मनीष गोधा, JAIPUR. राजस्थान में चुनाव सिर पर हैं और टिकटों के लिए भागदौड़ शुरू हो गई है, लेकिन इस बार दोनों पार्टियों में कई दिग्गज नेता अब रिटायरमेंट की तैयारी कर रहे हैं। कुछ खुद घर बैठने को तैयार हैं और कुछ को पार्टियां घर बैठाने की तैयारी कर रही हैं, लेकिन अपने रिटायरमेंट से पहले ये नेता चाहते हैं कि राजनीति की उनकी विरासत उनके परिवार में ही रह जाए और टिकट उनके बेटे-बेटियों या रिश्तेदारों को मिल जाए।
उम्रदराज नेता चाहते हैं रिश्तेदारों के लिए टिकट
परिवारवाद या वंशवाद हमारी राजनीति की कड़वी सच्चाई है और देश का कोई भी राजनीतिक दल इससे अछूता नहीं है। यही कारण है कि हर बार चुनाव में परिवार के नाम पर टिकट मांगने वालों की एक सूची सामने आ जाती है और इनमें से कुछ सफल भी हो जाते हैं। राजस्थान के चुनाव में इस बार ऐसे नेताओं की सूची कुछ ज्यादा है। जानकार मानते हैं कि इसका एक बड़ा कारण यह है कि कांग्रेस और बीजेपी दोनों में ही अब युवाओं को आगे बढ़ाने का फैसला उच्च स्तर पर हो चुका है। कांग्रेस पिछले साल उदयपुर में हुए चिंतन शिविर में यह फैसला कर चुकी है कि संगठन में 50 प्रतिशत पद युवाओं को दिए जाएंगे, वहीं बीजेपी 75 साल से अधिक उम्र के नेताओं को पहले भी घर बैठाती आई है और इस बार भी ऐसा होने की पूरी उम्मीद बताई जा रही है। हालांकि राजस्थान में दोनों ही दलों ने उम्र के आधार पर टिकट काटने या बदलने को लेकर सार्वजनिक तौर पर कोई घोषणा नहीं की है। कांग्रेस में तो सीएम अशोक गहलोत साफतौर पर कह चुके हैं कि प्रत्याशी जिताउ होगा तो उम्र कोई आड़े नहीं आएगी, लेकिन इसके बावजूद पार्टी में ऊपर से मिल रहे संकेत बताते हैं कि मिशन रिपीट के लिए पार्टी इस बार बड़े पैमाने पर टिकट काटने और युवाओं को ज्यादा मौका देने की तैयारी कर रही है। यही कारण है कि दोनों दलों के उम्रदारज नेता अब घर बैठने को तैयार तो हैं, लेकिन चाहते यही हैं कि उनकी सीट उनके परिवार में ही बनी रहे।
परिजनों के लिए टिकिट मांग रहे कांग्रेस के नेता
राजस्थान में कांग्रेस के कई मौजूदा विधायक इस बार अपने बच्चों के लिए टिकट का प्रयास का रहे हैं। इनमें प्रमुख हैं-
मंत्री शांति धारीवाल अपने बेटे अमित धारीवाल के लिए टिकट चाहते हैं।
मंत्री हेमाराम चैधरी अपनी बेटी सुनीता चैधरी के लिए टिकट चाहते हैं।
मंत्री परसादीलाल मीणा अपने बेटे कमल मीणा को टिकट दिलाने का प्रयास कर रहे हैं।
मंत्री महेश जोशी ने हालांकि खुद भी आवेदन किया है, लेकिन उनके बेटे रोहित जोशी ने भी उनके क्षेत्र से टिकट मांगा है।
पूर्व स्पीकर और अभी विधायक दीपेंद्र सिंह शेखावत अपने बेटे बालेन्दु शेखावत के लिए टिकट चाहते हैं।
विधायक अमीन खां अपने बेटे शेर मोहम्मद के लिए टिकट चाहते हैं
विधायक गुरमीट कुन्नर भी खुले आम कह चुके हैं कि वे अपन बेटे रूपन्दिर सिंह के लिए टिकट चाहते हैं।
विधायक परसराम मोरदिया अपने बेटों महेश या राकेश को टिकट दिलाने के प्रया समे हैं।
विधायक गंगादेवी अपने बेटे रवि के लिए प्रयास कर रही हैं।
वहीं निर्दलीय विधायक महादेव सिंह खण्डेला अपने बेटे गिरिराज सिंह को टिकट दिलाना चाहते है। खण्डेला कांग्रेस में ही थे और गहलोत के नजदीकी हैं।
विधायक डॉ. जितेन्द्र सिंह अपनी बेटी सोनिया सिंह के लिए प्रयासरत हैं।
विधायक बाबूलाल बैरवा अपने बेटे अशोक बैरवा के लिए टिकट चाहते हैं।
बीजेपी हालांकि वंशवाद को विरोध करती है और इसी मुद्दे पर कांग्रेस को घेरती भी है, लेकिन इसके भी कई नेता हैं, जो अपने बच्चों के लिए टिकट का प्रयास कर रहे हैं।
इनमें शामिल हैं-
विधायक नरपत सिंह राजवी अपने बेटे अभिमन्यु सिंह के लिए प्रयासरत हैं। नरपत सिंह राजवी खुद पूर्व उपराष्ट्रपति भैंरों सिंह शेखावत के दामाद हैं।
राज्यसभा सांसद घनश्याम तिवाडी चाहते हैं उनके बेटे आशीष को टिकिट मिले।
सांसद जसकौर मीणा अपनी पुत्री अर्चना मीणा के लिए प्रयास कर रही हैं।
पूर्व मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर अपने पुत्र धनंयज सिंह के लिए प्रयास कर रहे हैं।
पूर्व मंत्री बंशीधर बाजिया अपने पुत्र राहुल बाजिया के लिए कोशिश कर रहे हैं।
पूर्व मंत्री कृष्णेन्द्र कौर दीपा अपने पुत्र दुष्यंत सिंह के लिए टिकिट चाहती हैं।
पूर्व मंत्री रामप्रताप अपने बेटे अमित के लिए टिकिट चाहते हैं।
पूर्व मंत्री सुरेन्द्रपाल सिंह टीटी भी बेटे समनजीत सिंह के लिए टिकिट का प्रयास कर रहे हैं।
कांग्रेस में रंधावा ने दिखाई उम्मीद
हालांकि इस मामले में कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने पिछले दिनों कांग्रेस के नए और युवा कार्यकर्ताओं को एक उम्मीद की किरण दिखाई थी। उन्होंने कहा था कि सारे टिकट पुराने नेताओ के रिश्तेदारो को देंगे तो कांग्रेस का कार्यकर्ता कहां जाएगा? उन्होंने कहा था कि यूथ कांग्रेस का कोटा फिक्स है और उस पर पार्टी चलेगी। हालांकि अब इस पर अमल कितना होगा, यह कुछ नहीं कहा जा सकता।