भारत आने वाले 8वें राष्ट्रपति हैं बाइडन, अमेरिकी राष्ट्रपति के दौरे के 2 अहम मायने,रूस से भारत को निकटता कम करना,चीन को सबक सिखाना

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Pratibha Rana
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भारत आने वाले 8वें राष्ट्रपति हैं बाइडन, अमेरिकी राष्ट्रपति के दौरे के 2 अहम मायने,रूस से भारत को निकटता कम करना,चीन को सबक सिखाना

New Delhi. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन जी-20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए भारत आ गए हैं। आज (8 अगस्त) उनकी बैठक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ होगी, जो बहुत ही अहम होने जा रही है। इसके बाद राष्ट्रपति बाइडेन शिखर सम्मेलन में स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन, जलवायु परिवर्तन, यूक्रेन में युद्ध के प्रभाव और विश्व बैंक समेत बहुपक्षीय विकास बैंकों की क्षमताओं को बढ़ावा देने जैसे वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करेंगे। बाइडेन और G20 के नेता वैश्विक मुद्दों से निपटने के लिए संयुक्त प्रयासों पर भी बातचीत करेंगे। G20 की अगली समिट 2026 में अमेरिका में प्रस्तावित है। ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी राष्ट्रपति बाइडेन को जी-20 की अध्यक्षता सौंपेंगे। बाइडेन भारत दौरे पर आने वाले 8वें अमेरिकी राष्ट्रपति हैं। जानते हैं बाइडन के दौरे के वैश्विक मायने...

1- बढ़ती ताकत : भारत को साथ लिए बिना चीन से नहीं निपट सकता अमेरिका

चीन के बढ़ते आक्रामक रुख पर लगाम कसने के लिए अमेरिका ने भारत को अपना रणनीतिक साझीदार बनाया है। अब वो उसकी ताकत और तकनीक को आगे बढ़ा रहा है। अमेरिका को भारत की ताकत का एहसास हो चुका है और वो जानता है कि भारत को साथ लिए बिना वो चीन से नहीं निपट सकता है। लिहाजा, दोनों देशों के बीच उन सौदों पर ज्यादा फोकस रखा जा रहा है, जिनसे ना सिर्फ भारत की सामरिक ताकत बढ़ेगी, बल्कि देश में रोजगार बढ़ने की भी बड़ी उम्मीदें हैं।

2- अर्थव्यवस्था मजबूत : भारत के साथ संबंधों को मजबूत करने की कोशिश में दुनिया

कोरोना महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध समेत कई कारणों के कारण पूरी दुनिया में आर्थिक मंदी का दौर है, जबकि भारत रिवाइवल की ओर है। दूसरी ओर, दुनिया के लिए भारत बड़ा मार्केट बनकर भी उभरा है। अब यहां हर कोई अपना सामान बेचना चाहता है। भारत में मिडिल क्लास बढ़ रहा है। इसके साथ ही उसकी खर्च करने की क्षमता भी बढ़ रही है। अमेरिका समेत अन्य विकसित देशों की कोशिश है कि भारतीय मार्केट का ज्यादा से ज्यादा लाभ उठाया जाए और निवेश के जरिए संबंधों को मजबूती दी जाए।

3- हथियारों का सबसे बड़ा खरीदार : रूस से भारत को दूर करने की कोशिश में अमेरिका

आजादी के बाद से ही भारत अमेरिका के मुकाबले रूस के ज्यादा करीब रहा है। अमेरिका की मंशा है कि यह करीबी और ज्यादा नहीं बढ़े। इसके लिए अमेरिका अब रूस वाला फॉर्मूला ही अपना रहा है। दरअसल, दुनिया में हथियारों का सबसे बड़ा खरीदार भारत है। स्वीडिश संस्था स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिप्री) की रिपोर्ट बताती है कि 2018 से 2022 के बीच भारत ने सबसे ज्यादा हथियार खरीदे हैं। सिप्री के मुताबिक, भारत को सबसे ज्यादा हथियार रूस से मिल रहे हैं। अमेरिका हथियारों के मामले में रूस की जगह लेना चाहता है।

सात मुद्दों पर राष्ट्रपति बाइडेन का फोकस

1- वैश्विक मुद्दों से निपटने के लिए जी20 साझेदार संयुक्त प्रयासों पर चर्चा करेंगे, जिसमें स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन और जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करना शामिल होगा।

