मध्यप्रदेश में चुनाव की खातिर BJP के दो बड़े दांव, कांग्रेस पर पड़ेंगे भारी या अपनों को मनाने की तैयारी?

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Harish Divekar
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मध्यप्रदेश में चुनाव की खातिर BJP के दो बड़े दांव, कांग्रेस पर पड़ेंगे भारी या अपनों को मनाने की तैयारी?

BHOPAL. एक कहावत आपने जरूर सुनी होगी कि दूध का जला छाछ भी फूंक-फूंक कर पीता है। मध्यप्रदेश में बीजेपी का भी वही हाल नजर आता है। 2018 के चुनावी नतीजों के बाद सियासी बदलाव को जो उबाल आया था बीजेपी में उसकी जलन अब भी बरकरार है। वही जलन बीजेपी को बार-बार अपनी पुरानी गलतियां याद दिलाती हैं और छाछ को फूंकने की नीयत से बीजेपी एक नई रणनीति पर अमल करने निकल पड़ती है। ये बात भी सही है कि बीजेपी ने अब तक जो प्लानिंग की है। उसमें से कुछ कारगर भी साबित हुई हैं। लाड़ली बहना योजना के जरिए बीजेपी प्रदेश का माहौल बदलने में कामयाब रही है। जल्दी जारी लिस्ट करना भी बीजेपी का मास्टरस्ट्रोक ही साबित हुआ जो कांग्रेस को चुनावी मैदान में पछाड़ता दिख रहा है। हालांकि, अपनों की बगावत का डर अब भी बना हुआ है।

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सियासी दलबदल भी बीजेपी में बहुत सी तब्दीलियां लाया है

बीजेपी में कब क्या होने वाला है। कब किसी प्लानिंग पर आगे बढ़ना है। और, प्लानिंग में जो बदलाव हो रहे हैं वो क्यों हो रहे हैं। इसका ठीक-ठीक जवाब शायद पार्टी के बड़े नेताओं के पास भी नहीं होंगे। पूछेंगे तो सिर्फ एक ही जवाब मिलेगा कि जो संगठन तय करेगा वही होगा। 2018 की हार के बाद बीजेपी ने 2020 में बड़ा सियासी बदलाव भी देखा। देखा क्या, ये कहें कि बीजेपी ही उस बदलाव की सूत्रधार बनी तो भी तो गलत नहीं है, लेकिन सियासी दलबदल के साथ हुआ बदलाव बीजेपी में भी बहुत सी तब्दीलियां लेकर आया है। बीजेपी को कांग्रेस के नेताओं से ज्यादा अपने ही नेताओं का डर खाए जा रहा है। यही वजह मानी जा रही है कि बीजेपी ने पहली लिस्ट बहुत जल्दी जारी कर दी। बीजेपी ने पिछले किसी चुनाव में ऐसा नहीं किया इसलिए ये कदम चौंकाने वाला है। लेकिन ये रणनीति कारगर भी दिख रही है। मैदानी स्तर पर बात की जाए तो जल्दी जारी हुई लिस्ट के बाद प्रत्याशी दुगनी ऊर्जा से मैदान में उतर कर काम पर जुट गए हैं। लाड़ली बहना योजना के बाद बीजेपी को मजबूत बनाने में ये योजना सोने पर सुहागा साबित हुई है।

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इस बार बीजेपी ने आचार संहिता से पहले ही पहली लिस्ट जारी कर दी

चुनाव नजदीक आने के साथ-साथ बीजेपी में हड़बड़ी और जल्दबाजी साफ नजर आ रही है। जो विश्लेषक हर चुनाव का आंकलन करते रहे हैं उनके लिए ये समझना आसान है कि बीजेपी ने कभी टिकट देने में इतनी जल्दबाजी नहीं की। साल 2018 में 28 नवंबर को मतदान हुआ था। 2 नवंबर तक बीजेपी ने अपने सारे टिकट फाइनल नहीं किए थे। यानी चुनाव में बमुश्किल 28 दिन बचे थे और बीजेपी में उम्मीदवारों के नाम पर चिंतन मनन जारी था। क्योंकि, उस वक्त जीत का कॉन्फिडेंस था और वो उसी साल नतीजों के साथ धराशाई भी हो गया, लेकिन इस बार बीजेपी ने वही गलती नहीं दोहराई है। इस बार पार्टी ने आचार संहिता से पहले ही पहली लिस्ट जारी कर दी है। लिस्ट भी उन सीटों पर जारी की गई है जहां कांग्रेस के विधायक हैं। इससे कांग्रेस पर तो प्रेशर बना ही है। उन सीटों पर एक्टिव होने के लिए प्रत्याशियों को भी भरपूर वक्त मिल रहा है। खबर है कि पीएम मोदी के 25 सितंबर के दौरे के बाद अगली लिस्ट जारी हो जाएगी। बीजेपी की इस तेजी के पीछे भी खास वजह है।

