हरीश दिवेकर @ Bhopal
जय मां जगत जननी..! नवरात्रि की अष्टमी पर सुबह की पहली किरण के साथ ही मंदिरों में मां दुर्गा के जयकारे गूंज उठे। सुबह ही फोन आया और एक नेताजी पूछ बैठे, बताओ कितनी देवियां हैं, हमने नौ कहा। नेताजी बोले- 9 नहीं, 58 कहिए। हमने पूछा कैसे तो वे बोले- 230 विधानसभा सीटों वाले मध्यप्रदेश में भाजपा और कांग्रेस ने 58 महिलाओं को टिकट दिया है। कांग्रेस ने 30 तो भाजपा ने 28 महिलाओं को चुनाव के मैदान में उतारा है। नेताजी की टीस 33 फीसदी महिला आरक्षण को लेकर थी, लेकिन अब क्या ही कर सकते हैं। इंतजार कीजिए...।
उधर, जमीनी स्तर पर सियासी सरगर्मी बढ़ गई है। 'हमें गिनो जी, हमें गिनो' वाली स्थिति है। टिकट बंटवारे के बाद कपड़ा फाड़ सियासत का दौर जारी है। अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए बड़े से लेकर छुटभैया नेताओं तक के इस्तीफे हो रहे हैं।
जी हां! प्रदेश, देश और दुनिया में खबरें तो और भी हैं, पर आप तो सीधे नीचे उतर आईए और 'बोल हरि बोल' के रोचक किस्सों का आनंद लीजिए...
वाकई कपड़े फाड़ने निकल पड़े
कमलनाथ ने भले मजाक में कहा हो कि जाकर दिग्विजय सिंह और जयवर्धन सिंह के कपड़े फाड़ो। मगर कांग्रेसियों ने इसे गंभीरता से ले लिया। कुछ कांग्रेसी तो पीसीसी के सामने ही दिग्गी और जेवी का पुतला लेकर पहुंच गए। कांग्रेसियों का आक्रोश देखकर लग रहा है कि कमलनाथ को ये मजाक काफी महंगा पड़ गया, क्योंकि प्रदेश में अधिकांश विरोध दिग्विजय सिंह के नाम पर ही हो रहा है, इक्का- दुक्का जगह ही कमलनाथ के नाम पर विरोध दिखा।
मामा अब क्या बोलोगे...
कांग्रेस में टिकट न मिलने पर पुतले जलने और विरोध प्रदर्शन होने पर मामा यानी सूबे के मुखिया शिवराज सिंह चौहान ने मीडिया को बयान दिया कि कांग्रेस में ही ऐसा हो सकता है। कमलनाथ और दिग्विजय टिकट ले गए, बाकी हाथ मलते रह गए। इस बयान के एक दिन बाद बीजेपी की सूची आई, उसके बाद जबलपुर में प्रदेश प्रभारी और केन्द्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव के साथ धक्का- मुक्की हो गई। वीडी शर्मा के खिलाफ नारे लगे, यहां तक की गनमैन के साथ हाथापाई तक हो गई। इस घटना के बाद कांग्रेसी पूछते फिर रहे हैं कि मामा अब क्या बोलोगे...
बीजेपी को पुराने 'चावलों' पर भरोसा
भाजपा की सूची के आंकड़े भी हैरान करते हैं। गुना और विदिशा सीट पार्टी ने होल्ड पर रखी है, लेकिन जिन 228 सीटों पर टिकट बांटे हैं। वहां 26 विधायकों के टिकट कट गए हैं। मजेदार बात यह है कि छह सीटों पर विधायकों की जगह उनके परिजनों को टिकट दिए गए हैं। फंसी सीटों पर बीजेपी ने पुराने चेहरों पर भरोसा जताया है। जैसे विदिशा जिले की शमशाबाद सीट से पूर्व मंत्री सूर्यप्रकाश मीणा को उम्मीदवार बनाया है। गंजबासौदा सीट पर हरीसिंह रघुवंशी को उतारा है। ग्वालियर चंबल में भी यही किया गया है।
वाह री खाकी...