2- शिखर सम्मेलन से इतर नेताओं के साथ बाइडेन की बातचीत जलवायु परिवर्तन, यूक्रेन में रूस के युद्ध और अन्य वैश्विक चुनौतियों पर केंद्रित होगी।

3- रूस के आर्थिक और सामाजिक प्रभावों को कम करने पर बात करेंगे।

4- विश्व बैंक समेत बहुपक्षीय विकास बैंकों की क्षमताओं को बढ़ावा देने जैसे वैश्विक मुद्दों पर भी चर्चा करेंगे।

5- बहुपक्षीय विकास बैंकों की क्षमता बढ़ाना जरूरी है। विश्व बैंक, गरीबी से बेहतर ढंग से लड़ने और वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए संयुक्त प्रयासों पर बात होगी।

6- जी-20 के लिए प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व की सराहना करेंगे और आर्थिक सहयोग के प्रमुख मंच के रूप में जी-20 के प्रति अमेरिकी प्रतिबद्धता की पुष्टि करेंगे, जिसमें 2026 में इसकी मेजबानी भी शामिल है।

7 - जून 2023 में पीएम मोदी की अमेरिका की राजकीय यात्रा के दौरान बाइडेन ने कहा था कि वो सितंबर में नई दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन का इंतजार कर रहे हैं। बाइडन ने कहा था कि भारत और अमेरिका के संबंध 21वीं सदी के सबसे महत्वपूर्ण संबंध हैं। दोनों देश आज जो निर्णय लेंगे, वे आने वाली पीढ़ियों का भविष्य निर्धारित करेंगे।

आखिर क्या चाहते हैं बाइडन

- जो बाइडेन अमेरिका के राष्ट्रपति बनने के बाद पहली बार भारत दौरे पर आ रहे हैं, वे नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मिलेंगे और उनकी बातचीत भी होगी। दोनों देशों ने द्विपक्षीय वार्ता के जरिए साझेदारी की राह पर आगे बढ़ना शुरू कर दिया है। जून में पीएम मोदी ने अमेरिका के राजकीय दौरे पर कई अहम समझौते किए थे। अमेरिका की सरकार भी भारत दौरे को काफी अहमियत दे रही है। इस दौरान मोदी और बाइडेन के बीच डिफेंस डील, ट्रेड और साइबर सुरक्षा से जुड़े कुछ बड़े समझौते भी हो सकते हैं। अहम बात ये है कि अमेरिका जेट इंजन से लेकर अपने खतरनाक हथियारों की तकनीक भी भारत को ट्रांसफर करने वाला है।

अमेरिका की दो मंशाएं... भारत-रूस की निकटता घटे, चीन पर बने दबदबा

1- रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध चल रहा है। यूरोपीय देश रूस के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं, वहीं आर्थिक स्तर पर ब्रेक लगाने के लिए कई तरह के प्रतिबंध भी लगाए हैं, वहीं रूस भी यूक्रेन युद्ध में बुरी तरह उलझ गया है। वो भारत की रक्षा जरूरतों को समय पर पूरा नहीं कर पा रहा है। अमेरिका की कोशिश है कि रूस को आर्थिक रूप से तोड़ा जाए, वहीं भारत का प्रयास है कि रूस के साथ रिश्ते को बैलेंस बनाकर रखा जाए।

2- चीन का खतरा भारत ही नहीं, दुनिया के लिए लगातार बढ़ता जा रहा है। कुछ सालों में अमेरिका के लिए चीन एक बड़ी चुनौती बनकर उभरा है। माना जा रहा है कि भविष्य में अमेरिका को चीन ही टक्कर दे सकता है। फिर चाहे बात मजबूत अर्थव्यवस्था की हो या फिर मजबूत सेना की। दोनों ही मामलों में चीन अब अमेरिका को टक्कर दे रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि चीन से बिगड़ते रिश्ते ही अमेरिका को भारत के करीब ला रहे हैं, क्योंकि भारत का साथ लेकर अमेरिका, चीन को चुनौती दे सकता है. चीन भी यही मानता है।

भारत-अमेरिका का हित भी...