बीजेपी की 39 प्रत्याशियों की लिस्ट में अधिकांश सीटों पर कांग्रेस काबिज है

बीस साल से प्रदेश की सत्ता पर काबिज बीजेपी पहली बार अपनी स्थिति को लेकर डरी हुई नजर आ रही है। जो चुनाव से पहले अपनी रणनीति बदलकर इस बार मैदान में उतरी है। पहली लिस्ट में बीजेपी ने कोशिश तो यही जताने की, की है कि कांग्रेस की सीटों पर जबरदस्त फोकस है। पहली 39 सीटों में अधिकांश वो सीटें हैं जहां कांग्रेस काबिज है। उन सीटों के नाम तय कर बीजेपी कांग्रेस के गढ़ में सेंध लगाने का दावा कर रही है। लाड़ली बहना योजना ने पहले ही पार्टी की स्थिति को मजबूत कर दिया था और अब लिस्ट जारी कर बीजेपी इस बात से आश्वस्त है कि सीटों पर बीजेपी का प्रदर्शन बेहतर होगा।

आने वाली लिस्ट में सख्त फैसलों से बचना मुश्किल होगा

लेकिन हकीकत इससे कोसों दूर हैं कांग्रेस का दावा है कि पहली लिस्ट में ऐसी सीटों पर कैंडिडेट उतारे गए जहां बीजेपी खुद में पनप रहे असंतोष का लिटमस टेस्ट कर सके। और, ये अंदाजा लगा सके कि टिकट वितरण के बाद वो खुद कितनी मुश्किलों से जूझती है। कांग्रेस का मानना है कि पहली लिस्ट में कोई सख्त फैसला नजर नहीं आया, लेकिन आने वाली लिस्ट में सख्त फैसलों से बचना मुश्किल होगा। उसके बाद नाराजगी का नया दौर शुरू होगा।

अपनी परंपरा से हट कर बीजेपी ने टिकट वितरण में तेजी तो दिखा दी है, लेकिन इसके पीछे खास वजह भी मानी जा रही हैं।

  • जल्दी टिकट देकर बीजेपी असंतोष को साधना चाहती है।
  • जितनी जल्दी टिकट मिलेगा प्रत्याशी को उतना ज्यादा वक्त चुनाव प्रचार के लिए मिलेगा।
  • नेताओं की नाराजगी जल्दी सामने आएगी, जिससे डैमेज कंट्रोल के लिए भी समय मिलेगा।
  • जिन सीटों पर ज्यादा नाराजगी होगी वहां टिकट बदलने का भी समय होगा।

बीजेपी का ये हाल तब है जब पार्टी तीन तीन सर्वे करा चुकी है। जीत की खातिर बीजेपी उम्मीदारों को खास ट्रेनिंग भी दे रही है। ताकि गलती की कोई गुंजाइश न रहे।

  • उम्मीदवारों को खास ट्रेनिंग दी जा रही है।
  • मीडिया मैनेजमेंट, सोशल मीडिया हैंडलिंग के तरीके सिखाए जा रहे हैं।
  • कार्यकर्ताओं के साथ कॉर्डिनेशन, रिस्क मैनेजमेंट, फीडबैक सिस्टम तैयार करना भी बताया जा रहा है।
  • भाषण देते समय भाषा का संयम सिखाया जा रहा है।
  • जिलाध्यक्ष, बूथ कार्यकर्ता और दूसरे दावेदारों से संपर्क में रहने की हिदायत।
  • उम्मीदवारों के स्टाफ को भी सोशल मीडिया हैंडलिंग के गुर बताए जा रहे हैं।

इससे पहले बीजेपी ने सीएम शिवराज का चेहरा पीछे कर पीएम मोदी का चेहरा आगे कर ही दिया है। क्या ये तेजी वाकई बीजेपी के लिए फायदेमंद साबित होगी।

बहुत जल्द बीजेपी की दूसरी लिस्ट आने की भी संभावना है

फुल प्रूफ प्लानिंग का दावा कर रही बीजेपी की दूसरी लिस्ट जारी होने की खबरें कई दिनों से आ रही हैं। अंदर खानों की खबर है कि 25 सितंबर के पीएम के दौरे के बाद अगली लिस्ट जारी होगी। क्योंकि बीजेपी को ये डर है कि नाराजगी के चलते पीएम की सभा खाली न नजर आए। दूसरी तरफ बीजेपी की इस जल्दबाजी से भी कांग्रेस खेमे में भी खलबली है। जल्दी लिस्ट जारी कर बीजेपी एक रेस में तो कांग्रेस से आगे निकल ही चुकी है। खबर ये भी है कि कांग्रेस की लिस्ट का खुलासा होते ही बीजेपी फिर अपनी लिस्ट में बदलाव कर सकती है। जिसके बाद कांग्रेस खुद अपने पैंतरे में फंस सकती है।

Madhya Pradesh मध्यप्रदेश BJP's two big bets for the elections BJP will have a tough time on Congress BJP's preparation to convince its own people? चुनाव की खातिर BJP के दो बड़े दांव बीजेपी को कांग्रेस पर पड़ेंगे भारी बीजेपी की अपनों को मनाने की तैयारी?