संजय गुप्ता, INDORE. सीएम मोहन यादव के मंत्रिमंडल का पहला विस्तार हो गया है। मालवा-निमाड़ की 66 सीट में 47 सीट जीतने वाली बीजेपी को यहां से सात मंत्री मिले हैं, हालांकि सीएम खुद इसी क्षेत्र से हैं और एक डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा भी यहीं से हैं, इस तरह कुल नौ पद मालवा-निमाड़ से मिले हैं। यह हमेशा की तरह ही, सामान्य तौर पर इतने ही मंत्री इस क्षेत्र को मिलते रहे हैं।
सात में तीन एसटी, दो सामान्य, एक एससी, ओबीसी मंत्री
मालवा-निमाड़ क्षेत्र से तीन आदिवासी मंत्री (विजय शाह, नागर सिंह चौहान, निर्मला भूरिया), एक अनुसूचित जाति सीट से जीते मंत्री तुलसी सिलावट और वहीं सवर्ण कोटे से विजयवर्गीय, चैतन्य कश्यप (जैन समाज से) है। वहीं ओबीसी कोटे से इंदर सिंह परमार है। वहीं खुद सीएम डॉ. यादव ही है और वहीं डिप्टी सीएम देवड़ा एससी सीट से हैं।
इन मंत्रियों का पत्ता कट गया
उषा ठाकुर: इंदौर जिले से दो मंत्री का कोटा था, यहां से कैलाश विजयवर्गीय और तुलसी सिलावट के आने के चलते उनका नाम कट गया। विजयवर्गीय वरिष्ठता के चलते और सिलावट सिंधिया कोटे के चलते मंत्री बने हैं।
हरदीप डंग: कांग्रेस से बीजेपी में आए हरदीप सिंह डंग कांग्रेस की सरकार गिरने के बाद मंत्री बने थे। इस बार फिर वह बीजेपी के टिकट पर मंदसौर के सुवासरा से चुनाव जीते लेकिन इसी जिले की मल्हारगढ़ सीट से डिप्टी सीएम बने जगदीश देवड़ा के चलते क्षेत्रीय संतुलन में वह निपट गए।
ओमप्रकाश सखलेचा: नीमच जिले के जावद के विधायक सखलेचा मामूली अंतर से चुनाव जीते। इस बार देवड़ा के चलते इस क्षेत्र से क्षेत्रीय समीकरण के कारण उनका नाम कट गया।
यह नए नाम मंत्रिमंडल में आए
कैलाश विजयवर्गीय: सीनियरटी के चलते मंत्रीमंडल में आए हैं। इससे केंद्र ने संकेत दे दिया है कि उन्हें बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष या संगठन में कोई अन्य बड़ा पद फिलहाल नहीं दिया जा रहा है। मंत्रिमंडल में आठ साल पांच माह बाद उनकी वापसी हुई है।
नागर सिंह चौहान: आदिवासी जिले अलीराजपुर की सीट से चुनाव जीते नागर सिंह चौहान, बीजेपी संगठन में कई पदों पर रहे हैं। उन्हें आदिवासी समीकरण से मौका दिया गया है।
निर्मला भूरिया: आदिवासी जिले झाबुआ की पेटलावद सीट से चुनाव जीतीं निर्मला भूरिया को आदिवासी बेल्ट में पकड़ बनाने और महिला नेत्री होने के चलते मंत्रिमंडल में स्थान दिया गया है। इसी के चलते मालवा की अन्य दावेदार उषा ठाकुर, मालिनी गौड़, अर्चना चिटनिस जैसे नाम कट गए।
चैतन्य कश्यप: अपने सामाजिक कार्यों के चलते पहचान रखने वाले कश्यप रतलाम सिटी से तीसरी बार विधायक बने हैं। उनकी संघ की पृष्ठभूमि, व सामाजिक कामों को देखते हुए उन्हें मंत्रिमंडल में लिया गया है।
यह तीन रिपीट, वहीं दो मंत्री अब सीएम और डिप्टी सीएम
विजय शाह: मालवा-निमाड़ से साल 2003 से ही हर बीजेपी सरकार में मंत्री रहने वाले हरसूद (खंडवा) की आदिवासी सीट से विधायक कुंवर विजय शाह एक बार फिर मंत्री बने हैं। उनका साल 2003 से हर बीजेपी के सीएम (उमा भारती, बाबूलाल गौर, शिवराज सिंह और अब मोहन यादव) के समय में मंत्री बनने का रिकार्ड भी बन गया।
तुलसी सिलावट: सांवेर की एससी सीट (इंदौर) से विधायक तुलसीराम सिलावट, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस से बीजेपी में आए थे। वह एक बार फिर मंत्री बने हैं।
इंदर सिंह परमार: शाजापुर जिले की शुजालपुर सीट से चुनाव जीते इंदर सिह परमार ने भी जगह बनाकर रखी और फिर मंत्री बनाए गए हैं।
इसके साथ ही शिवराज सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री रहे मोहन यादव अब सीएम हो गए हैं और वित्तमंत्री रहे जगदीश देवड़ा अब डिप्टी सीएम पद पर हैं।
अर्चना चिटनिस, राजेश सोनकर, गायत्री पंवार जैसे कई बड़े नाम चूक गए
वहीं चौंकाने वाली बात रही कि बीजेपी ने धार, खरगोन, देवास जिले से किसी को मंत्री पद नहीं दिया है। धार जिले से इस बार नीना वर्मा का दावा था। राजवर्धन दत्तीगांव के हारने के बाद इस आदिवासी सीट बाहुल्य जिले में मंत्री पद पर कोई नहीं आया। इसी तरह खरगोन जिले से भी बालकृष्ण पाटीदार और राजकुमार मेव के नाम दौड़ में थे, तो वहीं बुरहानपुर जिले में बुरहानपुर सीट पर जीती पूर्व मंत्री अर्चना चिटनीस का दावा काफी मजबूत था लेकिन वह भी महिला, जातिगत और क्षेत्रीय समीकरण में पिछड़ गई। इसी तरह देवास जिले से सोनकच्छ विधायक राजेश सोनकर, देवास विधायक गायत्री पंवार के साथ खातेगांव सीट से जीते आशीष शर्मा का नाम भी दौड़ में था लेकिन इस जिले से किसी भी विधायक को मौका नहीं मिला है। जावरा से डॉ. राजेंद्र पाण्डेय का भी दावा था लेकिन इस क्षेत्र से देवड़ा के डिप्टी सीएम के चलते संगठन को कई विधायकों को दरकिनार करना पड़ा। वहीं इंदौर से मालिनी गौड़, उषा ठाकुर, महेंद्र हार्डिया के साथ सर्वाधिक वोट से जीते रमेश मेंदोला भी क्षेत्रीय गणित में मंत्री बनने से चूक गए।