सूर्यप्रताप सिंह, BHOPAL. निजी स्कूल में पढ़ने वाले 14 साल का स्टूडेंट डेढ़ लाख के फोन की मांग कर रहा था। परिजनों के इंकार करने पर उसने आत्महत्या तक की धमकी दी। जिसकी काउंसलिंग चाइल्ड गाइडेंस क्लिनिक में की गई। इसी तरह की समस्या को देखकर बीएमएचआरसी प्रभारी निदेशक डॉ. मनीषा श्रीवास्तव ने खास क्लिनिक का शुभारंभ किया। जिसमें मानसिक, भावनात्मक, व्यवहारात्मक और किशोरावस्था से जुड़ी समस्याओं से जूझ रहे बच्चों का इलाज किया जाएगा।
14 साल के किशोर ने की 1.5 लाख के फोन की मांग
निजी स्कूल में पढ़ने वाले 14 साल के किशोर को नए-नए गैजेट्स की लत है। जिसके बाद उसने पैरंट्स से आईफोन दिलाने की मांग करने लगा। परिजनों के इनकार करने पर किशोर ने आत्महत्या करने और खुद को तकलीफ पहुंचाने की धमकी दी। इतना ही नहीं एक बार तो घर छोड़कर भाग गया। समस्या को देख बच्चे को अस्पताल में भर्ती किया गया है। एक परिवार में तीन बहनों के बीच सबसे छोटा एक 13 वर्ष का भाई है। मां की उम्र में 55 वर्ष है। उम्र का फासला और मां का आदेशात्मक व्यवहार से किशोर अपनी मां से कम बात करता था। ऐसे में उसने अपनी बड़ी बहन को मां की तरह पाया। जब बहन की शादी हो गई। तो बच्चा बहुत चिड़चिड़ा और गुस्सा करने लगा। इसके बाद पढ़ाई बंद करके अकेले रहने लगा। समस्या अधिक बढ़ने पर पैरंट्स बच्चे को बीएमचआरसी लेकर आए। यहां पूरे परिवार की काउंसलिंग कर इलाज किया गया।
बच्चों में बढ़ रहा डिप्रेशन
चाइल्ड गाइडेंस क्लिनिक में मानसिक विभाग की सहायक प्रोफेसर डॉ. ज्योत्सना जैन ने बताया कि विभिन्न कारणों से बच्चों के दिमाग का विकास नहीं हो पाता है। कई पारिवारिक व भावनात्मक मुद्दों से जूझ रहे होते हैं। यही नहीं पहले के मुकाबले अब बच्चों में डिप्रेशन और व्यग्रता ज्यादा देखने को मिल रही है। इसके चलते इंटरनेट यूज़ डिसऑर्डर, गेमिंग डिसऑर्डर के मामले भी बढ़ रहे हैं।
क्लिनिक बना है बच्चों के अनुकूल
बीएमएचआरसी की प्रभारी निदेशक डॉ. मनीषा श्रीवास्तव ने बताया कि कम उम्र में ही बच्चों पर काफी दबाव आ गया है। जिसमें पढ़ाई, सामाजिक, सफल होने, अच्छा इंसान बनने समेत अन्य दबाव शामिल हैं। इसको देखते हुए ये क्लिनिक शुरू किया है। इसे बच्चों के अनुकूल बनाया गया है। दीवारों पर पेंटिंग की गई है। जिसमें रंगों का विशेष ध्यान रखा गया है। बच्चों के लिए कई खिलौने और लर्निंग गेम्स भी हैं।
इन बीमारियों का हो रहा है इलाज
- न्यूरो डेवलपमेंट डिसऑर्डर : ऑटिज्म स्पेक्टम डिसऑर्डर, एडीएचडी अटेंशन डेफिसिट हाइपर काइनेटिक डिसऑर्डर, इंटेलेक्चुअल डिसएबिलिटीज, स्पेसिफिक लर्निंग डिसएबिलिटी।
- इमोशनल बिहेवियर डिसऑर्डर : बच्चों में डिप्रेशन, व्यग्रता, ओसीडी ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर, कंडक्टिव डिसऑर्डर।
- बिहेवियर एडिक्शन : इंटरनेट का अत्यधिक इस्तेमाल, वीडियो गेम की लत लगना।
- किशोरावस्था संबधी समस्याएं : अपने बच्चों को परेशान करना, हिंसात्मक व्यवहार करना, रिलेशनशिप से संबंधित विषय, कैरियर गाइडेंस।