शिवम दुबे, RAIPUR. मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद छत्तीसगढ़ में एक बार फिर झीरम घाटी पर सियासत सुलग गई है। इसी कड़ी में बीजेपी ने कवासी लखमा का 10 साल पुराना वीडियो एक्स हैंडल पर शेयर किया है। इस वीडियो के साथ बीजेपी ने अपने एक हैंडल पर लिखा है कि आखिर चरण दास महंत कवासी लखमा से मुजरिम की तरह व्यवहार क्यों कर रहे हैं?
बीजेपी का पोस्ट
बीजेपी ने अपने ऑफिसियल एक्स हैंडल पर लिखा है कि झीरम घाटी जांच पर हो हल्ला मचाते कांग्रेसी कृपया इस वीडियो पर स्पष्टीकरण दें कि विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत जी ने कवासी लखमा से एक मुजरिम की तरह व्यवहार क्यों किया था? पुलिस को अपने जेब से सबूत निकाल कर भूपेश जी कब दे रहे हैं??
क्यों सुलगी सियासत!
मंगलवार (21 नवंबर) को छत्तीसगढ़ झीरम कांड मामले की जांच को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने NIA की अपील खारिज कर दी है। भूपेश सरकार की ओर से इस हत्याकांड के षड्यंत्र को लेकर FIR दरभा थाने में दर्ज कराई गई थी। इस FIR पर NIA आपत्ति करते हुए सुप्रीम कोर्ट चली गई थी। चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ की अध्यक्षता और जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस पारधीवाला की सदस्यता वाली बेंच ने सुनवाई करते हुए एनआईए की अपील खारिज कर दी है। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव ने इस फैसले की जानकारी देते हुए कहा है कि अब इस हत्याकांड के पीछे वृहद् राजनीतिक षड्यंत्र की जांच राज्य सरकार कर सकेगी।
क्या है झीरम घाटी मसला?
25 मई 2013... इस दिन बस्तर में तत्कालीन कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नंद कुमार पटेल के नेतृत्व में परिवर्तन यात्रा पहुंची थी। सुकमा से जब यह यात्रा वापस जगदलपुर लौटी तो नक्सलियों ने हमला किया था। इस हमले में 33 लोगों की हत्या हुई थी। हमले के वक्त जब नक्सली नंद कुमार पटेल और उनके पुत्र हरीश पटेल को अपने साथ ले जा रहे थे, तब कोंटा विधायक कवासी लखमा वहां मौजूद थे, कथित रुप से उन्होंने नक्सलियों को रोकने की कोशिश की थी, बाद में वे मोटर साइकिल से जगदलपुर पहुंच गए थे। कवासी लखमा मौजूदा भूपेश सरकार ( 2018-2023 ) में उद्योग और आबकारी मंत्री हैं। जब यह घटना घटी थी तब केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार थी। इस घटना में कांग्रेस की तत्कालीन एक पीढ़ी ही खत्म हो गई थी।