कमलनाथ गुस्सा हैं… मामा की रेवड़ियां खत्म ही नहीं हो रहीं और महिलाओं पर ठिठकी राजनीति

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Harish Divekar
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कमलनाथ गुस्सा हैं… मामा की रेवड़ियां खत्म ही नहीं हो रहीं और महिलाओं पर ठिठकी राजनीति

हरीश दिवेकर @ भोपाल

चुनाव से ऐन पहले संसद के दोनों सदनों में नारी शक्ति वंदन अधिनियम लागू करना एक बड़ा फैक्टर है। राजनीति मानो नारी शक्ति पर आ ठिठकी है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर 25 सितंबर को पीएम नरेंद्र मोदी 10 लाख कार्यकर्ताओं को संबोधित करेंगे। स्वागत और मंच की व्यवस्थाएं महिलाओं के हाथ होगी।

इधर, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हैं कि घोषणाएं करने से बंद ही नहीं हो रहे। अब लाड़ली बहनों को 1500 रुपए दिए जाने की तैयारी है। दूसरी ओर कांग्रेस जन आक्रोश यात्रा के जरिए अपनी जमीन तैयार करने में जुटी है। इस बीच मध्यप्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ का गुस्से वाला रूप मीडिया को पसंद नहीं आया है। सवाल है कि उन्हें इतना गुस्सा आ क्यों रहा है? हालांकि उन्होंने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर कहा है कि शिवराज सरकार के घोटालों की जांच वे युवाओं से कराएंगे।

प्रदेश, देश और दुनिया में खबरें तो और भी हैं, पर आप तो सीधे नीचे उतर आइए और 'बोल हरि बोल' के रोचक किस्सों का आनंद लीजिए।

कमलनाथ को गुस्सा क्यों आता है

इंदौर में पत्रकारों पर नाराज होने के बाद कांग्रेसियों में ये सवाल उठने लगा कि आखिर कमलनाथ को इतना गुस्सा क्यों आता है? चुनाव के मुहाने पर खड़े होकर पत्रकारों पर बरसना किसी के गले नहीं उतर रहा है। कहानी सिर्फ इतनी है कि कमलनाथ मंझे हुए राजनेता की तरह दो फेस रखने में असफल साबित हो रहे हैं। जो उनके दिल में होता है, वो जुबान पर आ ही जाता है, जिसका खामियाजा भी उन्हें भुगतना पड़ता है। शायद कमलनाथ को भी अहसास होता है, लेकिन घटना होने के बाद उसका कोई फायदा नहीं होता।

उमा को तीसरे राज्य की तलाश

उमा भारती का यूं बार- बार रूठ जाना, फिर अचानक मान जाने का खेल पुराना हो गया है। उमा ने या फिर उनके सलाहकारों ने शायद 'शेर आया- शेर आया' वाली कहानी नहीं पढ़ी। शायद ​इसलिए सरकार पर दबाव बनाने के लिए बार- बार नाराज होने का एक ही खेल, खेल रही हैं। राजनीतिक पंडित बता रहे हैं कि उमा अब एक्सपोज हो गई हैं, इसलिए उन्हें कोई गंभीरता से नहीं लेता। उनकी जमीन लगातार कमजोर हो रही है। इसी का फायदा पार्टी में बैठे उनके सियासी दुश्मन उठा रहे हैं। यही हाल रहा तो समय से पहले पार्टी उन्हें मार्गदर्शक मंडल में शामिल कर मुख्य धारा से बाहर कर ​देगी। हालांकि उनका कहना है कि मध्यप्रदेश मैं कभी सीएम नहीं बनूंगी। इसलिए अब तीसरे राज्य की तलाश है।

दो पंडितों को लड़वा रहे 'लालाजी'