2022-23 में अमेरिका, भारत का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर रहा है। दोनों देशों के बीच 10 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का कारोबार हुआ। अमेरिका के साथ कारोबार करने में सिर्फ उसकी ही नहीं, बल्कि भारत की भी भलाई है। अमेरिका के साथ कारोबार करने में भारत का ट्रेड बैलेंस पॉजिटिव रहता है। वो इसलिए क्योंकि भारत, अमेरिका को बेचता ज्यादा है और वहां से खरीदता कम है, जबकि चीन के साथ ऐसा नहीं है क्योंकि भारत, चीन से खरीदता ज्यादा है और बेचता कम है।

अब तक ये अमेरिकी राष्ट्रपति आए भारत

1- ड्वाइट डेविट आइजनहावर : 1959 में अमेरिकी राष्ट्रपति डी. आइजनहावर ने पहली बार भारत का दौरा किया था। वे चार दिन तक भारत में रहे थे। तब जवाहरलाल नेहरू भारत के प्रधानमंत्री थे। इस दौरान आइजनहावर ने संसद भवन से संयुक्त सत्र को संबोधित किया था। वे ताजमहल देखने भी पहुंचे थे।

2- रिचर्ड मिलहस निक्सन: 1969 में अमेरिका के राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन भारत आए थे। वो सिर्फ 22 घंटे ही दिल्ली में ठहरे थे, उसके बाद लाहौर चले गए थे। तब भारत में इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं। एयरपोर्ट पर इंदिरा गांधी ने उनका स्वागत किया था। निक्सन अमेरिका के 37वें राष्ट्रपति थे। निक्सन के बारे में कुछ भारतीय ऐसा मानते थे कि 1971 में हुए युद्ध में निक्सन ने पाकिस्तान की मदद की थी।

3- जिमी कार्टर : 1978 में राष्ट्रपति जिमी कार्टर भारत दौरे पर आए थे। वे अमेरिका के 39वें राष्ट्रपति थे। कार्टर जब भारत आए तब देश में गैर कांग्रेसी मोरारजी देसाई की सरकार थी। जनता पार्टी को ऐतिहासिक जीत मिली थी और इंदिरा गांधी को हार का सामना करना पड़ा था। कार्टर भारत में 3 दिन तक रुके थे।

4- विलियम जेफरसन क्लिंटन: मार्च 2000 में बिल क्लिंटन के नाम से मशहूर अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारत का दौरा किया था। क्लिंटन करीब पांच दिन भारत में रुके। उनके दौरे के वक्त भारत के राष्ट्रपति केआर नारायणन थे और प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी। क्लिंटन ने संसद को संबोधित किया था और मुंबई, जयपुर, आगरा, हैदराबाद समेत अन्य शहरों का भ्रमण किया था।

5- जॉर्ज डब्ल्यू बुश: 2006 में जॉर्ज डब्ल्यू बुश भारत आए थे। उन्होंने करीब 60 घंटे भारत में गुजारे। तब देश में मनमोहन सिंह की गठबंधन सरकार थी। भारत और अमेरिका के बीच असैनिक परमाणु करार हुआ था।

6- बराक ओबामा : 2010 में बराक ओबामा अपनी पत्नी मिशेल ओबामा के साथ भारत आए थे। उसके बाद वह 2015 में भी भारत आए थे। उन्होंने संसद भवन में संबोधन दिया था। ओबामा ने 26/11 आंतकी हमले में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि भी दी थी। 5 साल बाद 2015 में मोदी के न्यौते पर राष्ट्रपति ओबामा गणतंत्र दिवस के मौके पर बतौर मुख्य अतिथि के तौर पर भारत आए।

7- डोनाल्ड ट्रंप: 2020 में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी भारत आए। वे दो दिन की यात्रा पर भारत पहुंचे थे। ट्रंप अपनी पत्नी मेलानिया, बेटी इंवाका और दामाद जारेज कुशनर के साथ आए थे। इस दौरान वे दिल्ली, आगरा और अहमदाबाद पहुंचे थे। ट्रंप ने अहमदाबाद में 22 किलोमीटर लंबे रोड शो में हिस्सा लिया था। नवनिर्मित मोटेरा क्रिकेट स्टेडियम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ एक विशाल सभा 'नमस्ते ट्रम्प' को संबोधित किया था।

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