RAIPUR. रायपुर के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के वित्त विभाग में 28 लाख के गबन मामले में पुलिस ने आरोपी कनिष्ठ लेखाधिकारी योगेंद्र पटेल को कोर्ट में पेश किया। सुनवाई के बाद कोर्ट ने आरोपी अकाउंटेंट को तीन दिन पुलिस रिमांड पर भेज दिया है। मामले में पुलिस ने एम्स प्रबंधन से मूल दस्तावेज मांगे हैं। अब इन दस्तावेजों की जांच होगी।
5 पांच करोड़ से ज्यादा के गबन की आशंका
जानकारी के अनुसार आमानाका थाना पुलिस ने एम्स के एक कर्मचारी की नामजद शिकायत के बाद शुक्रवार को फर्जी कूटरचित दस्तावेज, धोखाधड़ी और गबन समेत कई अन्य धारा के तहत केस दर्ज किया था। इस मामले में पुलिस ने आरोपी कनिष्ठ लेखाधिकारी योगेंद्र पटेल को गिरफ्तार कर पूछताछ की है। मामले में एम्स में 27 लाख 89 हजार 400 रुपए का गबन पकड़ा गया। प्रबंधन की ओर से एम्स स्थापना से लेकर अब तक के रिकार्ड को खंगाले जा रहे हैं, जिसमें पांच करोड़ से ज्यादा की राशि गबन करने की आशंका जताई जा रही है। इसके बाद शिकायत की गई, जिसके बाद जांच भी शुरू हो गई है।
फर्जी रसीद देकर गबन करने का आरोप
कनिष्ठ लेखाधिकारी योगेंद्र पटेल आरोप है कि एम्स से नौकरी और विभिन्न कोर्स की सीट छोड़ने वाले से पेनाल्टी का पैसा वसूल किया। पैसे लेने के बाद उन्हें फर्जी रसीद दी, लेकिन पैसों को एम्स के खाते में जमा नहीं किया, उल्टे निजी कार्य में खर्च कर दिया।
ऐसे समझें पूरा मामला
बता दे कि एम्स में नौकरी छोड़ने से पहले डॉक्टरों को नियम के अनुसार तीन महीने पहले आवेदन के माध्यम से प्रबंधन को इसकी सूचना देनी पड़ती है, जो डॉक्टर इस अवधि को पूरा किए बिना बीच में नौकरी छोड़ देते हैं तो नोटिस पीरिएड के बचे दिनों में बनने वाले वेतन की राशि का भुगतान करना पड़ता है। एम्स के बहुत से डॉक्टरों ने नोटिस पीरिएड में नौकरी छोड़ी थी। डॉक्टरों से राशि लेकर नई रसीद के बदले तीन-चार साल पुरानी रसीद दे दी गई और उस राशि को एम्स के खाते में जमा ही नहीं किया गया। ऐसे ही जिन डाक्टरों ने डिमांड ड्राफ्ट जमा किया था, उन्हें कुछ समय बाद लेन-देन करके डिमांड ड्राफ्ट लौटा दिया गया था।
अधिकारियों और कर्मचारियों से पूछताछ करेगी पुलिस
अब इस मामले में जांच के लिए एम्स प्रबंधन ने तीन सदस्यीय टीम का गठन किया गया था। टीम के समक्ष बयान में कनिष्ठ लेखाधिकारी योगेंद्र पटेल ने कहा था कि वित्त एवं लेखा विभाग के अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों से भी पूछताछ की जानी चाहिए। उन्होंने ही हस्ताक्षर करने के लिए निर्देशित किया था। पुलिस अब पटेल के बयान के आधार पर वित्त एवं लेखा विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों से भी पूछताछ कर सकती है।