BHOPAL. लंबे इंतजार के बाद आखिरकार मध्य प्रदेश की नवनिर्वाचित मोहन सरकार के मंत्रिमंडल का गठन हो गया है। नए कैबिनेट में 18 कैबिनेट और 10 राज्यमंत्री बनाए गए है। सभी विधायकों को राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। नवगठित कैबिनेट में क्षेत्रीय, जातीय और प्रतिनिधित्व के आधार पर संतुलन बनाने की कोशिश की गई है। मोहन कैबिनेट की जो तस्वीर उभरकर सामने आई है उसमें शपथ लेने वाले कुल 28 मंत्रियों में मालवा निमाड़ क्षेत्र का दबदबा साफ देखा जा सकता है। इस क्षेत्र से कैलाश विजयवर्गीय और तुलसीराम सिलावट समेत कई मंत्री बनाए हैं। इनमें कई को पहली बार और कुछ को दोबारा मौका दिया गया है। वहीं कई दिग्गज नाम जो मंत्रियों के रेस में आगे चल रहे थे उन्हे मौका नहीं मिला हैं।
सामाजिक समीकरण
मालवा-निमाड़ क्षेत्र से 7 विधायकों को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। इनमें विजय शाह, तुलसी सिलावट और इंदर सिंह परमार को फिर से कैबिनेट में जगह मिली है। इनमें आदिवासी वर्ग से विजय शाह, नागर सिंह चौहान, निर्मला भूरिया को मंत्री बनाया गया है। अनुसूचित जाति वर्ग से तुलसी सिलावट और सवर्ण कोटे से विजयवर्गीय, चैतन्य कश्यप (जैन समाज से) है। वहीं ओबीसी कोटे से इंदर सिंह परमार है। मालवा से चुने गए सीएम डॉ. मोहन यादव भी ओबीसी है और डिप्टी सीएम देवड़ा एससी वर्ग से हैं।
मालवा से ये बनाए गए मंत्री
कैलाश विजयवर्गीय: बीजेपी से मालवा के दिग्गज नेता और इंदौर-1 से विधायक कैलाश विजयवर्गीय को कई सालों बाद फिर मंत्री बनाया गया हैं। सोमवार को राज्यपाल ने सबसे पहले कैलाश विजयवर्गीय को अन्य 4 विधायकों के साथ मंत्री पद की शपथ दिलाई। सामान्य वर्ग से आने वाले विजयवर्गीय बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव हैं। कैलाश विजयवर्गीय ने 2003 में उमा भारती के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री पद हासिल किया था। वे लंबे वक्त तक लोक निर्माण विभाग में मंत्री रहे। फिर बाबूलाल गौर और शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली सरकारों में भी मंत्री रहे। 2018 में राष्ट्रीय राजनीति में सक्रियता की वजह से उनके बेटे आकाश को इंदौर- 3 से टिकट दिया गया, जिसने जीत हासिल की।
तुलसीराम सिलावट: विधायक तुलसीराम सिलावट ने तीसरी बार मंत्री पद की शपथ ली। वे इंदौर की सांवेर विधानसभा सीट से विधायक हैं। सिलावट मालवा की राजनीति का बड़ा एससी चेहरा हैं और सिंधिया के खासमखास माने जाते हैं। सिलावट कमलनाथ और शिवराज सरकार में भी मंत्री रह चुके हैं। सिलावट अब तक 6 बार विधायक बन चुके हैं और 2 बार मंत्री भी रहे हैं। साल 1982 में उन्होने पहली बार नगर निगम के पार्षद का चुनाव जीता था, इसके बाद 1985 में पहली बार विधायक बने,1998 से 2013 तक मप्र ऊर्जा विकास निगम के अध्यक्ष भी रहे। मार्च 2020 में सिलावट सिंधिया के साथ विधानसभा की सदस्यता और मंत्री पद छोड़ कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हो गए थे। सिलावट को शिवराज सरकार में जल संसाधन मंत्री बनाया गया था।
