INDORE. मप्र लोक सेवा आयोग प्रदेश में भर्ती के लिए प्रमुख संवैधानिक भर्ती एजेंसी है। लेकिन इसकी हालत खराब है। आयोग में चेयरमैन सहित कुल पांच सदस्य होते हैं, लेकिन यहां के 40 फीसदी पद खाली है। एक पद 20 महीने से खाली पड़ा हुआ है तो वहीं दूसरा पद पांच महीने से खाली है। इन खाली पदों के चलते जो इंटरव्यू के लिए लंबीं कतार लगती जा रही है और नतीजा, भर्ती में देरी। आयोग संवैधानिक संस्था है और इसमें नियुक्ति मप्र शासन द्वारा की जाती है।
क्या है स्थिति आयोग की
आयोग में एक चेयरमैन व चार सदस्यों के पद है। आयोग में अभी चेयरमैन पद पर डॉ. राजेश लाल मेहरा है, वह पहले यहां सदस्य भी थे, बाद में वह चेयरमैन पदस्थ हुए। दिसंबर 2021 से वह चेयरमैन पद पर हैं। वहीं दो अन्य सदस्य में एक चंद्रशेखर रायकवार है जो जुलाई 2019 से पदस्थ है और एक अन्य सदस्य डॉ. कृष्णकांत शर्मा है जो दिसंबर 2021 से सदस्य के तौर पर पदस्थ है। दो अन्य पद खाली है।
इस तरह सदस्य होते गए रिटायर
अगस्त 2023 में सदस्य देवेंद्र मरकाम रिटायर हुए और इसके पहले मई 2022 में डॉ. रमन सिकरवार रिटायर हुए थे। इन दोनों की ही जगह किसी की नियुक्ति नहीं हुई है। साल 2019 में सीमा शर्मा रिटायर हुई थी, तब उनकी जगह रायकवार को नियुक्त किया गया था। इसके बाद से ही कोई नियुक्ति नहीं हुई है।
क्यों आ रही समस्या
आयोग में सदस्यों की जरूरत मुख्य तौर पर इंटरव्यू के लिए होती है। इंटरव्यू के लिए जो भी बोर्ड बनते हैं, इसमें आयोग के एक सदस्य का होना अनिवार्य होता है। अभी कुल तीन सदस्य होने के चलते इंटरव्यू के लिए तीन ही बोर्ड बनते हैं, जिसके चलते आयोग के इंटरव्यू करने की कैपिसिटी 60 फीसदी रह गई है। एक बोर्ड औसतन 10-15 इंटरव्यू करता है। यानि जो पांच सदस्य होने पर एक दिन में औसतन 70 उम्मीदवारों के इंटरव्यू हर दिन हो सकते थे, वह अब 40 के करीब ही होते हैं। इसके चलते इंटरव्यू शेड्यूल लंबे खिंच गए हैं। वहीं बाकी तीन सदस्यों पर भी लगातार बोझ है और वह बिना छुट्टी के लगातार इंटरव्यू कंडक्ट कराते जा रहे हैं।
एक-एक साल से हो रहा इंटरव्यू का इंतजार
हालत यह है कि कई परीक्षाओं के रिजल्ट एक-एक साल पहले से आ गए है, लेकिन उनके इंटरव्यू अटके हुए हैं। कारण वहीं सदस्यों की कमी के चलते विंडो ही नहीं मिल रही है। जैसे एडीपीओ (सहायक जिला लोक अभियोजक-2021) पद के लिए इंटरव्यू का इंतजार एक साल से हो रहा है। यह फरवरी 2024 में इंटरव्यू शेड्यूल्ड है। इसी तरह अन्य परीक्षाओं को भी लंबा इंतजार करना पड़ रहा है।