मध्यप्रदेश के 33 में से 31 मंत्री दोबारा चुनावी मैदान में उतरे, जानिए इनमें से किसकी राह मुश्किल

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The Sootr
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मध्यप्रदेश के 33 में से 31 मंत्री दोबारा चुनावी मैदान में उतरे, जानिए इनमें से किसकी राह मुश्किल

BHOPAL. मध्यप्रदेश के 33 में से 31 मंत्री दोबारा चुनावी मैदान में उतरे हैं। इनमें से 11 मंत्री त्रिकोणीय मुकाबले में फंसे हैं, 6 की सीट पर कांटों की टक्कर है और 2 पर कांग्रेस उम्मीदवार भारी पड़ते नजर आ रहे हैं। वहीं 12 मंत्री ऐसे भी हैं जिनकी स्थिति ठीक नजर नहीं आ रही। बीजेपी ने इस बार मंत्री ओपीएस भदौरिया का टिकट काटा है। वहीं शिवपुरी से विधायक और मंत्री यशोधरा ने खुद चुनाव लड़ने से मना कर दिया था।

मुश्किल में कई नेता

आंकड़ों के मुताबिक 2018 के विधानसभा चुनाव में 34 में से 13 यानी 40 प्रतिशत प्रत्याशी चुनाव हार गए थे। वहीं 2013 में 23 मंत्रियों में से 10 चुनाव हारे थे। ऐसे में इस बार भी ऐसे कई नेता हैं जो मुश्किलों में घिरे नजर आ रहे हैं। भोपाल जिले की नरेला विधानसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी मंत्री विश्वास सारंग के सामने कांग्रेस ने नए चेहरे के तौर पर मनोज शुक्ला को उतारा है। हिंदुत्व और विकास के एजेंडे पर सारंग एक बार फिर मजबूती से मैदान में डटे हैं और कांग्रेस भी यहां चुनौती देने के लिए संघर्ष कर रही है।

कृषि मंत्री पटेल की सीट पर कांटे की टक्कर

रायसेन जिले की सांची विधानसभा सीट से डॉ. प्रभुराम चौधरी का मुकाबला कांग्रेस के डॉ. जीसी गौतम से है। 2020 के उपचुनाव में डॉ. चौधरी ने बड़ी जीत हासिल की थी। बता दें कि हरदा सीट से चुनाव लड़ रहे कृषि मंत्री कमल पटेल पिछली बार 6667 वोटों से जीते थे। इस बार भी उनका मुकाबला कांग्रेस के रामकिशोर दोगने से है। कमल 2013 में दोगने से हार चुके हैं। फिलहाल कांग्रेस को बीजेपी के बागी सुरेंद्र जैन के सजातीय और समर्थक वोटरों का साथ मिलता दिख रहा है। ऐसे में कमल पटेल इस सीट पर फंसे हुए नजर आ रहे हैं।

वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा का रास्ता आसान

मंदसौर की मल्हारगढ़ विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा का मुकाबला कांग्रेस के परशुराम सिसोदिया से है। ऐसे में यहां कांग्रेस के बागी श्यामलाल के निर्दलीय मैदान में होने का नुकसान कांग्रेस को होता दिख रहा है।

सांवेर में मंत्री सिलावट कांग्रेस पर भारी

इंदौर की सांवेर सीट से चुनाव लड़ रहे जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट, पूर्व सांसद प्रेमचंद गुड्‌डू की बेटी रीना बौरासी सेतिया के सामने है। सेतिया पहली बार चुनाव लड़ रही हैं। उनके पिता गुड्डू रतलाम की आलोट सीट से निर्दलीय लड़ रहे हैं। परिवार में अंतर्कलह का फायदा सिलावट को साफतौर पर मिल सकता है।

महू में त्रिकोणीय मुकाबला

अंबेडकर नगर (महू) से चुनाव लड़ रहीं संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर का सामना कांग्रेस के रामकिशोर शुक्ला से है। शुक्ला पहले बीजेपी में थे, 2 महीने पहले वे कांग्रेस में आए हैं। टिकट कटने के बाद पूर्व विधायक अंतर सिंह दरबार निर्दलीय मैदान में हैं। मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है।

बदनावर में मंत्री दत्तीगांव की राह आसान

धार की बदनावर सीट पर उद्योग मंत्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव, कांग्रेस के भंवर सिंह शेखावत के सामने हैं। कांग्रेस को यहां टिकट के दावेदारों के भितरघात का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए दत्तीगांव की राह आसान दिख रही है।

शुजालपुर में मंत्री परमार को कांग्रेस की गुटबाजी का फायदा

शुजालपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार की टक्कर इस बार कांग्रेस के रामवीर सिंह सिकरवार से है। सिकरवार को टिकट मिलने के बाद कांग्रेस में गुटबाजी दिख रही है। इसका फायदा परमार को मिलेगा।

जावद में त्रिकोणीय मुकाबला

नीमच की जावद विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ओमप्रकाश सखलेचा के सामने कांग्रेस ने समंदर पटेल को मैदान में उतारा है। समंदर पटेल सिंधिया समर्थक रहे हैं। बीजेपी के बागी पूरनमल अहीर भी मैदान में हैं। मुकाबला त्रिकोणीय बन गया है।

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