गंगेश द्विवेदी, RAIPUR.छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के लिए मतदान संपन्न हो चुके हैं। मतदाताओं ने प्रत्याशियों के भाग्य के फैसला कर दिया है। प्रत्याशियों की किस्मत फिलहाल EVM में कैद है, जिसका परिणाम 3 दिसंबर को सबके सामने आ जाएगा। छत्तीसगढ़ में चुनावी मैनेजमेंट को लेकर बीजेपी ने खास रणनीति अपनाई जिसमें पार्टी के दिग्गज नेताओं से लेकर हर एक कार्यकर्ता की भूमिका विशेष रही। बीजेपी ने अपने कार्यकर्ताओं की टीम बताते हुए हर बूथ पर मतदाताओं को मतदान केंद्र तक ले जाने जिम्मेदारी सौंपी थी। बीजेपी के प्रदेश प्रभारी ओम माथुर और सह प्रभारी मनसुख मांडविया ने विधानसभा चुनाव जीतने के लिए चार लेयर पर टीम तैयार की थी, जिसका उद्देश्य अपने परंपरागत वोटर्स के साथ अन्य वोटर को प्रेरित करके उन्हें बीजेपी के पक्ष में वोट डालने के लिए प्ररित करना था।
बूथ लेवल पर 15 कार्यकर्ता
पहले लेयर में प्रत्येक बूथ पर 15 कार्यकर्ताओं को नियुक्त किया गया था। इनकी जिम्मेदारी अपने क्षेत्र के सभी परंपरागत मतदाताओं के यहां घर-घर जाकर मुलाकात करना और चर्चा के दौरान पार्टी के पक्ष में माहौल बनाना था। बूथ कार्यकर्ताओं ने ऐसे घरों में भी सम्पर्क किया जो अन्य पार्टी के समर्थक हैं। उनके बीच अपनी योजनाओं का प्रचार प्रसार करके मन बदलने की जिम्मेदारी दी गई थी। टीम की मॉनिटरिंग करने के लिए शहरों में वार्ड स्तर पर और ग्रामीण क्षेत्रों में गांव स्तर पर एक प्रभारी नियुक्त किया गया था जो उस क्षेत्र का प्रभावशाली नेता था।
मंडल कमेटी का दूसरी लेयर
वार्ड प्रभारी बूथ की टीम से फीडबैक लेकर बीजेपी मंडल कमेटी को रिपोर्ट करती रही। जिनका नेतृत्व मंडल अध्यक्ष कर रहे। मंडल अध्यक्ष की यह टीम चुनाव संचालक को रिपोर्ट कर रही थी।
जिला कमेटी के जिम्मे इंतजाम
तीसरी लेयर जिला चुनाव समिति थी जिसमें उस जिले के सभी चुनाव संचालकों के साथ जिला अध्यक्ष और उनकी टीम थी। इस टीम ने चुनाव प्रचार से लेकर स्टार प्रचारकों व सीनियर नेताओं के दौरे की तैयारियों में नीचे की टीमों की मदद करती रही। चुनाव संचालक और जिला प्रभारी को इस टीम की रिपोर्टिंग सीधे राज्य चुनाव समिति को रिपोर्ट देने कहा गया था।
राज्य चुनाव समिति को रणनीति तैयार करने का जिम्मा
राज्य चुनाव समिति में प्रदेश बीजेपी के प्रमुख वरिष्ठ नेता शामिल थे, जिनके फीडबैक के आधार पर यह टीम चुनावी रणनीति तैयार करने में जुटी थी। बदली हुई परिस्थितियों की जानकारी प्रदेश प्रभारी और सहप्रभारी को देना और जरूरत के हिसाब से रणनीति में बदलाव करना इस टीम टीम की जिम्मेदारी थी। नीचे की तीन लेयर्स के फीडबैक के आधार पर रोज की सभा और रैलियों के आयोजन की रणनीति तैयार की जाती रही।
मतदान के दिन एक बूथ पर 30 कार्यकर्ता
मतदान के दिन प्रत्येक बूथ में 15 अतिरिक्त कार्यकर्ताओं को तैनात किया गया था। इनमें से 10 कार्यकर्ताओं ने बूथ एरिया को 10 हिस्से में बांट दिया था। पहले से तैनात 15 कार्यकर्ताओं की मदद से परंपरागत वोटर्स को घर से निकालकर बूथ तक ले जाने के लिए तैनात किए गए थे। वहीं पांच कार्यकर्ता पंडाल में पर्ची बांटने के लिए बैठ हुए थे। इस तरह प्रत्येक बूथ पर 30 लोगों की टीम अपने परंपरागत वोटरों के अलावा अन्य मतदाताओं को मतदान केंद्र तक लाकर मतदान करने की जिम्मेदारी निभाई।