मध्यप्रदेश के 4 महानगरों की 17 सीटों पर फंसा पेंच, कांग्रेस को भोपाल में नहीं मिल रहे जिताऊ उम्मीदवार, BJP अपने गढ़ इंदौर में उलझी

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Rahul Garhwal
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मध्यप्रदेश के 4 महानगरों की 17 सीटों पर फंसा पेंच, कांग्रेस को भोपाल में नहीं मिल रहे जिताऊ उम्मीदवार, BJP अपने गढ़ इंदौर में उलझी

अरुण तिवारी, BHOPAL. बीजेपी और कांग्रेस में उम्मीदवारों को लेकर अंदरूनी तौर पर भारी घमासान चल रहा है। खासतौर पर प्रदेश के 4 महानगरों भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर में महापेंच फंसा है। यहां पर पेंच इसलिए ज्यादा है क्योंकि इन शहरों की राजनीति पूरे अंचल पर असर डालती है। यही कारण है कि बीजेपी हो या कांग्रेस दोनों यहां पर जल्दबाजी में कदम उठाना नहीं चाहते। बीजेपी इन शहरों की 7 और कांग्रेस 10 सीटों पर अपने उम्मीदवार तय नहीं कर पाई है। कांग्रेस को भोपाल में सबसे ज्यादा दिक्कत है क्योंकि उसको जिताऊ उम्मीदवार नहीं मिल पा रहे हैं, तो वहीं बीजेपी अपने गढ़ इंदौर में ही मुश्किल में है। कांग्रेस की 86 सीटें तो बीजेपी की 94 सीटों पर अभी उम्मीदवार घोषित होना बाकी है। हम आपको बता रहे हैं कि किस तरह बीजेपी और कांग्रेस 17 के फेर में उलझी हुई हैं।

बीजेपी का इन सीटों पर फंसा पेंच

भोपाल दक्षिण पश्चिम

इस सीट पर बीजेपी के पूर्व मंत्री यहां से लगातार 3 बार विधायक रहे हैं, लेकिन पिछला चुनाव हार गए। अब पार्टी उनसे किनारा करना चाहती है। यही कारण है कि उन्होंने अपनी पुत्री कृति का नाम आगे बढ़ा दिया है। पूर्व विधायक सुरेंद्र नाथ सिंह भी इस सीट पर जोर लगा रहे हैं। इनके अलावा प्रवक्ता राहुल कोठारी, नेहा बग्गा और चिकित्सा प्राकेष्ठ प्रकोष्ठ के अभिजीत देशमुख भी यहां से दावेदारी कर रहे हैं। बड़े दावेदारों ने इस सीट पर पेंच फंसा दिया है।

इंदौर-3

इस सीट पर मौजूदा विधायक आकाश विजयवर्गीय हैं। कैलाश विजयवर्गीय की उम्मीदवारी तय होने के बाद ये तय है कि अब आकाश को टिकट नहीं मिलेगा। यहां कैलाश चाहते हैं कि उनके हिसाब से टिकट बंटे। क्योंकि उनके पुत्र ने जो काम इस विधानसभा में कराए हैं, उनका फायदा उनके समर्थक को मिलना चाहिए। पार्टी यहां पर युवा उम्मीदवार को ही उतारना चाहती है। यहां पर उषा ठाकुर को चुनाव लड़ाने की भी चर्चा है, लेकिन कैलाश विजयवर्गीय गुट से पटरी नहीं बैठने से वे वहां नहीं जाना चाहती। लिहाजा यहां पर मंथन चल रहा है।

इंदौर-5

इस सीट पर मौजूदा विधायक महेंद्र हार्डिया हैं, लेकिन उनका विरोध हो रहा है। बीजेपी में हार्डिया के विरोध में नेताओं के बागी तेवर सामने आ चुके हैं। पार्टी नेता खुलकर कह चुके हैं, ये लड़ेंगे तो पार्टी के लिए जीत मुश्किल होगी। महापौर चुनाव में ये इकलौती सीट थी जहां से बीजेपी पिछड़ी थी। इस सीट पर गौरव रणदिवे भी दावेदारी कर रहे हैं। हार्डिया यहां से 4 बार के विधायक हैं। लिहाजा पार्टी यहां कोई जोखिम उठाना नहीं चाहती।

