JAIPUR. राजस्थान की राजनीति में जल्द ही भूचाल आ सकता है। दरअसल, दलित वोटर्स को रिझाने के लिए चंद्र शेखर आजाद (रावण) ने एक बड़ा फैसला लिया है। बसपा की राजस्थान और मप्र में घटती ताकत से उन्होंने एक बड़ा अवसर खोजा है, अगर उनका दांव सही बैठा तो बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही उनकी ओर देखने को बिबस हो जाएंगी। राजस्थान में मिल रहे जनसमर्थन को देखते हुए तो यही लगता है। लेकिन, कुछ वजहें इसके ठीक उलट भी हैं। आइए जानते हैं प्रदेश में रावण यानि आजाद समाज पार्टी की एंट्री के बारे में।
रावण ने लिखी चिट्ठी
आजाद समाज पार्टी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने सोमवार को एक्स हैंडिल पर एक चिट्ठी पोस्ट की है। जिसमें रावण ने राजस्थान और मध्यप्रदेश में चुनाव लड़ने के लिए आवेदन की प्रक्रिया के बारे में बताया है। इसमें लिखा है कि उनकी पार्टी मप्र और राजस्थान में विधानसभा चुनाव लड़ने जा रही है। उसमें ऐसा लिखा गया है उनकी पार्टी की बढ़ती लोकप्रियता का कई लोग फायदा उठा रहे हैं, जिस दौरान कुछ लोग पार्टी का टिकट दिलाने के झूठे वादे कर रहे हैं। इस दौरान चिट्ठी में ईमेल आईडी और व्हाट्सएप नंबर दिया गया है। जिसकी मदद से प्रत्याशी आवेदन कर सकते हैं।
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राजस्थान में अच्छा समर्थन
आजाद समाज पार्टी को राजस्थान में दलित समाज का अच्छा समर्थन मिल रहा है। बता दें कि प्रदेश में दलितों की 17.8 प्रतिशत आबादी है। यहां के 27 जिलों के 34 विधानसभा क्षेत्र दलित वर्ग के लिए आरक्षित हैं। दलित समाज के लिए आरक्षित विधानसभा सीटों में जायल, चाकसू, बगरू, भोपालगढ़, बिलाड़ा, अनूपगढ़, मेड़ता, रामय सिंह नगर, बयाना, वैर, दूदू, कठुमर, अलवर ग्रामीण, रेवदर, अटरू, चोहटन, पिलानी, हिंडौन सिटी, शाहपुरा, खाजूवाला, केशवरायपाटन, खंडार, अजमेर दक्षिण, सूजानगढ़, सिकराय, बासेरी, पीलिबंगा, जालौर, डग, रामगंजमंडी, सोजत, निवाई और धौंद शामिल है। इस विधानसभा चुनाव में आजाद समाज पार्टी की नजर इन क्षेत्रों पर रहेगी।
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राजस्थान ही क्यों चुना?
राजस्थान और मप्र में आए दिन दलित समाज के अपमान की खबरें सामने आती रहती हैं। जिसमें कभी किसी दलित को मंदिरों में नहीं जाने दिया जाता है तो किसी दलित लड़की के साथ रेप हो जाता है। आजकल दलितों पर पेशाब करने के कई मामले भी सामने आते रहते हैं। इसी बीच रावण की आजाद समाज पार्टी हमेशा से ही दलितों का समर्थन करती आई है और इस प्रकार के अपराधों का विरोध करती है।