खाकी पहनने वाले को अक्सर गलत नजर से देखा जाता है। वजह उनकी सख्ती होती है, कई बार कुछ अधिकारी- कर्मचारी ज्यादती करते हैं तो पूरी खाकी बदनाम होती है, लेकिन खाकी पहनने वाले अपने घर बार को छोड़ दिन रात सेवा भी करते हैं। कोरोना काल में खाकी का संवेदनशील चेहरा भी नजर आया। प्रदेश के मुखिया ने उन्हें कोरोना योद्धा नाम दिया, उन्हें पुरस्कृत करने की भी घोषणा भी हुई। आनन- फानन लाखों के मेडल खरीदे गए, प्रशस्ति पत्र छपवाए गए, लेकिन पीएचक्यू में बैठे अलाल अफसरों की वजह से मेडल और प्रशस्ति पत्र स्टोर रूम में धूल खा रहे हैं। अफसरों से लेकर जवानों तक को मुख्यमंत्री के हाथ से सम्मानित होने का अवसर मिला था, जिससे उनकी सेवा को सराहा जाता। अब आचार संहिता लगने से मामला ठंडे बस्ते में चला गया। जनवरी में कौन मुख्यमंत्री होगा राम जाने, क्या वो अपने हाथों से सम्मानित करेंगे या फिर डाक से जवानों के घर मैडल भेजे जाएंगे।
सैंया… अरे नहीं सजनी भई कोतवाल
आपने ये कहावत तो सुनी होगी कि सैंया भए कोतवाल, अब डर काहे का, ऐसा ही एक मामला प्रदेश में उच्च स्तर के अधिकारियों में देखने में आ रहा है। यहां फर्क सिर्फ इतना है कि कोतवाल सैंया नहीं 'सजनी' हैं। एक जिले में पदस्थ कप्तान साहब ने आचार संहिता का उल्लंघन कर प्रत्याशी की मदद कर दी। मामले में शिकायत भी हुई, लेकिन कप्तान साहब को मैम साहब ने बचा लिया तब से कप्तान साहब और बिंदास हो गए हैं, उन्हें पता है कि जीतने वाले प्रत्याशी की मदद करेंगे तो आगे पोस्टिंग में मदद मिलेगी। बाकी शिकायत संभालने के लिए मैडम तो बैठी ही हैं।
ठाकुर पर मेहरबान बड़े साहब
एक निगम में पदस्थ ठाकुर आईएएस अफसर पर बड़े साहब कुछ ज्यादा ही मेहरबान हैं। दरअसल, ठाकुर को निगम में बड़े साहब ने ही पदस्थ करवाया था। बताया जा रहा है कि बड़े साहब के इशारे पर ये ठाकुर साहब दाल- दलहन को बेचने के नाम पर करोड़ों का खेला कर रहे हैं। शिकायत हुई, लेकिन बड़े साहब ने इस मामले को दबा दिया। अब शिकायतकर्ता भी चुनाव खत्म होने का इंतजार कर रहे हैं। क्योंकि अब शिकायत अकेले ठाकुर आईएएस की नहीं होगी, बल्कि बड़े साहब को भी साथ में लपेटा जाएगा।
घोटाला दबाने में लगे पंडितजी
सुशासन संस्थान में हुए घोटाले दबाने के लिए एक पंडितजी, जी-तोड़ प्रयास कर रहे हैं। इसके चलते पंडितजी अब दस्तावेजों को उजागर करने वाले मारक हथियार आरटीआई के नियमों में फेरबदल कर दिया। पंडितजी ने हाल ही में आदेश निकालकर कई बिन्दुओं पर आरटीआई में जानकारी न देने की बात कही है। दरअसल, संस्थान में मानसिक प्रताड़ना झेल रहे एक अधिकारी ने धड़ाधड़ आरटीआई लगा दी हैं। ये जानकारी बाहर आने पर संस्थान से लेकर मंत्रालय की पांचवीं मंजिल कठघरे में आ जाएगी। पंडितजी ने इस मामले को दबाने के लिए आरटीआई नियमों की व्याख्या ही बदल दी है। अब दुआ किजिए सरकार लौट आए नहीं तो पंडितजी की दिल्ली विदाई परेशानी भरी हो सकती है।