बीजेपी में हीरो से जीरो बने 89 साल के कैलाश मेघवाल, आखिर कितनी बड़ी चुनौती बनेंगे चुनाव में

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BP Shrivastava
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बीजेपी में हीरो से जीरो बने 89 साल के कैलाश मेघवाल, आखिर कितनी बड़ी चुनौती बनेंगे चुनाव में

मनीष गोधा, JAIPUR. राजस्थान में बीजेपी के वरिष्ठ नेता, सात बार के विधायक और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल ने बुधवार, 13 सितंबर को फिर एक बार केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल पर अपने आरोप दोहराए और कहा कि वे चुनाव आयोग को तथ्यों सहित पूरी जानकारी भेजेंगे। इसके साथ ही मेघवाल ने पार्टी के मौजूदा नेतृत्व पर भी खुल कर सवाल उठाए और कहा कि इस नेतृत्व ने पार्टी में गुटबाजी को बढ़ावा दिया है। मैं पार्टी का हीरो हुआ करता था अब जीरो हो गया हूं।


कैलाश मेघवाल को पार्टी ने कारण बताओ नोटिस दिया था और मेघवाल ने उस नोटिस का लंबा चौड़ा जवाब भेजा है। इस जवाब को ही उन्होंने पत्र के रूप में पीएम नरेंद्र मोदी को भी भेजा है। उनका जवाब आने के बाद पार्टी ने प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया है।

मेघवाल के बयानों का पार्टी पर असर

कैलाश मेघवाल राजस्थान के उन नेताओं में गिने जाते हैं, जो जनता के बीच अपनी अच्छी पकड़ रखते हैं और इसी वजह से लगातार अपने विधानसभा क्षेत्र शाहपुरा से सात बार चुने गए हैं। पिछले चुनाव में उन्होंने 75000 वोटों की जीत हासिल की थी। जो राजस्थान में सबसे बड़ी जीत थी। इसके साथ ही उन नेताओं में भी गिने जाते हैं। जो बिना तथ्यों के बात नहीं करते हैं। आज भी अर्जुनराम मेघवाल पर उन्होंने जो आरोप लगाए और पार्टी तथा प्रधानमंत्री को जो जवाब भेजा है, वह सभी तथ्यों के साथ है और उसके प्रमाण भी उन्होंने भेजे हैं। ऐसे में पार्टी के केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल, जिन्हें पार्टी अंबेडकर के बाद देश का पहला दलित कानून मंत्री बताकर प्रचारित कर रही है। उनके लिए परेशानी खड़ी कर सकते हैं। मेघवाल ने कहा है कि वे अपने तथ्य चुनाव आयोग को भी भेजेंगे और यदि चुनाव आयोग उन्हें संज्ञान में लेता है तो ना सिर्फ अर्जुन मेघवाल का मंत्री पद जा सकता है, बल्कि सांसदी भी खतरे में पड़ सकती है।

गुटबाजी में फंसी बीजेपी मुश्किलें बढ़ीं!

राजस्थान में बीजेपी पहले से ही गुटबाजी में फंसी हुई दिख रही थी और अब पार्टी के सबसे वरिष्ठ नेताओं में से एक कैलाश मेघवाल की ओर से पार्टी के प्रदेश नेतृत्व और एक केंद्रीय मंत्री के खिलाफ की गई बयान बाजी राजस्थान में बीजेपी के लिए चुनाव में मुश्किल खड़ी कर सकती है। मेघवाल ने जो आरोप लगाए थे कांग्रेस उन्हें पहले ही मुद्दा बन चुकी है और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कह चुके हैं की मेघवाल के आरोपों की जांच कराएंगे। हालांकि, गहलोत का बयान आए हुए एक सप्ताह से ज्यादा का समय हो चुका है, लेकिन अब क्योंकि कैलाश मेघवाल पार्टी से निलंबित किए जा चुके हैं और उन्होंने दस्तावेजी प्रमाण भी सार्वजनिक कर दिए हैं। ऐसे में कांग्रेस के लिए अब अर्जुन मेघवाल और बीजेपी को निशाना बनाना आसान हो गया है।

वसुंधरा के लिए भी मुश्किल खड़ी कर सकते हैं मेघवाल के बयान

कैलाश मेघवाल वसुंधरा राजे खेमे के नेता माने जाते थे और इस बात को आज प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने सार्वजनिक रूप से स्वीकार भी किया है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि बीजेपी वसुंधरा राजे के साथ उचित व्यवहार नहीं कर रही है और उनके साथ रहे नेताओं को भी किनारे करने का प्रयास किया जा रहा है। मेघवाल के बयान वसुंधरा राजे के लिए भी परेशानी का कारण बन सकते हैं। हालांकि, राजे इस समय पूरी तरह से पार्टी के साथ हैं। पार्टी भी उन्हें पूरा महत्व देती दिख रही है, लेकिन उन्हीं के नजदीकी रहे एक नेता द्वारा पार्टी के प्रदेश नेतृत्व और एक केंद्रीय मंत्री के खिलाफ सार्वजनिक बयानबाजी उनके लिए पार्टी में अजीब स्थिति पैदा कर सकती है।

