DHAMTARI.छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव को लेकर सूबे में सियासी पारा हाई हो गया है। चुनाव के बीच ED की कार्रवाई को लेकर सीएम भूपेश बघेल के विवादित बयान के बाद बीजेपी हमलावर हो गई है। ED की तुलना कुत्ते से किए जाने पर केंद्रीय राज्यमंत्री मीनाक्षी लेखी और पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने पलटवार किया हैं। मीनाक्षी लेखी ने कहा कि जो चोर नहीं है उनको ईडी से कोई डर नहीं है। वहीं रविशंकर प्रसाद ने कहा कि ED से इनती परेशानी होती है तो भ्रष्टाचार मत करिए।
जो चोर नहीं, उन्हे ED से कोई डर नहीं
शुक्रवार को छत्तीसगढ़ के धमतरी पहुंची केंद्रीय राज्यमंत्री मीनाक्षी लेखी ने बीजेपी के पक्ष में चुनाव प्रचार किया। मीडिया से चर्चा में मीनाक्षी लेखी ने छत्तीसगढ़ में ईडी की कार्रवाई को लेकर कहा कि जो चोर है ऐसे लोग ईडी की कार्रवाई से डर कर उनका विरोध कर रहे हैं और जो चोर नहीं है उनको ईडी से कोई डर नहीं है। उन्होंने कहा कि जो धन राज्य से चोरी हुआ है उसे लाने का काम ईडी और आईटी कर रही है।
कांग्रेस ने अपराधियों को दिए टिकट
कांग्रेस में प्रत्याशियों के चयन को लेकर मीनाक्षी लेखी ने कांग्रेस पर निशाना साधा, मीनाक्षी लेखी ने कांग्रेस के टिकट वितरण को लेकर कहा कि जिनके ऊपर रेप, छेड़छाड़, हत्या जैसे मामले दर्ज है उनको कांग्रेस ने टिकट दिया है। उन्होने आगे कहा कि कांग्रेस में सेटिंग से टिकट मिलता है, इस दौरान मीनाक्षी लेखी ने दावा कि प्रदेश की जनता इस बार बीजेपी के साथ है और छत्तीसगढ़ में बीजेपी की ही सरकार बनेगी।
मुख्यमंत्री की यह कौन सी भाषा है...?
इधर, छत्तीसगढ़ दौरे पर आए पूर्व केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने सीएम भूपेश द्वारा ED की तुलना कुत्ते से किए जाने पर कहा कि बघेल साहब की टिप्पणी आई है, मुख्यमंत्री द्वारा ऐसी भाषा का उपयोग नहीं किया जा सकता। "जैसे कुत्ते घूमते हैं, वैसे ईडी के लोग घूम रहे हैं," यह कौन सी भाषा है...? मालूम है ईडी से परेशानी होती है तो भ्रष्टाचार मत करिए, झूठ मत बोलिए तो परेशानी नहीं होगी। कार्रवाई तो होगी।
लिफाफा बाजी की राजनीति अब खत्म
वहीं प्रियंका गांधी को चुनाव आयोग से कारण बताओ नोटिस मिलने पर रविशंकर प्रसाद ने कहा कि चुनाव आयोग ने कहा है तो मैं इस पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा लेकिन शिष्टाचार का पालन करना चाहिए, वह एक प्रधानमंत्री की परपोती हैं, उन्हे देश के प्रधानमंत्री का सम्मान करना चाहिए, आलोचना भी होना चाहिए, आलोचना की मर्यादा होनी चाहिए, लिफाफा बाजी की राजनीति अब खत्म हो गई।