संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर में विधानसभा की नौ सीटों में से छह सीटों के प्रत्याशी घोषित हो गए, पहली सूची में जहां राउ का नाम अप्रत्याशित था तो दूसरी सूची के नाम चौंकाने वाले थे और वहीं तीसरी सूची में दोनों ही बातें नहीं थी और यह पहले से ही तय नाम थे। लेकिन बीजेपी ने डी और सी कैटेगरी के बाद बी की जगह अपनी मजबूत माने जाने वाली ए कैटेगरी की सीट विधानसभा दो और चार के साथ सांवेर घोषित कर संकेत दे दिए हैं कि बी कैटेगरी में चेहरे बदले जा रहे हैं। यह सूची आखरी में इसलिए जारी होगी ताकि डैमेज कंट्रोल किया जा सके।
क्यों उठ रही उषा, हार्डिया और आकाश के टिकट की बात
इंदौर विधानसभा तीन- यहां से बीजेपी के विधायक आकाश विजयवर्गीय का पहले टिकट तय था, लेकिन जिस तरह से विधाननसभा एक से उनके पिता कैलाश विजयवर्गीय का अप्रत्याशित नाम आया, उसके बाद एक ही परिवार से एक टिकट, फार्मूले कारण उनका टिकट कटना तय है और वह इस मामले में राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र भी लिख चुके हैं कि पिता का टिकट हो गया इसलिए मेरे नाम पर विचार नहीं हो।
फिर दावेदार कौन- यहां नया चेहरा आना तय है, इसमें आगे नाम सुमित्रा महाजन के बेटे मिलिंद का तेजी से आगे आया है। वहीं उषा ठाकुर का नाम चर्चा में हैं। उन्हें बीजेपी वापस महू से यहां ला सकती है, वह यहां से 2013 में चुनाव जीती थीं।
इंदौर विधानसभा पांच- यहां से साल 2003 से ही महेंद्र हार्डिया विधायक हैं। लेकिन पिछला चुनाव 1132 वोट से हारे थे, दो महीने से उनके खिलाफ पार्टी में ही बगावती सुर चल रहे हैं, पदाधिकारी यहां तक कह चुके हैं कि केवल क्या एक ही नाम का ठेका है। उन्हें टिकट दिया तो हार जाएंगे।
फिर दावेदार कौन- यहां से बीजेपी के नगर अध्यक्ष गौरव रणदिवे का नाम चल रहा है, लेकिन यदि मिलिंद का हुआ तो फिर उन्हें टिकट मुश्किल होगा। इसके साथ ही डॉ. निशांत खरे का नाम लंबे समय से चल रहा है। संघ के पूर्व पदाधिकारी ए. अधिकारी का नाम चल रहा है।
विधानसभा महू- यहां से विधायक उषा ठाकुर अभी मप्र शासन की मंत्री भी हैं। यह उनकी तीन चुनाव में तीसरी अलग-अलग सीट थी। यहां उनके लिए स्थिति मजबूत नहीं कही जा रही है। साल 2008 में तो इंदौर एक से उनका विधायक रहते हुए भी टिकट काट दिया गया था और फिर 2013 में विधानसभा तीन से और फिर 2018 में महू से टिकट दिया गया था। इस बार उनके टिकट पर भी संकट के बादल हैं।
फिर दावेदार कौन- यहां से बीजेपी की ओर से डॉ. निशांत खरे का नाम लगातार चर्चा में हैं, इसके साथ ही युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष मनोज ठाकुर, नगर महामंत्री लोकेश शर्मा और दिनेश कंचन सिहं चौहान के नाम भी रेस में बने हुए हैं।
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अभी तक कैटेगरी वाइज इस तरह नाम सामने आए
पहली सूची- 17 अगस्त को आई सूची में डी कैटेगरी की राउ पहले नंबर पर थी, जहां पर बीजेपी ने पहली सूची में साल 2018 में ही हारे प्रत्याशी 71 वर्षीय मधु वर्मा को फिर टिकट दिया। हालांकि, इस टिकट को लेकर अभी भी स्थिति डावांडोल मानी जा रही है और कयास लगाए जा रहे हैं कि टिकट बदला जा सकता है। वहीं इंदौर सांवेर के दावेदार राजेश सोनकर को सोनकच्छ भेज दिया गया।
दूसरी सूची- 25 सितंबर को आई इस सूची में सी कैटेगरी की इंदौर विधानसभा एक से चौंकाने वाला नाम कैलाश विजयवर्गीय का आया। यह सभी के साथ उनके लिए भी चौंकाने वाला फैसला रहा। वहीं देपालपुर सीट से हारे हुए प्रत्याशी मनोज पटेल को टिकट दिया गया, जिसका हिंदू संगठनों द्वारा विरोध जारी है।
तीसरी सूची- बीजेपी की नौ अक्टूबर को जारी इस सूची में इंदौर विधानसभा दो से रमेश मेंदोला, विधानसभा चार से मालिनी गौड़ और सांवेर से मंत्री तुलसीराम सिलावट को टिकट दिया गया। यह सभी नाम पहले से तय थे, हालांकि चार नंबर में विरोध के सुर उठे थे, लेकिन वह इतने मजबूत नहीं थे। इस विरोधी गुट को थोड़ी कामयाबी यह रही कि वह एकलव्य गौड़ के मुख्य विरोधी थे और उन्हें डर था कि मालिनी की जगह उन्हें टिकट नहीं मिल जाए तो फिलहाल पार्टी ने मालिनी को ही बनाकर रखा हुआ है।
कब से लड़ रहे मेंदोला, गौड़ और सिलावट
मंत्री सिलावट मौजूदा प्रत्याशियों में सबसे पुराने हैं, संभवत: वह मप्र में सबसे पुराने विधानसभा प्रत्याशी है। वह साल 1985 से चुनाव लड़ रहे हैं। साल 2018 में वह कांग्रेस की ओर से जीते थे फिर बीजेपी में जाने के बाद 2020 में उपचुनाव 53 हजार वोट से जीते थे।
रमेश मेंदोला- विधानसभा चुनाव 2008 में 39 हजार 937 वोट से सुरेश सेठ से जीते, फिर 2013 में छोटू शुक्ला को 91 हजार से अधिक वोट से हराया, फिर 2018 में मोहन सेंगर को 71 हजार से अधिक वोट से हराया।
मालिनी गौड़- विधानसभा चार में साल 2008 में पहली बार गोविंद मंगवानी से 28 हजार से जीती, 2013 में 33 हजार से अधिक वोट से सुरेश मिंडा से जीती फिर 2018 में वह सुरजीत सिंह चड्ढा से 43 हजार से अधिक वोट से जीती। इसके पहला उनके पति लक्ष्मण सिंह गौड़ साल 1993, 1998 और 2003 में भारी मतों से जीते थे।