संजय गुप्ता, INDORE. विधानसभा चुनाव के नतीजे 3 दिसंबर को आना है और बीजेपी, कांग्रेस दोनों ही दल पूरी तरह से आश्वस्त होने की जगह चिंता में ज्यादा है। सबसे ज्यादा नजरें मालवा-निमाड़ पर है, जहां की 66 सीटें सत्ता दिलाएगी। यहां के 15 जिलों में पांच जिले ऐसे रहे जिन्होंने साल 2018 में कांग्रेस को जमकर सीट दिलाई थी, वहीं तीन जिले ऐसे थे जिन्होंने पूरी तरह से बीजेपी का साथ दिया था। ऐसे में दोनों ही दल इन जिलों में सेंध मारने की आस में हैं।
सबसे ज्यादा जोर आजमाइश धार और खरगोन जिले में
सबसे ज्यादा चर्चा में धार और खरगोन जिले ही रहे। यहां बीजेपी और कांग्रेस ने हर स्तर के राजनीतिक दाव-पेंच किए। खरगोन में हमास मुद्दे और दंगों के कारण ध्रुवीकरण कका मुद्दा चला तो वहीं धार में आदिवासियों को अपने साथ करने के लिए दोनों ही दलों ने लगातार सभाएं की। बीते चुनाव 2018 में इन दोनों जिलों ने कांग्रेस का भरपूर साथ दिया। धार की सात में से छह सीट कांग्रेस की झोली में गिरी और एक बीजेपी के खाते में गई, खरगोन में 6 में से पांच सीट कांग्रेस और एक निर्दलीय के पास गई। यानि कुल 13 सीट में से बीजेपी के हाथ केवल एक सीट आई। एक निर्दलीय के पास तो 11 कांग्रेस के पास गई।
बड़वानी, अलीराजपुर और झाबुआ भी कांग्रेस के लिए खास
वहीं कांग्रेस के लिए बड़वानी, अलीराजपुर और झाबुआ आदिवासी जिले भी खास साबित हुए। बड़वानी की चार में तीन सीट, झाबुआ की तीन में दो सीट और अलीराजपुर की दोनों सीट कांग्रेस के खाते में आई। इन तीन जिलों की नौ सीट में से कांग्रेस को सात सीट मिली, बीजेपी को केवल दो सीट मिली। इस तरह धार, खरगोन, बड़वानी, अलीराजपुर और झाबुआ इन पांच जिलों की कुल 22 सीटों में कांग्रेस के खाते में 18 सीट आई, वहीं बीजेपी के खाते में केवल तीन सीट, और निर्दलीय के पास एक सीट गई।
बीजेपी के लिए रतलाम, मंदसौर, नीमच जिले लकी
बीजेपी की बात करें तो उनके लिए रतलाम, मंदसौर और नीमच जिले बीते चुनाव में खास साबित हुए। जहां साल 2018 के चुनाव में मालवा-निमाड़ के बाकी जिलों में कांग्रेस ने सेंध मारी और बीजेपी को नुकसान पहुंचाया, वहीं इन तीन जिलों की 12 सीटों में से कांग्रेस के पास तीन सीट गई और 9 पर बीजेपी ने कब्जा जमाया।
बीजेपी के लिए खंडवा भी खास
यहां रतलाम की पांच सीट में से कांग्रेस के पास दो सीट आलोट और सैलाना आई थी, वहीं बाकी तीन सीट बीजेपी के पास गई थी। मंदसौर की बात करें तो यहां की चार में से केवल एक सीट सुवासरा ही कांग्रेस के पास गई (वह भी उपचुनाव में डंग के कांग्रेस से बीजेपी में जाने के बाद कांग्रेस से छिन गई और बीजेपी के पास चली गई) और तीन सीट बीजेपी के खाते में गई, इस तरह नीमच में तो कांग्रेस का सूपड़ा साफ था और सभी तीन सीट बीजेपी के खाते में गई थी। इसी तरह खंडवा जिला भी बीजेपी के लिए अच्छा साबित हुआ था और यहां की चार में से तीन सीट बीजेपी के पास गई थी और कांग्रेस के पास केवल मांधाता सीट गई थी। यह सीट भी उपचुनाव में कांग्रेस के नारायण पटेल के बीजेपी में जाने के बाद उपचुनाव 2020 में बीजेपी के पास चली गई। यानि खंडवा और मंदसौर में कांग्रेस फिलहाल शून्य की स्थिति में हैं और 2018 में यहां की जीती एक-एक सीट भी उपचुनाव के बाद बीजेपी के पास चली गई।