नामांकन वापसी के बाद 2800 निर्दलीय चुनाव मैदान में, पिछली बार के निर्दलीय पार्टियों के बने प्रत्याशी

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Chandresh Sharma
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नामांकन वापसी के बाद 2800 निर्दलीय चुनाव मैदान में, पिछली बार के निर्दलीय पार्टियों के बने प्रत्याशी

BHOPAL. जब किसी दल की विचारधारा से मन बोझिल लगे, उपेक्षा से दिल दुखने लगे, बातों-बातों में इनकार होने लगे तो बोल दो तुम्हें जब यह अहसास होने लगे....कि बागी तो होना ही था। जी हां हम बात कर रहे हैं मध्यप्रदेश के उन चेहरों की जो बगावत का झंडा बुलंद करते हुए चुनाव मैदान में डटे हुए हैं। जिनकों मानना था वे मान गए अब मैदान में बाकी वो बचे हैं जो रण में शौर्य दिखाकर ही मानेंगे, जीते तो सिकंदर और हारे तो इतना डेंट तो छोड़ ही जाएंगे कि उपेक्षा करने वाले रह-रहकर उन्हें याद करे। इस बार के चुनावी रण में ऐसे 2800 योद्धा मैदान में हैं जिनके से कई के दामन पर बगावत का तमगा लगा हुआ है। कई ऐसे हैं जो निर्दलीय ही अपना करियर बनाने का ख्वाब संजोए बैठे हैं, उसी तरह जैसे कभी पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह और बाबूबाल गौर ने अपना भविष्य तय किया था।

पिछले चुनाव के निर्दलीय अब पार्टी के प्रत्याशी

साल 2018 के चुनाव में मध्यप्रदेश में सुरेंद्र सिंह शेरा, प्रदीप जायसवाल, केदार डाबर और विक्रम सिंह राणा अब राजनैतिक दलों द्वारा घोषित प्रत्याशी बन चुके हैं। इस मर्तबा सीधी से केदारनाथ शुक्ल, बुरहानपुर से नंदकुमार चौहान के बेटे हर्ष सिंह तो बड़वारा से पूर्व मंत्री मोती कश्यप साथ ही साथ महू से अंतर सिंह दरबार, गोटेगांव से शेखर चौधरी चुनाव मैदान में निर्दलीय डटे हुए हैं। जो मान गए उनमें पूर्व मंत्री रंजना बघेल, पूर्व मंत्री कौशल्या गोंटिया, विधायक जितेंद्र डागा जैसे नाम शामिल हैं।

1962 में जीते से सबसे ज्यादा निर्दलीय

इतिहास की बात की जाए तो साल 1962 में हुए विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा 39 विधायक निर्दलीय जीते थे। अबकी बार चुनाव मैदान में 2800 निर्दलीय हैं, बीते समय की बात की जाए तो मध्यप्रदेश की राजनीति के दो दिग्गजों अर्जुन सिंह और बाबूलाल गौर की राजनैतिक पारी की शुरुआत बतौर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में हुई थी। साल 1957 में अर्जुन सिंह ने विंध्य के मझौली से निर्दलीय चुनाव लड़कर विधानसभा का रास्ता तय किया था और 1980 में पहली मर्तबा सीएम बने थे। वहीं 1974 में बाबूलाल गौर ने भोपाल दक्षिण पश्चिम सीट से निर्दलीय उपचुनाव जीता था। साल 2004 में वे सूबे के मुखिया बने थे।

चुनावी साल

निर्दलीय प्रत्याशी

 जीते

वोट

वोट प्रतिशत

1990
2730
10
 2447475
 12.48
1993
 1814
08
1392832
 6.17
1998
 892
09
1722598 
7.03
2003
 879
 02
1964442
8.06
2008
 1398
 03
 2076453
8.51
2013
1090
03
1820251
5.74
2018
1094
04
2218230
5.82


MP News एमपी न्यूज़ 2800 independents in the election fray highest number of independents in 33 years 39 independents had won in 1962 2800 निर्दलीय चुनाव मैदान में 33 साल में सबसे ज्यादा निर्दलीय 1962 में जीते थे 39 निर्दलीय