महू

यहां की मौजूदा विधायक उषा ठाकुर 3 चुनाव लड़ी और तीनों जीती, लेकिन हर बार उनकी विधानसभा बदली गई। इस बार महू में उनका विरोध है। लोग स्थानीय उम्मीदवार चाहते हैं। ऐसे में वे मुश्किल में हैं। राज्यसभा सदस्य कविता पाटीदार और राज्य युवा आयोग के अध्यक्ष निशांत खरे भी यहां से दावेदारी कर रहे हैं।

ग्वालियर पूर्व

इस सीट पर सिंधिया समर्थक मुन्नालाल गोयल फिर से टिकट चाहते हैं क्योंकि सिंधिया के प्रति समर्पण में उनको बमुश्किल मिली विधायकी गंवानी पड़ी क्योंकि वे उपचुनाव हार गए। सांसद विवेक शेजवलकर अपने पुत्र प्रांशु शेजवलकर को टिकट चाहते हैं। पूर्व मंत्री माया सिंह का नाम भी चर्चा में है। अनूप मिश्रा भी यहां से दावेदारी कर रहे हैं।

ग्वालियर दक्षिण

अपनी परंपरागत सीट को पिछले चुनाव में गंवा चुकी बीजेपी इस बार फूंक-फूंककर कदम रख रही है। यहां से नारायण कुशवाहा की दावेदारी है। तो कुशवाहा को बागी होकर चुनाव हराने में अहम भूमिका निभाने वाली समीक्षा गुप्ता भी मैदान में हैं। अनूप मिश्रा भी यहां से टिकट चाहते हैं।

जबलपुर उत्तर

कभी बीजेपी का मजबूत गढ़ रही ये सीट पिछले चुनाव में कांग्रेस के हाथों में चली गई। बीजेपी इसे फिर से पाना चाहती है इसलिए यहां पर मजबूत उम्मीदवार की तलाश कर रही है। इस सीट से 2018 में पराजित प्रत्याशी शरद जैन फिर से चुनाव मैदान में हाथ आजमाने की कोशिश कर रहे हैं, तो वहीं कई ऐसे दावेदार भी हैं जिनके चलते बीजेपी टिकट की घोषणा नहीं कर पा रही है। पिछली बार की तरह इस बार भी धीरज पटेरिया टिकट के सबसे बड़े दावेदार हैं। इसके अलावा पूर्व महापौर स्वाती सदानंद गोडबोले और वर्तमान में नेता प्रतिपक्ष कमलेश अग्रवाल के नाम भी यहां के दावेदारों में हैं।

कांग्रेस में इन सीटों पर घमासान

भोपाल उत्तर

भोपाल उत्तर सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती है। कमलनाथ इस गढ़ को बरकरार रखना चाहते हैं। यहां के मौजूदा विधायक आरिफ अकील स्वास्थ्य कारणों से चुनाव नहीं लड़ना चाहते, लेकिन वे अपने पुत्र के लिए टिकट चाहते हैं। उनके भाई भी दावेदारों में शामिल हैं। कमलनाथ चाहते हैं कि आरिफ अकील ही चुनाव लड़ें। इसी पशोपेश में कांग्रेस यहां पर अभी तक उम्मीदवार घोषित नहीं कर पाई है। यहां से बीजेपी उम्मीदवार आलोक शर्मा हैं जिनके लिए सीएम खुद इस सीट पर फोकस कर रहे हैं।

हुजूर

इस सीट पर कांग्रेस को मजबूत उम्मीदवार नहीं मिल पा रहा है। यहां पर दावेदार तो कई हैं, लेकिन कमलनाथ के सर्वे में उनकी स्थिति जिताऊ उम्मीदवार की नहीं है। इसलिए यहां से उम्मीदवार घोषित नहीं हो पा रहा है। यहां पर बीजेपी के 2 बार के विधायक रामेश्वर शर्मा फिर तीसरी बार मैदान में हैं।

दक्षिण पश्चिम

इस सीट पर भी अभी तक उम्मीदवार की घोषणा नहीं हो पाई है। यहां पर मौजूदा विधायक पूर्व मंत्री पीसी शर्मा हैं। पहली सूची में इनका नाम नहीं आ पाया। हालांकि ऐसा माना जा रहा है कि कांग्रेस के पास कोई दूसरा मजबूत उम्मीदवार भी नहीं है। ऐसा माना जा रहा है कि यहां से पीसी शर्मा को फिर टिकट मिलेगा।

