में प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया चल रही है और बैठक के बावजूद सूची जारी नहीं होने की लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। ऐसे में गहलोत ने सचिन समर्थकों के टिकिट क्लियर होने की बात कह कर ना सिर्फ एकजुट होने का संदेश दिया है, बल्कि आपसी खींचतान के कारण सूची अटकने की अटकलों पर भी विराम लगाने की कोशिश की है।इसके साथ ही गहलोत ने यह संदेश भी दिया है कि सूची यदि अटक रही है तो उसके पीछे वे कोई कारण नहीं हैं। इसके साथ ही गहलोत ने मौजूदा विधायकों को भी क्लीन चिट दी और कहा कि उनके साथ देने वाले विधायक करप्ट नहीं हो सकते। यह बयान उन अटकलें का जवाब माना जा रहा है जिनके जरिए यह बात सामने आ रही है की पार्टी आला कमान एंटी इनकंबेंसी के चलते कई विधायकों के टिकिट काटना चाह रहा है।
तस्वीर बता रही है राहुल का कड़ा रुख
गौरतलब है कि बुधवार को ही केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक के बावजूद सूची जारी नहीं हुई और बैठक की एक तस्वीर साफ तौर पर बता रही है कि राहुल गांधी एक सर्वे रिपोर्ट लेकर बैठे हैं और उन्होंने कई सीटों को लेकर चर्चा की है। बताया जा रहा है कि यह सर्वे सुनील कालूगोलु ने किया है। इसके अलावा राजस्थान के सीनियर ऑब्जर्वर बनाए गए मधुसूदन मिस्त्री की रिपोर्ट भी काफी अहम मानी जा रही है। बताया जा रहा है कि राहुल ने इन्हीं दोनों रिपोर्ट के आधार पर स्क्रीनिंग कमेटी के सिंगल नामों के पैनल पर सवाल उठाए हैं। सूत्रों का कहना है कि जो 106 नाम रखे गए हैं उनमें से लगभग 30-40 नामों पर फिर से एक्सरसाइज होगी और पहली सूची में 50 के आस पास ही नाम होने की संभावना है।
यह भी कहा गहलोत ने
गहलोत ने कहा कि मेरे कारण वसुंधरा राजे को सजा नहीं मिलनी चाहिए। जब राजस्थान में 2020 में सरकार पर संकट आया तो उसके बाद मेरे मुंह से निकल गया कि मेरी सरकार जब संकट में थी तो वसुंधरा और कैलाश मेघवाल की वही राय थी कि इस तरह सरकार नहीं गिरानी चाहिए। उन्होंने कहा कि मैं मेरी भावनाओं को प्रकट करता हूं, उसमें कई तरह के फ्लेवर लगा दिए जाते हैं।
मोदी से बड़ा फकीर मैं हूं
गहलोत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद को फकीर बताते हैं, मैं उनसे बड़ा फकीर हूं। उन्हें यह दावा नहीं करना चाहिए। मैंने आज तक जीवन में एक इंच जमीन नहीं खरीदी।
टाइम देकर मिलने से मना किया
गहलोत ने सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स (सीबीडीटी) के चेयरमैन पर आरोप लगाया है कि उन्होंने टाइम देने के बाद मिलने से इनकार कर दिया है। गहलोत ने कहा कि जैसे ही मैंने मीडिया को बताया कि मैं सीबीडीटी चेयरमैन से मिलने जा रहा हूं, वहां से कॉल आ गया कि आप अभी मत आओ, हम बाद में खुद आकर आपसे मिल लेंगे।
आचार संहिता के बाद छापेमारी करना गलत
उन्होंने कहा कि आचार संहिता लगने के बावजूद ईडी, इनकम टैक्स विपक्ष के नेताओं पर छापे डाल रही हैं। इसका मतलब आप एक पार्टी को फायदा पहुंचा रहे हो। केंद्रीय एजेंसी का जमकर दुरुपयोग किया जा रहा है, इससे इन एजेंसियों की साख खतरे में है। उन्होंने कहा कि इस मामले में चुनाव आयोग को दखल देना चाहिए।
अफसरों का दायित्व देश के प्रति होना चाहिए
गहलोत ने कहा कि विपक्षी पार्टियों के नेताओं पर जिस तरह ईडी के छापे पड़ रहे हैं, वह राजनीतिक तौर से निशाना बनाए जाने के लिए किया जा रहा है। मैं सीबीआई, ईडी और इनकम टैक्स के अफसरों से कहना चाहता हूं कि वह एजेंसियों की गरिमा को बनाए रखें। इन तीनों प्रीमियम एजेंसी के प्रमुखों का दायित्व देश के प्रति होना चाहिए।
गहलोत ने कहा- यूपीए सरकार में ईडी के 912 छापे पड़े, इनमें 93 प्रतिशत मामलों में चार्जशीट दायर की गई, जबकि मोदी सरकार में 3010 छापे पड़े, इसमें से 888 यानी लगभग 29 मामलों में ही चार्जशीट दायर की गई है।
आज देश बेबस होकर देख रहा है
गहलोत ने कहा आज साहित्यकारों, पत्रकारों को जेल में डाला जा रहा है। इनकी करतूतों को देश देख रहा है। देश बेबस है। मणिपुर में क्या हो रहा है, इतनी बड़ी घटनाएं हो जाएं और कोई कार्रवाई नहीं हो।