दलित वोट बैंक हो सकता है प्रभावित

कैलाश मेघवाल अनुसूचित जाति समुदाय से आते हैं और राजस्थान में मेघवाल समुदाय अनुसूचित जाति में एक बड़ा समुदाय है। यही कारण था कि एक लंबे समय तक कैलाश मेघवाल बीजेपी के लिए एक बड़ा दलित चेहरा भी रहे हैं। पार्टी को निलंबित किए जाने से पार्टी का दलित वोट बैंक प्रभावित हो सकता है। खुद कैलाश मेघवाल ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरोप लगाया है कि दलित होने के कारण उन्हें दरकिनार किया जा रहा है। हालांकि, कैलाश मेघवाल की जगह पार्टी अर्जुन मेघवाल को आगे बढ़ा रही है और केंद्रीय कानून मंत्री बनाकर उन्हें बड़ा पद भी दिया गया है। ऐसे में दलित वोटों की बहुत ज्यादा सहानुभूति कैलाश मेघवाल को नहीं मिल पाएगी, लेकिन कैलाश मेघवाल के आरोपों के कारण बीजेपी को अर्जुनराम मेघवाल पर कोई कार्रवाई करनी पड़ी तो दलित वोट प्रभावित हो सकते हैं।

क्या कांग्रेस में जा सकते हैं कैलाश मेघवाल

कैलाश मेघवाल पर पार्टी की ओर से की गई कार्रवाई के बाद अब सबसे बड़ा सवाल यही उठा रहा है कि क्या कैलाश मेघवाल अब कांग्रेस का दामन थाम सकते हैं? इस बारे में कैलाश मेघवाल खुलकर कुछ नहीं बोल रहे उन्होंने सिर्फ यही कहा है कि इस बारे में मैं अपने मित्रों के साथ चर्चा करके निर्णय करूंगा। हालांकि, जानकारों का मानना है कि कांग्रेस में वह शामिल नहीं होंगे, बल्कि यह संभावना है कि वह निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ें और शाहपुरा में बीजेपी के अधिकृत प्रत्याशी के लिए मुश्किलें खड़ी करें। देखना दिलचस्प होगा कि अब पार्टी के साथ के बिना कैलाश मेघवाल अपने विधानसभा क्षेत्र में उतनी ही बड़ी जीत हासिल कर पाते हैं या नहीं।

आखिर क्यों खोला मेघवाल ने मोर्चा

लगभग पांच दशक तक बीजेपी और जनसंघ से जुड़े रहे कैलाश मेघवाल उम्र के इस पड़ाव पर जाकर आखिर पार्टी से नाराज क्यों हुए? दरअसल यह पहला मौका नहीं है जब पार्टी के किसी नेता के खिलाफ मेघवाल ने खुलकर मोर्चा खोला है। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के पहले कार्यकाल में उन्होंने वसुंधरा राजे पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। वे वसुंधरा राजे के विरोधी खेमे में शामिल थे। हालांकि, आज जब उनसे इन्हीं आरोपों के बारे में पूछा गया तब उन्होंने कहा कि मैंने वसुंधरा राजे पर कभी भी कोई सार्वजनिक आरोप नहीं लगाए। इसके बाद कुछ समय पहले उन्होंने तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया के खिलाफ मोर्चा खोला था और उनके खिलाफ एक लंबी चिट्ठी पार्टी नेतृत्व को भेजी थी। मेघवाल का कहना है कि फिर वे नेता प्रतिपक्ष पद के दावेदार थे, लेकिन पार्टी ने उनकी जगह गुलाबचंद कटारिया को मौका दिया। उस समय उन्होंने कटारिया पर सदन में विधायकों के साथ भेदभाव करने के आरोप लगाए थे।

अर्जुनराम से नाराजगी की एक वजह यह भी

अब अर्जुनराम मेघवाल के प्रति उनकी नाराजगी का एक बड़ा कारण यह है उनके विधानसभा क्षेत्र शाहपुरा में अर्जुनराम मेघवाल अपने एक नजदीकी व्यक्ति को आगे बढ़ा रहे हैं। इधर, कैलाश मेघवाल को यह लग रहा है की उम्र के कारण पार्टी उनका टिकट काट सकती है। इसके अलावा इतनी वरिष्ठता के बावजूद पार्टी में दलित चेहरे के रूप में अर्जुनराम मेघवाल को आगे बढ़ाए जाने से भी कैलाश मेघवाल नाराज हैं।

बहरहाल, इसमें कोई शक नहीं है कि कैलाश मेघवाल की विदाई के साथ बीजेपी में राजनीति के युग के समाप्ति हुई है। हालांकि पार्टी ने एक नया दलित चेहरा ढूंढ लिया है, लेकिन मेघवाल की विदाई पार्टी पर कुछ असर तो डालेगी।

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