पांचवीं मंजिल पर ओएसडी कोल्ड वॉर चल रहा है। वैसे ओएसडी तो 6-7 हैं, लेकिन कोल्ड वार दिल्ली- मुंबई से आए दो पंडितों और बुंदेलखंडी लालाजी के बीच चल रहा है। इसमें सबसे समझदार लालाजी ही हैं, वे दो पंडितों को आपस में उलझाकर अपनी लाइन बड़ी करने में लगे हुए हैं। झगड़े की असली वजह मामा के सामने अपने नंबर बढ़ाकर मलाई खाना है। पहले दिल्ली वाले पंडितजी और बुंदेलखंडी लालाजी मिलकर मलाई खा रहे थे, लेकिन इसी बीच मुंबई के पंडितजी भी भोपाल आ टपके। वे दोनों को पीछे धकेलकर अपनी जगह बनाने में लगे हुए हैं। लालाजी ने ऐसा खेला किया कि दोनों पंडितों को भिड़वाकर तमाशा देख रहे हैं। मामा को भी समझ आ रहा है, लेकिन सिर पर चुनाव हैं। इसलिए इन तीनों ओएसडी को अभी झेला जा रहा है। बहरहाल चुनाव बाद कौन टिकेगा और किसे उड़ाया जाएगा, ये समय बताएगा। अभी तो चांदी काटने का खेल चल रहा है।

दलालों की नहीं हो पा रही सेटिंग

पहली बार ऐसा हो रहा है कि प्रभावशाली नेता भी टिकट लेकर सेटिंग नहीं कर पा रहे हैं। बीजेपी हो या फिर कांग्रेस, इस बार दोनों पार्टियां अपने पत्ते नहीं खोल रही हैं। दोनों ही दल इस बार के चुनाव को करो या मरो की तर्ज पर लड़ने की रणनीति बनाने में जुटे हैं। इस खेल की महत्वपूर्ण कड़ी दावेदार के एक- एक नाम पर माथा फोड़ी है। हालांकि दोनों ही दलों में दलाल नेता सक्रिय हो गए हैं। टिकट के लिए धनकुबेर सूटकेस लेकर घूम रहे हैं, लेकिन दोनों पार्टियों का रुख देखते हुए दलालों की दुकान अब तक शुरू नहीं हो पाई है।

मंत्रीजी अपने बड़े भाई से परेशान

चंबल के कद्दावर मंत्रीजी अपने बड़े भाई से खासे परेशान हैं। मंत्री के नाम पर बड़े भैया जमकर वसूली अभियान चलाए हुए हैं। उन्हें हर काम में हिस्सा चाहिए। मंत्रीजी बड़े भाई का सम्मान करते हैं, ऐसे में चाहकर भी कुछ नहीं बोल पाते। हालात ये हो गए हैं कि मंत्री से ज्यादा उनके भाई के खिलाफ एंटी इन्कम्बेंसी बनी हुई है। हालात ये हैं कि मंत्री को भी ये अहसास हो चुका है कि इस बार चुनावी नैय्या पार नहीं लग पाएगी। मंत्रीजी अपना क्षेत्र बदलवाने के लिए दिल्ली तक जमावट जमाने में लगे हुए हैं, लेकिन अब तक हाथ कुछ नहीं लग पाया।

अवैध शराब से मिली रेंज रोवर

शराब महकमे के एक असिस्टेंट कमिश्नर इन दिनों चर्चा में हैं। इन साहब ने डेढ़ करोड़ रुपए की रेंज रोवर खरीदकर मुख्य सचिव, डीजीपी से लेकर उन बड़े अफसरों को ठेंगा दिखाया है, जो 20 लाख की कार में घूम रहे हैं। विभाग की मुखिया महिला आईएएस दीपाली रस्तोगी ईमानदार मानी जाती हैं, लेकिन उनकी नाक के नीचे उनके अधिकारी डेढ़ करोड़ की लक्जरी कार खरीद रहे हैं। हालांकि साहब ने कार ठेकेदार के नाम पर लेकर समझदारी दिखाने की कोशिश की है, लेकिन अपने अरमानों को दबा नहीं पाए और कार की डिलेवरी लेने पत्नी सहित शोरूम पर पहुंच गए। बस क्या था क्लिक..क्लिक शुरू हुआ और वीडियो वायरल। आपकी जानकारी के लिए बता दें ये साहब इंदौर से लगे एक आदिवासी जिले में पदस्थ हैं, ये वही जिला है, जहां से रोजाना करोड़ों रुपए की अवैध शराब गुजरात जाने की खबरें आप पढ़ते हैं।


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