गोविंदपुरा

ये सीट भी बीजेपी का अभेद किला बन गई है। 10 बार बाबूलाल गौर और एक बार कृष्णा गौर यहां की विधायक रहीं। कृष्णा गौर लगातार दूसरी बार मैदान में हैं। बीजेपी के तिलिस्म को तोड़ने के लिए कांग्रेस को उम्मीदवार नहीं मिल पा रहा है। हालांकि दिग्विजय सिंह एक सभा में रविंद्र साहू को यहां का उम्मीदवार बता चुके हैं, लेकिन कमलनाथ ठोक बजाकर ही उम्मीदवार उतारना चाहते हैं।

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इंदौर-3

इंदौर-3 भी बीजेपी का गढ़ मानी जाती है। कांग्रेस पहले ये देखना चाहती थी कि आकाश विजयवर्गीय की जगह कौन उम्मीदवार यहां से उतरेगा। यहां पर अश्विन जोशी दावेदार हैं, लेकिन पार्टी उनकी जगह उनके चचेरे भाई पिंटू जोशी को भी टिकट दे सकती है। टिकट की दौड़ में अरविंद बागड़ी भी हैं।

इंदौर-5

इस सीट पर भी उम्मीदवार घोषित नहीं हो पाया है। इस विधानसभा में सत्यनारायण पटेल सबसे मजबूत दावेदार हैं। पार्टी पहले उन्हें महू भेजना चाहती थी और यहां स्वप्निल कोठारी लाना चाह रही थी, लेकिन सत्यनारायण पटेल इस सीट से ही चुनाव लड़ना चाहते हैं। ये सीट भी कांग्रेस के लिए दूर की कौड़ी बनी हुई है।

महू

ये सीट पहले कांग्रेस का गढ़ रही है। यहां से 2 बार लगातार कांग्रेस के अंतर सिंह दरबार विधायक रहे हैं, लेकिन अब कांग्रेस की पहुंच से दूर हो गई है। कैलाश विजयवर्गीय और उषा ठाकुर ने दरबार की सभा तितर-बितर कर दी। महू से 3 बार से चुनाव हार रहे अंतर सिंह दरबार फिर टिकट पाना चाहते हैं, लेकिन पार्टी किसी मजबूत उम्मीदवार की तलाश में हैं। हाल ही में कांग्रेस में आए रामकिशोर शुक्ला भी यहां से दावेदारी कर रहे हैं।

जबलपुर केंटोनमेंट

बीजेपी के इस गढ़ में सेंधमारी करना कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती है। इस सीट को जीतने के लिए महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू को चुनाव लड़ाने पर विचार किया जा रहा है। केंट बोर्ड के पूर्व उपाध्यक्ष अभिषेक चौकसे 'चिंटू' और कांग्रेस नेता शिव यादव भी यहां से दावेदारी कर रहे हैं। सर्वे में पार्टी को यहां कोई उम्मीदवार ऐसा नजर नहीं आया जो उसको जीत दिला सके।

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पनागर

पनागर विधानसभा क्षेत्र के लिए प्रत्याशी चयन करने में कांग्रेस के पसीने छूट रहे हैं। यही वजह है कि जबलपुर के 8 विधानसभा क्षेत्रों में से एक पनागर की सीट से उम्मीदवार की घोषणा अभी तक नहीं हो पाई है। इस सीट से लगातार बीजेपी ही जीत दर्ज करती आ रही है। इस सीट से 2018 के विधानसभा के चुनाव में बीजेपी से बगावत कर निर्दलीय लड़ने वाले भारत सिंह यादव कांग्रेस उम्मीदवार बनने के लिए जोर लगा रहे हैं। इनके अलावा पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष राजेश पटेल के नाम पर भी पार्टी विचार कर रही है। इन दोनों के अलावा कांग्रेस नए उम्मीदवार पर भी विचार कर रही है।

ग्वालियर

ये सीट भी कांग्रेस जीतना चाहती है। यहां पर पिछली बार कांग्रेस की ही जीत हुई थी, लेकिन प्रद्युम्न सिंह तोमर जीतकर बीजेपी में चले गए। अब वे बीजेपी की तरफ से उम्मीदवार हैं। यहां पर भी कांग्रेस को जिताऊ उम्मीदवार की तलाश है। सुनील शर्मा दावेदारी जरूर कर रहे हैं, लेकिन वे उप-चुनाव बड़े अंतर से हार चुके हैं। यहां पर भी कांग्रेस को ढूंढे से भी जिताऊ उम्मीदवार नहीं मिल पा रहा है।

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