देशभर में गरीबी से उबरे 24.82 करोड़ लोग, 9 सालों में 2.30 करोड़ आबादी गरीबी रेखा से बाहर, तीसरे स्थान पर एमपी

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Pooja Kumari
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देशभर में गरीबी से उबरे 24.82 करोड़ लोग, 9 सालों में 2.30 करोड़ आबादी गरीबी रेखा से बाहर, तीसरे स्थान पर एमपी

BHOPAL. बीते 9 सालों में बड़ी आबादी को गरीबी रेखा से उबारने वाले राज्यों में उत्तरप्रदेश और बिहार के बाद अब एमपी तीसरे स्थान पर आ गया है। रिपोर्ट के मुताबिक देशभर में कुल 24.84 करोड़ आबादी गरीबी रेखा से बाहर निकले हैं। वहीं एमपी की बात करें तो पिछले 9 सालों में कुल 2.30 करोड़ जनसंख्या गरीबी रेखा से बाहर निकली हैं। जानकारी के मुताबिक गरीबी को हराने वालों में सर्वाधिक 5.94 करोड़ आबादी उत्तरप्रदेश के और 3.77 करोड़ लोग बिहार के हैं। वहीं 1.87 करोड़ की आबादी के साथ राजस्थान अभी चौथे स्थान पर है। बता दें कि विश्व बैंक ने दिनभर में 180 रुपए से कम कमाने वालों को गरीबी रेखा से नीचे माना है। रिपोर्ट की मानें तो वर्ष 2017 में गरीबों की संख्या 18.73% थी, जो कि 2021 में 11.90% इतनी रह गई थी।

प्रोफेसर रमेश चंद्र ने जारी किया रिपोर्ट

बता दें कि नीति आयोग की ओर से सोमवार को दिल्ली में जारी एक डिस्कशन पेपर ‘मल्टी डायमेंशनल पॉवर्टी इन इंडिया सिंस 2005-06’ के आधार पर ये निष्कर्ष निकाला गया है। इस रिपोर्ट में साल 2013-14 और 2022-23 में देश में गरीब आबादी के अनुपात की तुलना की गई है। जानकारी के मुताबिक नीति आयोग के सदस्य प्रोफेसर रमेश चंद्र ने नीति आयोग के सीइओ बीवीआर सुब्रमण्यम की मौजूदगी में ये पेपर जारी किया। इस डिस्कस पेपर को ऑक्सफोर्ड नीति और मानव विकास पहल (ओपीएचआई) और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) के आंकड़ों के आधार पर तैयार किया गया है।

क्या है एसडीजी लक्ष्य

गरीबी से मुक्त हुई आबादी के आकलन के लिए बहुआयामी गरीबी सूचकांक (एमपीआई) के 12 पैरामीटर को चुना गया है। ये वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त तरीका है, जो मौद्रिक पहलुओं से परे अनेक आयामों में गरीबी को दर्शाता है। वर्ष 2005-06 से वर्ष 2015-16 की अवधि में 7.69% की वार्षिक दर से गरीबी घट रही थी... जबकि 2015-16 से 2019-20 की अवधि में गरीबी में वार्षिक गिरावट दर तेज होकर 10.66% पहुंच गई थी। यदि इसी दर से लोग गरीबी रेखा से बाहर आए तो वर्ष 2030 तक भारत बहुआयामी गरीबी को आधा करने के अपने एसडीजी लक्ष्य (सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल) को प्राप्त कर लेगा।

इन योजनाओं का है योगदान

सबसे कमजोर और गरीब तबके के लोगों का जीवन बेहतर बनाने के लिए सरकारी योजनाओं ने अहम भूमिका निभाया है। बता दें कि गरीबी को कम करने में पोषण अभियान और एनीमिया मुक्त भारत, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना, उज्ज्वला योजना, सौभाग्य बिजली योजना, स्वच्छ भारत मिशन, जल जीवन मिशन, पीएम ज धन योजना और पीएम आवास योजना के योगदान को सराहा गया है।

सबसे ज्यादा गरीबी बिहार में

रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में 26.59% आबादी गरीबी रेखा के अंतर्गत आते हैं। इसके बाद झारखंड (23.34%), यूपी (17.40%), मप्र (15.01%), छत्तीसगढ़ (11.71%), राजस्थान (10.77%) है। केरल (0.48%) में सबसे कम गरीबी है। इसके बाद तमिलनाडु (1.48%), तेलंगाना (3.76%), हिमाचल (1.88%) हैं। वर्तमान में 41.3% लोग बेघर हैं। स्वच्छ भारत अभियान के बावजूद 31% टॉयलेट से वंचित हैं। तमाम अभियानों के बाद 44% के पास रसोई गैस नहीं हैं। 20 साल में 14.61% लोगों को ही घर मिला है। बता दें कि ये रिपोर्ट 12 मानकों के आधार पर तैयार हुई है।

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