BHOPAL. केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने 2020 में मध्य प्रदेश से राज्यसभा के लिए चुने गए ज्योतिरादित्य सिंधिया के चुनाव को चुनौती देने वाली याचिका शुक्रवार, 13 अक्टूबर को खारिज कर दी।
सुप्रीम कोर्ट की युगल पीठ ने सुनाया फैसला
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस संजय करोल की पीठ ने फैसला सुनाया है। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के उस आदेश के खिलाफ कांग्रेस नेता डॉ. गोविंद सिंह की याचिका में हस्तक्षेप का कोई मामला नहीं बनता है।
सिंधिया ने शपथ पत्र में नहीं दी थी एफआईआर की जानकारी
डॉ. गोविंद सिंह ने 19 जून, 2020 को हुए राज्यसभा निर्वाचन के दौरान सिंधिया की उम्मीदवारी को इस आधार पर चुनौती दी थी कि शपथ पत्र के साथ नामांकन पत्र जमा करते समय उन्होंने भोपाल में दर्ज एफआईआर की जानकारी का खुलासा नहीं किया था।
डॉ. गोविंद सिंह का तर्क
डॉ. गोविंद सिंह ने याचिका में यह तर्क दिया गया कि सिंधिया ने अपने नामांकन पत्र में एफआईआर का खुलासा ना कर तथ्यों को छुपाया, जो धोखाधड़ी और भ्रष्ट आचरण के बराबर हैं और उनके चुनाव को शून्य घोषित किया जाना चाहिए।
हाई कोर्ट ने याचिका की समीक्षा करने से किया था इनकार
समक्ष दायर याचिका में तर्क दिया गया कि हाई कोर्ट ने चुनाव याचिका की समीक्षा करने से इसलिए इनकार कर दिया था कि केवल एफआईआर दर्ज करना एक "लंबित आपराधिक मामला" नहीं बनता है जिसका खुलासा नामांकन पत्रों में किया जा सके। सिंधिया ने हाई कोर्ट में कहा था कि उनके खिलाफ कोई आपराधिक केस नहीं है और तर्क दिया था कि केवल एफआईआर दर्ज कर लेने से अपराध साबित नहीं हो जाता।