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संजय गुप्ता, INDORE. वनमंत्री विजय शाह पर नगर निगम का छह साल से भी ज्यादा समय से 20 लाख से ज्यादा का संपत्ति कर बकाया है। द सूत्र ने बाद में खुलासा किया था कि जिस जगह का निगम ने संपत्ति कर बनाया वह गलत है, क्योंकि यह आवासीय दर से बनाया है जबकि मंत्री शाह तो इसे पहले ही डायवर्ट कराकर होटल कार्य के लिए लैंडयूज चेंज करा चुके हैं। इसके बाद उन्हें करीब दोगुनी राशि 40 लाख के नोटिस दोबारा भेजे गए। जब शाह ने राशि नहीं भरी तो नगर निगम ने उन्हें कुर्की करने के नोटिस भेजे, जिसके खिलाफ उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की।
हाईकोर्ट ने इस आधार पर यह दी राहत-
वनमंत्री शाह ने कहा कि नगर निगम ने उन्हें संपत्ति कर संबंधी नोटिस सही पते पर नहीं भेजे। फिर एक दिन नगर निगम से किसी सलमान भाई ने मोबाइल पर यह बकाया राशि का बिल, नोटिस भेज दिया। जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की खंडपीठ के समक्ष इस मामले की सुनवाई हुई। मंत्री की ओर से अधिवक्ता दक्ष पालोदा, शाश्वत सेठ, परितोष सेठ, यश पालोद ने पैरवी की। याचिका में उल्लेख किया कि मूलत: खंडवा जिले के रहने वाले मंत्री की इंदौर में भी संपत्ति है। संपत्तिकर वसूली के लिए नगर निगम ने जितने भी नोटिस जारी किए, वह सही पते पर ही नहीं भेजे गए। विगत 26 मार्च 2023 को आखिरी नोटिस भेजा गया, जिसमें कहा गया कि टैक्स नहीं भरने पर संपत्ति कुर्क कर ली जाएगी। याचिकाकर्ता को पूर्व में भेजे गए नोटिस की कोई जानकारी ही नहीं थी। अधिवक्ता दक्ष के मुताबिक मंत्री को यह पता ही नहीं कि कौन सलमान भाई है, जिसने एकदम से टैक्स नहीं भरने पर कुर्की का नोटिस जारी कर दिया। आखिर हाईकोर्ट ने राहत दी कि पहले निगम उनका प्रेजेंटेशन देख ले, तब तक कोई सख्त कार्रवाई नहीं करें।
शाह ने अपने चुनावी शपथपत्र में कहा कि कोई बकाया नहीं
विजय शाह ने साल 2018 के चुनाव में जो शपथ पत्र दिया था, उसमें सरकारी बकाया राशि शून्य बताई थी। उस समय भी उन पर निगम का करीब 12 लाख रुपए संपत्ति कर बकाया था। वित्तीय साल समाप्ति के पहले जब निगम ने बड़े बकायादारों की सूची जारी की, तब इसमें भी शाह का नाम था, उनकी जमीन पर भी निगम ने नोटिस लगाया था, लेकिन राशि नहीं भरी गई। निगमकर्मियों ने कई बार नोटिस देने की कोशिश की लेकिन किसी ने लिया ही नहीं।, इसके बाद यह नोटिस मोबाइल पर भी सूचनार्थ भेजे गए। इन सबके बाद भी शाह ने एक रुपए भी बकाया राशि जमा नहीं की और हाईकोर्ट चले गए।