संसद और विधानसभा के बाद भोपाल नगर निगम ने भी सदन कार्यवाही में 838 शब्दों पर लगाई पाबंदी, दावा- ऐसा करने वाली पहली नगर निगम

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Chandresh Sharma
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संसद और विधानसभा के बाद भोपाल नगर निगम ने भी सदन कार्यवाही में 838 शब्दों पर लगाई पाबंदी, दावा- ऐसा करने वाली पहली नगर निगम

BHOPAL. भोपाल नगर निगम ने अपने सदन यानि नगर निगम परिषद की कार्यवाही में 838 शब्दों पर पाबंदी लगा दी है। इस फैसले के बाद नगर निगम सदन की बैठकों में सत्ताधारी या विपक्ष के पार्षद कई शब्दों का प्रयोग नहीं कर पाएंगे। 838 शब्दों की फेहरिस्त में चार सौ बीस, एक ही थाली के चट्टे-बट्टे, भैंस के आगे बीन बजाना जैसे अनेक शब्द शामिल हैं। इससे पहले लोकसभा और राज्यसभा के साथ-साथ विधानसभा में भी आम बोलचाल में प्रयुक्त कई शब्दों पर पाबंदी लगाई गई थी।

दावा- ऐसा करने वाली पहली नगर निगम

इस मामले में भोपाल नगर निगम सदन के अध्यक्ष किशन सूर्यवंशी ने दावा किया है कि भोपाल नगर निगम इस प्रकार का कदम उठाने वाला पहला नगर निगम बन गया है। जानकारी के मुताबिक निगम सदन की अगली बैठक से ही यह नया नियम लागू हो जाएगा।

पाबंदी के बावजूद प्रयोग, तब क्या?

आम तौर पर नगर निगम सदनों में जमकर हो हंगामा होना आम बात है। कई बार तो नगर निगम सदन में जूतमपैजार के भी वाक्ए हो चुके हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि नगर निगम अध्यक्ष की यह कोशिश कितनी रंग लाएगी। और प्रतिबंधित शब्दों का प्रयोग करने वाले सदस्य पर क्या कार्रवाई होगी। तो बता दें कि प्रतिबंधित शब्दों का प्रयोग करने पर उक्त सदस्य को पीठासीन अध्यक्ष टोंक सकेंगे और उक्त शब्द को कार्यवाही से विलोपित करने का आदेश देंगे।

कार्रवाई भी हो सकती है

माना जा रहा है कि शुरुआती तौर पर इस नए नियम को आदत में लाने में समय लग सकता है। पार्षद कुछ समय में अभ्यस्त होंगे तो अगले चुनाव के बाद नए सदस्य आ जाएंगे। ऐसे में संभव है कि किसी सदस्य द्वारा बार-बार गलती दोहराने पर उस पर कार्रवाई भी हो, हालांकि ऐसा नगर निगम सदन के अध्यक्ष के स्वविवेक पर निर्भर करेगा।











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