चेतन्य कश्यप: मोहन कैबिनेट में शामिल होने वालों में मंत्रियों में प्रदेश के सबसे अमीर विधायक चेतन्य कश्यप भी शामिल हैं। सामान्य वर्ग से आने वाले चेतन्य कश्यप रतलाम सीट से तीन बार विधायक चुने गए हैं। कश्यप को पहली बार मंत्री बनाया गया है। वह विधायक के रूप में मिलने वाली सुविधाओं, वेतन और भत्ते का भी त्याग कर चुके है। अपने पिछले दो कार्यकालों में भी उन्होंने विधायक के रूप में कोई सुविधा नहीं ली थी। चेतन्य कश्यप 2002 से लेकर 2013 तक बीजेपी में कई पदों पर रहे जिसमें एनजीओ प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय संयोजक और पार्टी प्रदेश के कोषाध्यक्ष पद शामिल है।
इंदर सिंह परमार: मालवा अंचल की शुजालपुर सीट से विधायक इंदरसिंह परमार को फिर से मौका दिया गया। ओबीसी वर्ग से आने परमार को दूसरी बार मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। उन्होंने राजभवन में कैबिनेट मंत्री पद की शपथ ली। परमार तीसरी बार के विधायक और पहले वे शिवराज सरकार में स्कूल शिक्षा स्वतंत्र प्रभार एवं सामान्य प्रशासन विभाग मंत्री रहे। परमार राष्ट्रीय स्वयं सेवक की पसंद माने जाते हैं। छात्र राजनीति में रुचि के चलते अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े, 1989 से 1996 तक एबीवीपी में विभिन्न पदों पर रहते हुए उज्जैन संभागीय संघटन मंत्री बने, शाजापुर बीजेपी जिला महामंत्री दो बार बने।
कुंवर विजय शाह: मोहन सरकार के मंत्रिमंडल में निमाड़ से प्रतिनिधित्व दिया गया। खंडवा की हरसूद से सातवीं बार विधायक बनने वाले कुंवर विजय शाह को फिर से मंत्री बनाया गया है। खंडवा में बड़े आदिवासी चेहरे के रूप में उनकी गिनती होती है। बीजेपी की हर सरकार में विजय शाह मंत्री रहे हैं। वह शिवराज सरकार में वन मंत्री रहे हैं। हरसूद सीट पर 1990 के बाद से लगातार विजय शाह चुनाव जीत रहे हैं। उनके अजेय किले को कांग्रेस आज तक भेद नहीं पाई है।
निर्मला भूरिया: मोहन सरकार में आदिवासी नेत्री निर्मला भूरिया को मंत्री पद से नवाजा गया है। आदिवासी वर्ग से आने वाली निर्मला पेटलावद सीट से पांचवी बार विधायक बनी हैं। इससे पहले शिवराज सरकार में स्वास्थ्य राज्य मंत्री बनाया गया था। निर्मला भूरिया ने ही झाबुआ-अलीराजपुर जिले में पहली बार कमल का फूल खिलाया था। बीजेपी से निर्मला भूरिया कांग्रेस थी लेकिन तत्कालीन दिग्विजय सिंह सरकार के खिलाफ आदिवासी मुख्यमंत्री की मांग को लेकर दिग्गज दिलीप सिंह भूरिया ने राजनीतिक लड़ाई छेड़ दी। इसी लड़ाई में भूरिया का कांग्रेस से मोहभंग हो गया। दोनों पिता-पुत्री कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में चले गए। इसके बाद 1998 में बीजेपी के टिकट से पेटलावद सीट जीतकर जिले की पहली बीजेपी विधायक बनकर भोपाल विधानसभा पहुंची थी। 2003 तक संपूर्ण क्षेत्र में बीजेपी की जड़े मजबूत कर दी।
नागर सिंह चौहान: अलीराजपुर से चौथी बार विधायक बने नागर सिंह चौहान को मंत्री बनाया है। इस चुनाव में चौहान ने कांग्रेस के मुकेश पटेल को हराया था। आदिवासी जिले अलीराजपुर की सीट से विधायक चौहान बीजेपी संगठन में कई पदों पर रहे हैं। उन्हें आदिवासी समीकरण के चलते मंत्रिमंडल में मौका दिया गया है।